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Written By WD

मार्मिक कविता : कलाम को श्रद्धांजलि

kalaam
मनोज चारण 'कुमार' 
अद्भुत, अनन्य भक्त था
मां भारती का लाल वो  
रखता उज्जवल चेतना
भारतीय मेधा का भाल वो...
 

 
थी गजब की जि‍जीविषा
क्या गजब थी चाल वो 
छोड़ पृथ्वी आज चला
नक्षत्र बड़ा विशाल वो...।।
 
थी ह्रदय में एक लगन
बस एक लक्ष्य था अटल
भारत फिर से बने गुरू
पूजे सारा विश्व सकल ।
 
उसकी अग्नि की मार से
गूंज दिशाएं जाती थी
व्योम थर्राता आकाश से
और हिल उठता था पटल ।।
 
आज अपनी धरा छोड़ वो
दूर चल दिया अनंत में 
हंस उड़ा ज्यों त्याग सरोवर
उड़ चला त्यों ही दिगंत में ।
 
हे अद्भुत महामानव तुझको
सदियों तक न भूल पाएंगे हम
मनोज करे प्रणाम हे अब्दुल
तुझको हर पल याद रखेंगे हम ।।