मंगलवार, 26 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. आलेख
  4. writers on nrc
Written By
Last Updated : शुक्रवार, 10 जनवरी 2020 (12:55 IST)

विश्‍व पुस्‍तक मेले में 200 कवि-साहित्‍यकारों का नागरिकता कानून को समर्थन

विश्‍व पुस्‍तक मेले में 200 कवि-साहित्‍यकारों का नागरिकता कानून को समर्थन - writers on nrc
एक तरफ जहां नागरिकता संसोधन कानून को लेकर कुछ लोग इसके खिलाफ हैं तो वहीं कई लोग इसका खुलकर समर्थन भी कर रहे हैं। साहित्‍य जगत से कई लेखक और कवियों ने कानून और मोदी सरकार का समर्थन किया है।
दिल्‍ली में चल रहे विश्‍व पुस्‍तक मेले में इसे लेकर एक समारोह आयोजित किया गया। इस आयोजन का विषय था ‘सीएए का समर्थन, कवियों का गर्जन’

इस आयोजन में 200 से ज्‍यादा लेखक और साहित्‍यकारों ने नागरिकता कानून का समर्थन किया। प्रगति मैदान दिल्‍ली में आयोजित विश्‍व पुस्‍तक मेले के हॉल नम्बर 8 में यह सेमिनार आयोजित हुआ।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद की दिल्ली इकाई इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के यमुना विहार विभाग द्वारा यह आयोजन किया गया। विभाग के अध्यक्ष व सुप्रसिद्ध कवि भुवनेश सिंघल ने कार्यक्रम का संयोजन और संचालन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। मुख्य अतिथि के रूप में सेवा इंटरनेशनल के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्याम परांडे व मुख्य वक्ता पूर्वमंत्री दिल्ली सरकार कपिल मिश्रा थे।

विशिष्ट अतिथि के रूप में वैवेसो के डिप्टी चेयरमैन नवीन तायल, विश्व विख्यात नृत्यांगना नलिनी-कमलनी, उत्तराखण्ड की लोक गायिका सोनिया सिंह रावत, पूर्व महापौर मीनाक्षी शिवम, डॉ. यूके चौधरी, सुभाष जिंदल, परिषद के प्रवीण आर्य व मुन्ना लाल जैन आदि थे। अतिथियों ने नागरिकता संसोधन कानून के समर्थन में अपने विचार प्रकट किए व उसकी सार्थकता व आवश्यकताओं पर अपनी बात कही। अध्यक्षता गीतकार जयसिंह आर्य ने की।

शहीदों की कतारों में अपना नाम लिख दूंगा
आयोजन में उपस्‍थित 200 से ज्‍यादा कवि व साहित्यकारों ने नागरिकता संसोधन कानून का समर्थन में अपनी राय रखी। वक्ताओं ने कहा कि इस देश के किसी भी भारतीय नागरिक को इस कानून से डरने की आवश्यकता नहीं है, इससे किसी भी धर्म के भारतीय को परेशानी नहीं होने वाली है बल्कि इससे पाकिस्तान जैसे देशों में पीड़ित हिन्दुओं के लिए भारत में आने का मार्ग खुलेगा। इससे मानवता के आधार पर उनको यहां की नागरिकता देकर उनको निर्भय होकर जीने का अवसर मिलेंगे।

वहीं भुवनेश सिंघल ने अपनी कविता में देश के गृहमंत्री अमित शाह के संसद में भारत के लिए जान दे देंगे वाले बयान का जिक्र करते हुए कहा कि हम देश को विश्वास दिलाते हैं कि इस देश के लिए हर एक नौजवान अपना सर्वस्व समर्पण कर सकता है। उन्होने अपनी कविता में कहा कि ‘शहीदों की कतारों में अपना नाम लिख दूंगा, करूंगा काम कुछ ऐसा अगल अंजाम लिख दूंगा, भले ही डोर सांसों की कटे कट जाए गम कैसा, मगर आकाश के हृदय पे हिंदुस्तान लिख दूंगा’।

दिल्ली के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि नागरिकता संसोधन कानून पर बुद्धिजीवी समाज के साहित्यकारों का समर्थन मिलना भारत सरकार द्वारा भारत के हित में निर्णय लेने की सोच को बल प्रदान करेगा। सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि जब तथा कथित बुद्धिजीवी देश को तोड़ने की बात करते दिखाई देते हों तब यह आवश्यक हो जाता है कि देश का साहित्यकार सही निर्णय के समर्थन में उठ खड़ा हो। श्याम पाराण्डे ने कहा कि इस आयोजन के लिए भुवनेश सिंघल को साधुवाद। इस मौके पर सुधीर वत्स, मनोज शर्मा, जीपी शर्मा, सतीश वर्धन, अंजना अंजुम, सुनीता बुग्गा, समोद सिंह चरौरा, रामश्याम हसीन, राजीव पाण्डेय, रसिक गुप्ता, बलजीत कौर, भूपेन्द्र जैन, नितिन शर्मा, यशदीप कौशिक, वैभव सिंघल, विपिन कुमार, अमर झा, रजनी अवनी, राम श्याम हसीन, आचार्य रामदत्त मिश्र अनमोल, राजकुमार मीणा, शिवम प्रधान, द्वारिका आनन्द व अतुल सिंघल  आदि उपस्थित थे।