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Last Modified: गुरुवार, 10 नवंबर 2022 (18:23 IST)

हिमाचल प्रदेश की 'परंपरा' कायम रहेगी या फिर टूट जाएगी?

हिमाचल प्रदेश की 'परंपरा' कायम रहेगी या फिर टूट जाएगी? - Will the tradition of Himachal Pradesh continue or will it break
शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला का मशहूर माल रोड इन दिनों सैलानियों की चहल-पहल से कम चुनावी चर्चाओं से ज्यादा गुलजार है। इस चुनावी माहौल में यहां के छोटे व्यापारी वस्तु एवं सेवा कर (GST) की जटिलताओं और व्यापार मंदा होने की परेशानियों से दो-चार हैं, हालांकि दोनों प्रमुख पार्टियों को लेकर उनकी राय बंटी नजर आती है।

कई व्यापारी अपनी चुनावी पसंद या नापसंद को खुलकर जाहिर करते हुए हर पांच साल पर सत्ता परिवर्तन के ‘रिवाज’ को बनाए रखने की बात करते हैं तो कई इसे बदलने के पक्ष में नजर आते हैं। हिमाचल प्रदेश की सभी 68 विधानसभा सीटों के लिए 12 नवंबर को मतदान होगा। आठ दिसंबर को मतगणना होगी। मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच है।

शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र के छोटे व्यापारियों के मुताबिक, उनके सामने सबसे बड़ी समस्या कपड़े और जूते-चप्पलों पर जीएसटी लगाया जाना और इस कर व्यवस्था की जटिलताएं हैं। माल रोड पर कपड़ा दुकान चलाने वाले रमन शर्मा कहते हैं, बहुत सारे लोगों के लिए महंगाई, बेरोजगारी, पुरानी पेंशन योजना और केंद्र सरकार की योजनाएं या फिर हिंदुत्व चुनावी मुद्दा हो सकता है, लेकिन हमारे लिए ये जीएसटी का झंझट ही सबसे बड़ा मुद्दा है।

उन्‍होंने कहा, हम पिछले कई महीनों से यह मांग उठा रहे हैं कि उन कपड़ों पर जीएसटी नहीं लगाया जाए जिन्हें आम लोग खरीदते हैं। कहने को कपड़ों पर पांच प्रतिशत जीएसटी है, लेकिन इसका असर हम जैसे छोटे व्यापारियों के कारोबार पर पड़ता है। यही नहीं, हर महीने हमें सीए का चक्कर लगाना पड़ता है। यह हमारे लिए एक अलग दिक्कत है।

शर्मा कहते हैं, हम हिमाचली हर पांच साल पर परिवर्तन करते हैं और इस बार मैं भी इस रिवाज के बनाए रखने के पक्ष में हूं। दूसरी तरफ, ऑर्टिफिशयल आभूषण के दुकानदार सुनील कुमार का कहना है, इसमें कोई दो राय नहीं है कि जीएसटी हम जैसे छोटे व्यापारियों के लिए बड़ी दिक्कत पैदा कर रहा है। कोविड के बाद हमारा व्यापार भी प्रभावित हुआ। लेकिन हमारे सामने राष्ट्रीय मुद्दे भी हैं। मुझे लगता है कि छोटे व्यापारियों का बड़ा हिस्सा परिवर्तन के पक्ष में नहीं जाएगा।


पर्यटन कारोबार से जुड़े विजय नेगी की राय है कि पहली बार शिमला में छोटे व्यापारियों में इस तरह की नाराजगी है। उन्होंने कहा, न सिर्फ जीएसटी, बल्कि निगम और सरकारी अधिकारियों की मनमानी से भी लोग परेशान हैं। नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना की मार झेलते हुए हम छोटे व्यापारियों की कमर टूट गई है।

जूते-चप्पल की दुकान चलाने वाले गुरबचन सिंह का कहना है, छोटे दुकानदार और व्यापारी बहुत नाराज हैं, लेकिन वो किसी एक पार्टी के पक्ष में वोट करेंगे, यह नहीं कहा जा सकता है। सबकी अपनी पसंद और नापसंद है।

शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के संजय सूद तो कांग्रेस की ओर से हरीश जनारथा उम्मीदवार हैं। इस सीट से वर्तमान विधायक और राज्य के कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज को इस बार भाजपा ने कसुम्पटी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। भारद्वाज शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र से पिछले तीन बार चुनाव जीत चुके थे।(भाषा)
Edited by : Chetan Gour
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