जुकाम के संबंध में धारणा बदली
सेहत डेस्क
वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने सर्दी-जुकाम से संबंधित परंपरागत धारणा को बदल दिया है। यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनल मेडिसिन के चेअरमैन डॉ. जैक एम. ग्वाल्टनी तथा उनके साथियों ने इस धारणा को बदल दिया कि जुकाम के लक्षण जुकाम के वायरस द्वारा नाक की अंदरूनी झिल्ली को पहुंचाए गए नुकसान को प्रदर्शित करते हैं। इन वैज्ञानिकों का कहना है कि छींक आना, नाक बंद होना, नाक बहना और गले में सूजन आना जैसे जुकाम के लक्षण शारीरिक क्षति को नहीं दर्शाते, बल्कि वायरस द्वारा किए गए संक्रमण के विरुद्ध शरीर की प्रतिक्रिया को प्रदर्शित करते हैं। यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इसी आधार पर जुकाम का नया उपचार भी प्रस्तुत किया है, जो परंपरागत उपचार की तुलना में काफी प्रभावकारी है। डॉ. जैक एम. ग्वाल्टनी ने बताया कि नया उपचार जुकाम पर दोहरा प्रहार करता है। इलाज का एक हिस्सा सर्दी के वायरस को मार भगाता है और दूसरा संक्रमण के विरुद्ध की जाने वाली शरीर की प्रतिक्रिया को रोकता है। नए इलाज के अंतर्गत रोगी को इंटरफेरॉन के तीन डोज 12-12 घंटे के अंतर से दिए जाते हैं। सर्दी के लक्षणों को रोकने के लिए क्लोरफेनिरामाइन नामक दवा दी जाती है। इसके अलावा सोर थ्रोट, सिर दर्द और कफ को मिटाने के लिए आइबूप्रोफेन दी जाती है।