फौज से सालभर बाद लौटा तो पत्नी की गोद में पाया 1 माह का बच्चा, जानिए क्या है एग फ्रीजिंग?
सीकर। राजस्थान के सीकर में रहने वाला जवान जब साल भर बाद अपने घर लौटा तो अपनी पत्नी की गोद में 1 महीने का बच्चा देख झूम उठा। दरअसल, ये जवान बॉर्डर पर जाने से पहले जयपुर स्थित एक IVF सेंटर में अपने स्पर्म फ्रीज करवाकर गया था। डॉक्टरों ने फौजी के जाने के बाद IVF की मदद से पत्नी को गर्भ धारण करवा दिया। उसके ठीक 9 महीने बाद महिला ने एक स्वस्थ बालक को जन्म दिया। डॉक्टरों का कहना था कि पत्नी को पॉलीसिस्टिक ओवरियन डिसीज (PCOD) नाम की बीमरी थी, जिसके कारण वह प्राकृतिक रूप से बच्चे को जन्म नहीं दे पा रही थी।
दरअसल, एग फ्रीजिंग या फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की इस तकनीक का इस्तेमाल कई सालों से किया जाता रहा है। नेचुरल प्रेग्नेंसी धारण ना कर पाने वाली महिलाओं को अक्सर IVF की प्रक्रिया का इस्तेमाल करने को कहा जाता है। ये प्रक्रिया कई परिवारों के लिए वरदान साबित हुई है। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में विकास के बाद अब ये प्रक्रिया और अधिक आसान और सुरक्षित बन कर उभरी है।
एग फ्रीजिंग क्या है?
ऐसे कई कपल होते है जो नौकरीपेशा होने की वजह से शादी के बाद भी अपने करियर पर प्राथमिक रूप से ध्यान देते हैं। वो सोचते है कि कुछ सालों बाद माता-पिता बने। लेकिन, उम्र ज्यादा होने पर गर्भ धारण करने में जटिलताएं आ सकती हैं। ऐसे कपल IVF सेंटर पर जाकर अपने स्पर्म(पुरुष) और एग(महिला) फ्रीज करा लेते हैं, जिन्हे सेंटर पर स्टोर करके रख लिया जाता है। कुछ सालों बाद जब कपल को लगता है कि उन्हें बच्चा चाहिए तो स्पर्म और एग को लैब में प्रोसेस करके गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
IVF ने सवारे कई परिवार -
आईवीएफ विशेषज्ञों का कहना है कि फौज में काम करने वालों और वदेश में रहने वालों में स्पर्म फ्रीजिंग का चलन बढ़ रहा है। कई केसेस में कैंसर पीड़ित पुरुषों ने भी कीमोथेरेपी के पहले स्पर्म करवाए हैं। IVF प्रक्रिया ने कई परिवारों को पूरा किया है।
यूं तो इस प्रक्रिया में खर्च ज्यादा है, लेकिन विदेशों की तुलना में भारत में फर्टिलिटी ट्रीटमेंट किफायती है। लगभग हरे बड़े शहर में IVF सेंटर खोले जा रहे हैं, जहां पर जाकर स्पर्म फ्रीजिंग करवाई जा सकती है। इस प्रक्रिया में आमतौर पर 4-5 लाख रुपए का खर्च आता है। कुछ बैंकों ने फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए लोन भी देना शुरू किया है।