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पिस्ते की छाल, फूल और तेल भी है उपयोगी

पिस्ते की छाल, फूल और तेल भी है उपयोगी - Amazing Benefit Of Pistachio
सूखे मेवों में शामिल पिस्ता, अपने सेहतमंद गुणों के लिए जाना जाता है, लेकिन इसका फूल, छाल एवं इससे बनने वाला तेल भी स्वास्थ्य के लिहाज से बेह फायदेमंद है। आपको भी जरूर जानने चाहिए इसके बेशकीमती फायदे - 
 
1 पिस्ता भारी, स्निग्ध, वीर्यवर्धक, गरम, धातुवर्धक, रक्त को शुद्ध करने वाला, स्वादु, बलवर्धक,  पित्तकारक, कड़वा, सारक, कफनाशक तथा वात, गुल्म और त्रिदोष को दूर करता है। 
2  पिस्ता  स्मरण शक्ति, हृदय, मस्तिष्क और आमाशय को शक्ति देते हैं। पागलपन, वमन, मतली, मरोड़ और यकृत की वृद्धि में लाभ पहुंचाते हैं। बदन को मोटा करते हैं। 
रोजाना मुट्ठीभर सूखे मेवे खाने से दिल की बीमारी, कैंसर का खतरा होगा कम
 
3 आमाशय को ताकत देने के लिए पिस्ते के समान कोई दूसरा पदार्थ उत्तम नहीं है। यह गुर्दे की कमजोरी को मिटाता है।  


4 पिस्ते को चबाने से मसूड़े मजबूत होते हैं और मुंह से सुगंध आने लगती है। हैजा, प्लेग के दिनों में इसे शकर के साथ खाना अच्‍छा रहता है। 
 
5 पिस्ते की छाल और पत्तों के काढ़े से सर तथा सूखी खुजली को धोने पर बहुत लाभ होता है। इसके काढ़े से सिर के बाल मजबूत होते हैं और सिर में जुएं नहीं पड़तीं।
 
पिस्ते के छिलके की उपयोगिता - पिस्ते के ऊपर दो छिल्के होते हैं। एक सुर्ख रंग का पतला छिल्का, जो पिस्ते की मगज से चिपका हुआ रहता है और दूसरा सफेद रंग का सख्त छिल्का,  जिसके अंदर पिस्ते का मगज रहता है। दूसरा सख्त छिल्का सर्द और खुश्क होता है। पिस्ते का पतला छिल्का काबिज, वमन और हिचकी को बंद करने वाला, दांत, मसूड़े, हृदय तथा मस्तिष्क  को ताकत देने वाला एवं तृष्णानाशक होता है। इसे खाने से मुंह के छाले मिट जाते हैं। दूसरे छिल्के की फक्की देने से अजीर्ण मिटता है और शकर के साथ सेवन करने से शक्ति बढ़ती है। 
 
फूल की उपयोगिता - पिस्ते के फूल सर्द, खुश्क, काबिज और आनंदवर्धक होते हैं। 
 
तेल की उपयोगिता - आधा-सीसी के रोगी को गरम जल का बफारा देकर अगर यह तेल नाक में टपका दिया जाए तो आधा-सीसी मिट जाती है। यह तेल स्मरणशक्तिवर्द्धक है। खांसी के रोगी को लाभ करता है। हृदय को ताकत देकर पागलपन, वमन और मतली को मिटाता है। 
 
ध्यान रहे - पिस्ते के ज्यादा खाने से पित्ति उछल जाती है। अत: इन औषध द्रव्यों के सेवन की मात्रा  के लिए किसी सुयोग्य व अनुभवी वैद्य आदि का परामर्श लेना चाहिए।