भारत के धर्म, संस्कृति और विज्ञान के संस्थापक प्राचीन काल के ऋषि मुनि रहे हैं। जैसे आयुर्वेद के अश्विन कुमार, सुश्रुत, रचक और च्यवन ऋषि थे तो ऋषि भारद्वान विमानशास्त्र के अविष्कारक थे। पराशर और भृगु ज्योतिष और खगोल विज्ञान के जानकार थे तो ऋषि वशिष्ठ और अगत्स्य मुनि धर्म, राजनीति और समाज के जानकार थे। इसी प्रकार ऐसे कई ऋषि मुनि हुए हैं जिन्होंने भारत में हर विषय में अपना योगदान दिया है।
1. ऋषि वशिष्ठ : गायों को पालना और बैलों के उपयोग को ऋषि वशिष्ठ ने ही स्थापित किया था। उनके यहां पर कामधेनु गाय थी। उन्होंने कई ग्रंथ लिए हैं। वशिष्ठ संहिता, वशिष्ठ कल्प, वशिष्ठ शिक्षा, वशिष्ठ तंत्र, वशिष्ठ पुराण, वशिष्ठ स्मृति, वशिष्ठ श्राद्ध कल्प, आदि इनमें प्रमुख हैं। उत्तर भारतीय संस्कृति के योगदान में ऋषि वशिष्ठ और विश्वामित्र का खास योगदान रहा है।
2. ऋषि अगस्त्य: आज हम जो दक्षिण भारत में धर्म, परंपरा और संस्कृति को देखने हैं वह ऋषि अगस्त्य की ही देन है। उन्होंने ही सबसे पहले बिजली की उत्पत्ति का सिद्धांत दुनिया को दिया था। अगस्त्य संहिता और शिव से संबंधित उनके कई ग्रंथ हैं।
3. भारद्वाज: एक महान ऋषि, जिन्हें आयुर्वेद और विमानन विद्या को विकसित किया था। उन्होंने कई तरह के विमानों की रचना के सूत्र दिए थे। विमानशस्त्र उनकी प्रसिद्ध रचना है। भारद्वाज के विमानशास्त्र में यात्री विमानों के अलावा, लड़ाकू विमान और स्पेस शटल यान का भी उल्लेख मिलता है। उन्होंने एक ग्रह से दूसरे ग्रह पर उड़ान भरने वाले विमानों के संबंध में भी लिखा है, साथ ही उन्होंने वायुयान को अदृश्य कर देने की तकनीक का उल्लेख भी किया।
4. कात्यायन: एक महान ऋषि, जिन्होंने व्याकरण और ज्योतिष में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
5. ऋषि कणाद: ऋषि कणाद को परमाणु सिद्धांत का प्रतिपादक माना जाता है। कणाद प्रभास तीर्थ में रहते थे और उन्होंने ही सबसे पहले बताया कि द्रव्य के परमाणु होते हैं। परमाणु के जनक माने जाने वाले जान डाल्टन और जे. राबर्ट ओपनहाइमर ने ऋषि कणाद अणुशास्त्र के सिद्धांत को समझा था।
इसके अलावा वेद व्यास, ऋषि कण्व, विश्वामित्र, अत्रि, बृहस्पति, अंगिरा, भृगु ऋषि, वामदेव, शौनक, चरक, सुश्रुत, पतंजलि, पाणिनी आदि कई ऋषि हुए हैं।