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गंगाजल को कौन-सी दिशा में रखना चाहिए? जानिए गंगा जल के 10 प्रयोग

ganga jal ko kon si disha me rakhna chahiye
Gangajal for pooja : पुराणों में गंगा को स्वर्ग की नदी माना गया है इसीलिए इसका जल सबसे पवित्र माना जाता है। शिवजी की जटाओं से निकलने के कारण इसके जल को बहुत ही पवित्र माना जाता है। अधिकतर हिन्दू घरों में गंगाजल रखा होता है। गंगाजल को कहां और किस दिशा में रखना चाहिए इसी के साथ जानिए कि गंगाजल के 10 प्रयोग।
 
गंगाजल कौन-सी दिशा में रखना चाहिए?
गंगा जल को हमेशा अपने घर के ईशान कोण यानि पूजा घर में ही रखना चाहिए।
 
गंगाजल के 10 प्रयोग (10 Uses of Gangajal) :
 
1. गंगाजल में स्नान करने से सभी तरह के पाप धुल जाते हैं। गंगा को पापमोचनी नदी कहा जाता है।
 
2. गंगा के जल को घर में सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय छिड़कने से ग्रहण का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
 
3. किसी भी मांगलिक अवसर पर घर, यज्ञ वेदी या किसी स्‍थान को शुद्ध करने के लिए गंगा जल का प्रयोग किया जाता है।
 
4. गंगा का पानी पीने से सभी के रोग और शोक मिट जाते हैं। शिवजी की जटाओं से निकलने के कारण इसके जल को बहुत ही पवित्र माना जाता है।
 
5. कहते हैं कि किसी के प्राण नहीं छूट रहे हैं और वह तड़फ रहा है तो उसके मुंड में गंगा जल डालने से वह शांति से देह छोड़ देता है। इसीलिए इसे मोक्षदायिनी नदी भी कहा गया है।
6. गंगा ही एक मात्र ऐसी नदी है जहां पर अमृत कुंभ की बूंदें दो जगह गिरी थी। प्रयाग और हरिद्वार में। इसीलिए इसके जल का महत्व बढ़ जाता है और इसीलिए यहां कुंभ का आयोजन होता है।
 
7. गंगा का जल कभी अशुद्ध नहीं होता और ना ही यह सड़ता है। इसीलिए इस जल को घर में एक तांबे या पीतल के लोटे में भरकर रखा जाता है। इसे घर में रखने सभी तरह के संकटों का समाधान होकर शुभ ही होता है।
 
8. गंगा का जल किसी अन्य जल में डाल देने से वह जल भी शुद्ध होकर गंगा के समान हो जाता है, क्योंकि बैक्टीरियोफेज नामक जीवाणु गंगाजल में मौजूद जो पानी को शुद्ध कर देते हैं।
 
9. गंगाजल में प्राणवायु की प्रचुरता बनाए रखने की अदभुत क्षमता है। गंगा के पानी में वातावरण से आक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है। जहां आक्सीजन की कमी लगे तब इस नदी के किनारे रहकर या इसके पानी को पीकर इसे प्राप्त किया जा सकता है। गंगा के पानी से हैजा और पेचिश जैसी बीमारियों का खतरा बहुत ही कम हो जाता है। इस जल को कभी भी किसी भी शुद्ध स्थान से पीया जा सकता है। 
 
10. गंगा के पानी में गंधक की प्रचुर मात्रा में है, इसलिए यह खराब नहीं होता है। इसके अतिरिक्त कुछ भू-रासायनिक क्रियाएं भी गंगाजल में होती रहती हैं। जिससे इसमें कभी कीड़े पैदा नहीं होते। यही कारण है कि गंगा के पानी को बेहद पवित्र माना जाता है। इसे पीने से कई तरह के रोग नष्ट हो जाते हैं।