ईमानदार अफसर का तबादला
- एमके सांघी
प्रश्न- दद्दू, लोकतंत्र के एक महत्वपूर्ण स्तंभ कार्यपालिका के ईमानदार अफसरों को राजनैतिक स्वार्थों के चलते बार-बार तबादले करके प्रताड़ित एवं दंडित किया जाता है। खबर है कि एक अफसर के दो वर्षों में 43 बार तबादले हो गए। क्या उन्हें कानून बना कर संरक्षण प्रदान नहीं किया जाना चाहिए। उत्तर : छी-छी, लोकतंत्र के पहले स्तंभ एवं जनता द्वारा चुने गए राजनेताओं पर बिना सबूत ऐसा इल्जाम लगाया जाना ठीक नहीं है। वो क्या है कि देश में ईमानदार अधिकारियों की बहुत कमी है अत: उनकी मांग भी बहुत ज्यादा है। एक जगह ईमानदार अफसर को पदस्थ किया जाता है, तो किसी दूसरी जगह से दबाव आ जाता है कि फलां-फलां अफसर को हमारे यहां भेजिए। अब बेचारे सत्ताधारी नेताओं को उनकी मांग मानते हुए उक्त अफसर का तबादला करके दूसरी जगह भेजना पड़ता है। इसीलिए जो अफसर जितना ज्यादा ईमानदार होता है उसकी उतनी ही ज्यादा मांग यानी तबादलें होते है। इसके लिए आप सरकार को कतई दोष नहीं दें। समझ गए जनाब!