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Last Modified: मंगलवार, 12 जनवरी 2021 (08:05 IST)

किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज

किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज - Supreme court on farmers protest
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन से निबटने के तरीके पर सोमवार को केन्द्र को आड़े हाथ लिया और कहा कि किसानों के साथ उसकी बातचीत के तरीके से वह ‘बहुत निराश’ है। शीर्ष अदालत इस मामले में आज अपना फैसला सुना सकती है।
 
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए यहां तक संकेत दिया कि अगर सरकार इन कानूनों का अमल स्थगित नहीं करती है तो वह उन पर रोक लगा सकती है। पीठ ने कहा कि हम पहले ही सरकार को काफी वक्त दे चुके हैं।
 
पीठ ने कहा कि मिस्टर अटॉर्नी जनरल, हम पहले ही आपको काफी समय दे चुके हैं, कृपया संयम के बारे में हमें भाषण मत दीजिए।
 
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि शीर्ष अदालत ने सरकार द्वारा इस स्थिति से निबटने के संबंध में ‘काफी सख्त टिप्पणियां’ की हैं। इस पर पीठ ने कहा, 'हमारे यह कहना ही सबसे निरापद बात थी।'
 
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में कृषि कानूनों और किसानों के आंदोलन के संबंध में वह हिस्सों में आदेश पारित करेगी। पीठ ने पक्षकारों से कहा कि वे शीर्ष अदालत द्वारा गठित की जाने वाली पीठ के अध्यक्ष के लिये पूर्व प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा सहित 2-3 पूर्व प्रधान न्यायाधीशों के नामों का सुझाव दें।
 
इस बीच, केंद्र की ओर से उच्चतम न्यायालय को बताया गया कि 'सीमित संख्या' में प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत के गंभीर प्रयास किए गए। अदालत द्वारा इस मामले को सुलझाने के प्रयासों को लेकर निराशा जताए जाने के चलते कृषि मंत्रालय ने एक शपथपत्र दायर कर केंद्र की ओर से गतिरोध समाप्त करने के संबंध में की गई कोशिशों से अदालत को अवगत कराया गया।
 
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल की ओर से दायर शपथपत्र में कहा गया कि इसे केवल उन गलत धाराणाओं के चलते दायर किया गया, जिसमें प्रदर्शन स्थल पर मौजूद गैर-किसान तत्वों ने जानबूझकर पैदा किया है और इसके लिए मीडिया/सोशल मीडिया का सहारा लिया गया।
 
इस बीच, केंद्र ने सोमवार को शीर्ष अदालत से 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली अथवा किसी भी तरह के मार्च पर रोक लगाने के आदेश देने का अनुरोध किया।
 
दिल्ली पुलिस के माध्यम से दायर एक आवेदन में केंद्र ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को प्रदर्शनकारियों के एक छोटे समूह अथवा संगठन द्वारा गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर रैली निकालने की योजना बनाई है।
 
आवेदन में कहा गया, ' इस तरह के मार्च अथवा रैली के कारण गणतंत्र दिवस उत्सव में व्यवधान पैदा हो सकता है और कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हो सकती है। ऐसे में शीर्ष अदालत से किसी भी तरह के मार्च, रैली अथवा वाहन रैली को रोकने के संबंध में अनुरोध किया जाता है।'
 
तीन कृषि कानूनों को लेकर केन्द्र और किसान यूनियनों के बीच आठ दौर की बातचीत के बावजूद कोई रास्ता नहीं निकला है क्योंकि केन्द्र ने इन कानूनों को समाप्त करने की संभावना से इंकार कर दिया है जबकि किसान नेताओं का कहना है कि वे अंतिम सांस तक इसके लिए संघर्ष करने को तैयार हैं और ‘कानून वापसी’ के साथ ही उनकी ‘घर वापसी’ होगी।
 
शीर्ष अदालत ने इससे पहले 12 अक्टूबर को इन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केन्द्र को नोटिस जारी किया था।
 
ये तीन कृषि कानून हैं- कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार, कानून, 2020, कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) कानून, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून। राष्ट्रपति रामनाथ कोविद की संस्तुति मिलने के बाद से ही इन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान आन्दोलनरत हैं। (भाषा) 
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