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Last Modified: चंडीगढ़ , सोमवार, 3 मार्च 2025 (22:39 IST)

पंजाब बंद किसी समस्या का हल नहीं, बैठक को बीच में छोड़कर चले गए CM मान, किसान विरोध प्रदर्शन पर अड़े

पंजाब बंद किसी समस्या का हल नहीं, बैठक को बीच में छोड़कर चले गए CM मान, किसान विरोध प्रदर्शन पर अड़े - punjab cm bhagwant mann walks out of meeting with farmer leaders article
किसानों की मांगों पर चर्चा के लिए पंजाब सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेताओं के बीच सोमवार को वार्ता बीच में ही टूट गई। किसान नेताओं ने दावा किया कि (पंजाब के) ‘नाराज’ मुख्यमंत्री भगवंत मान ‘बिना किसी उकसावे के बैठक से बाहर चले गए।’
 
मुख्यमंत्री के साथ दो घंटे तक चली बैठक बेनतीजा रहने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेताओं ने पांच मार्च से यहां एक सप्ताह तक चलने वाले धरने के अपने आह्वान पर आगे बढ़ने की घोषणा की। पंजाब सरकार ने एसकेएम नेताओं को उनके नियोजित विरोध प्रदर्शन से पहले यहां पंजाब भवन में मुख्यमंत्री के साथ बैठक के लिए आमंत्रित किया था।
 
बैठक के बाद मान ने ‘एक्स’ पर लिखा कि मैंने किसान संगठनों के सभी सम्मानित नेताओं से अपील की है कि ‘चक्का जाम’, सड़कों पर यातायात और ट्रेनों की आवाजाही अवरूद्ध करना या ‘पंजाब बंद’ किसी समस्या का समाधान नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाई के कारण आम लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। समाज के अन्य वर्गों की गतिविधियां और व्यवसाय बहुत प्रभावित होते हैं। आइए हम इस बारे में सोचें। एसकेएम नेताओं ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में बिना किसी उकसावे के बैठक से ‘बाहर चले जाने’ को लेकर मान की आलोचना की और कहा कि एक मुख्यमंत्री के लिए इस तरह का व्यवहार ‘शोभा नहीं देता।’
 
एसकेएम नेता जोगिंदर सिंह उग्राहन ने कहा कि मुख्यमंत्री के साथ चर्चा सुचारू रूप से चल रही थी। उन्होंने कहा कि आधी मांगों पर चर्चा हो चुकी थी और उसी बीच मान ने किसान नेताओं से ‘धरना’ नहीं देने या सड़कों पर नहीं बैठने का अनुरोध किया ।
 
उग्राहन ने कहा कि उन्होंने (मान ने) हमसे पूछा कि क्या हम पांच मार्च के अपने कार्यक्रम पर आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि अठारह में से आठ-नौ मांगों पर चर्चा हो जाने के बाद मान ने कहा कि उनकी आंख में संक्रमण है जिसकी वजह से उन्हें जाना होगा।
 
उग्राहन ने कहा कि हमने बैठक से पहले पूछा था कि मुख्यमंत्री के पास कितना समय है, जिस पर उन्होंने (मान ने) कहा था कि उनके पास पर्याप्त समय है।’’ मुख्यमंत्री ने कथित तौर पर किसान नेताओं से कहा कि उन्होंने इन नेताओं को बैठक के लिए आमंत्रित किया है, जबकि किसान नेताओं ने तर्क दिया कि हर सरकार किसी भी विरोध प्रदर्शन से पहले उन्हें बैठक के लिए बुलाती है।
 
उग्राहन ने दावा किया कि इसके बाद मान बैठक से बाहर चले गए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने केवल एक आश्वासन दिया कि धान की बुवाई एक जून से शुरू होगी।
 
अन्य किसान नेता बूटा सिंह बुर्जगिल ने दावा किया कि मान ने किसान नेताओं से कहा कि अगर वे पांच मार्च के अपने धरने के सिलसिले में आगे बढ़ते हैं, तो बैठक के दौरान मांगों पर हुई चर्चा पर विचार नहीं किया जाएगा।
 
अन्य किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने तो मुख्यमंत्री पर किसानों को धमकाने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया। बुर्जगिल ने कहा कि यह पहली बार है कि कोई मुख्यमंत्री इस तरह ‘भड़क गये।
 
उन्होंने किसान नेताओं द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों-- प्रकाश सिंह बादल, अमरिंदर सिंह और चरणजीत सिंह चन्नी के साथ की गई कई बैठकों की ओर इशारा किया।
 
बुर्जगिल ने कहा, ‘‘वह (मान) बिना किसी कारण के भड़क गए। यह उनकी ओर से अच्छा नहीं था।’’ राजेवाल ने इसे ‘अफसोसजनक’ बताया कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति किसानों को ‘‘पांच मार्च को अपने कार्यक्रम पर आगे बढ़ने’’ की ‘‘चुनौती’’ देगा।
 
एसकेएम ने ही अब निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 के आंदोलन का नेतृत्व किया था। वह कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति ढांचे के केंद्र के मसौदे को वापस लेने, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी, राज्य की कृषि नीति को लागू करने और राज्य सरकार द्वारा बासमती, मक्का, मूंग और आलू समेत छह फसलों की एमएसपी पर खरीद की मांग कर रहा है। भाषा