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Written By हिमा अग्रवाल
Last Updated : रविवार, 20 दिसंबर 2020 (14:15 IST)

कृषि कानून पर किसानों में 2 फाड़, समर्थन में भी दिल्ली आ रहे हैं किसान

कृषि कानून पर किसानों में 2 फाड़, समर्थन में भी दिल्ली आ रहे हैं किसान - farmers Delhi march in favour of farm bill
मेरठ। नए कृषि कानून के विरोध में जहां किसानों ने 25 दिन से दिल्ली की सीमाओं को घेर रखा है। काला कानून मानने वाले किसान इस कानून वापस लेने के लिए सर्वखाप भी समर्थन दे चुकी है। वही अब किसानों का आंदोलन दो फाड़ होती नजर आ रही है। मेरठ-मुजफ्फरनगर से बड़ी संख्या में किसान कृषि बिल के समर्थन में ट्रेक्टर-ट्राली में भरकर दिल्ली की तरफ कूच कर गए हैं।

सरकार और किसानों के बीच कई रांउड की वार्ता विफल हो चुकी है। सरकार खुद को किसान हितैषी बताते हुए किसानों को बिल की खूबियां बता रही है, लेकिन किसान इसे काला कानून कह रहे हैं। शीतलहर भी किसानों के इरादों को कमजोर नही कर पा रही है, ये गाजीपुर और सिंधु बॉडर पर दिन-रात आंदोलन कर रहे है। किसानों के मजबूत आंदोलन को कमजोर करने के लिए आज 'हिन्द मजदूर किसान समिति' के बैनर तले सैकड़ों किसान दिल्ली गाजीपुर बाडर की तरफ रूख कर गए हैं।

सरकार के समर्थन में किसानों का यह जत्था कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से मुलाकात करके बिल  संशोधन की मांग करेगा। किसान मजदूर किसान समिति के संचालक चंद्र मोहन की अगुवाई में ये किसान दिल्ली की तरफ बढ़े है।

चंदमोहन का कहना है कि लगभग बीस हजार से अधिक किसान कृषि मंत्री से मुलाकात करेगा। इन किसानों का कहना है कि बिल किसान विरोधी नही है, बस कुछ संशोधन की आवश्यकता है। संशोधन किस तरह का? जवाब में कहते हैं कि ट्यूबवैल का बिल आधा हो, घर की बिजली बिल माफ करें सरकार।

किसानों के जत्थे अगर इस तरह की मांगों को लेकर सरकार के समर्थन में आ रहे है तो इसे किसानों की फूट ही कहा जा सकता है, क्योंकि 25 दिन से देश के किसान कान्ट्रेक्ट फार्मिंग का विरोध कर रहे हैं, पूरे देश में फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य एक हो की लड़ाई लड़ रहे हैं।

ऐसे में एकाएक कुछ किसान सरकार समर्थन में बिल को सही बता रहे हैं और बिजली मूल्य संशोधन की मांग कृषि बिल में करना बचकानी बात लग रही है। इन किसानों का सरकार के पक्ष में आना स्वतःस्फूर्त है या प्रायोजित, फिलहाल कहना मुश्किल है। फिलहाल तो यह कृषि बिल विरोध में बैठे किसानों के आंदोलन को कमजोर करने वाला दिखाई पड़ रहा है।

देखना है कि किसानों का दो फाड़ होना क्या गुल खिलायेगा। अब टकराव की संभावना से भी इंकार नही किया जा सकता है।
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