- सांस और दिल की बीमारी के मरीजों के लिए खतरनाक
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Lancet रिपोर्ट: वाराणसी शिमला में भी बढ़ा प्रदूषण का ग्राफ
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दिल, फेफडे, सांस और ब्रेन की बीमारियों में इजाफा
दिल्ली में हर साल प्रदूषण को लेकर चर्चा होती है। लेकिन आपको बता दें कि सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, बल्कि वाराणसी और शिमला जैसे शहरों में भी प्रदूषण ने लोगों की नाक में दम कर रखा है। अगर देशभर की बात करें तो प्रदूषण से हर साल 33 हजार लोगों की जान चली जाती है। देश के दूसरे छोटे शहरों में भी प्रदूषण का ग्राफ लगातार बढता जा रहा है। देशभर के डॉक्टरों ने लोगों को सतर्क रहने और सावधानी बरतने की सलाह दी है।
बता दें कि दिल्ली में फिर से प्रदूषण का स्तर भयानक तरह से बढ़ गया है। लैंसेट की रिपोर्ट कहती है कि सिर्फ दिल्ली ही नहीं, प्रदूषित शहरों में वाराणसी और शिमला भी शामिल है। बता दें कि दिल्ली के कई इलाकों की हवा खराब होने पर ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के दूसरे चरण की पाबंदियां लागू की गई हैं।
वेबदुनिया ने कुछ डॉक्टरों से चर्चा की और जाना कि आखिर क्यों हालात इतने खराब हो रहे हैं और क्या कहती है लैंसेट की रिपोर्ट?
अब तक दिल्ली में ही प्रदूषण के ग्राफ खतरनाक बताया जा रहा था। लेकिन अब जिन शहरों में ऐसे हालात बन रहे हैं उनमें वाराणसी और शिमला भी शामिल हो गए हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़े बताते हैं कि भारत के 238 शहरों की AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) में राजधानी दिल्ली देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित रही।
बोर्ड ने लिया स्वत: संज्ञान : बता दें कि लैंसेंट की रिपोर्ट के आंकड़े इतने चौंकाने वाले रहे कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को नोटिस जारी किया है।
क्या कहती है Lancet की रिपोर्ट : Lancet की रिपोर्ट कहती है, जहरीली हवा में मौजूद बारीक कण PM2.5 बच्चों और बुजुर्गों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन रहा है। यह कई बीमारियों को जन्म देता है और जो पहले से सांस और दिल की बीमारियों से जूझ रहे हैं, उनकी हालात और बिगाड़ता है।
किन शहरों में खतरा ज्यादा : रिपोर्ट के मुताबिक देश के कुछ खास शहरों में प्रदूषित हवा के कारण बीमारियों का खतरा सबसे ज्यादा है। इनमें अहमदाबाद, बेंगलरू, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, शिमला और वाराणसी शामिल हैं। इन शहरों में सबसे ज्यादा कार्बन का उत्सर्जन हो रहा है। गाड़ियों का धुआं है। औद्योगिक गतिविधियां ज्यादा हो रही हैं और निर्माण की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ये सब मिलकर हवा को प्रदूषित बना रहे हैं। नतीजा, हवा जहरीली हो रही है। सबसे ज्यादा प्रदूषण का स्तर पूर्वी दिल्ली, लुधियाना और पंचकुला में देखा गया है।
किन्हें हैं सबसे ज्यादा खतरा : डॉ प्रवीण दानी के मुताबिक प्रदूषित हवा में मौजूद महीन कण PM2.5 सांस के जरिए शरीर में पहुंचते हैं। यहां से ये फेफड़ों का बर्बाद करने का काम करते हैं। कुछ ब्लड में भी पहुंचकर पूरे शरीर में सर्कुलेट होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है, बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं PM2.5 प्रति सेंसिटिव होती हैं। यही वजह है कि PM2.5 का इन लोगों पर सबसे ज्यादा असर होता है। ये सांस की बीमारी का कारण बनते हैं। दिल की बीमारियों को बढ़ाते हैं। ब्रेन से जुड़ी बीमारियों की वजह बनते हैं।
इस बीच 36 लाख मौतें : रिसर्च करने वाले शोधकर्ता कृष्ण भार्गव के मुताबिक देश में हवा की गुणवत्ता मानकों के नीचे है। इसका जो असर हम देख रहे हैं वो चिंताजनक है। शोधकर्ताओं ने जिन हिस्सों से हवा के नमूने लिए थे 2008 और 2019 के बीच वहां 36 लाख मौतें हुईं।
कैसे मौत परोसता है प्रदूषण : प्रदूषणों के कणों के उच्च स्तर वाले हिस्से में पर 48 घंटे से भी कम समय तक रहने से इंसान की उम्र पर नकारात्मक असर पड़ता है। वर्तमान हालात देखें तो दिल्ली-NCR के कई इलाकों में AQI 300 का आंकड़ा पार रह गया है। प्रदूषित हवा बढ़ने से सांस की बीमारी के मरीजों की संख्या में 15 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इस समय सांस से जुड़ी दिक्कतें जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और एलर्जी के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
दीवाली के बाद खराब होगी स्थिति : डॉ संजय गुजराती ने बताया कि दीवाली के बाद स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ सकती है। ऐसे में लोगों को कुछ खास बातों का ध्यान रखने की जरूरत है। जैसे-घर के खिड़की और दरवाजों को बंद रखें। बेवजह ज्यादा बाहर निकलने से बचें। जरूरत पड़े तो मॉस्क लगाकर ही बाहर निकलें। बच्चों और नवजात शिशुओं को घर में ही रखें। एयर प्यूरीफायर की मदद भी ले सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार : सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संबंधी कानून को दंतहीन बनाने के लिए केंद्र की खिंचाई करते हुए कहा कि पराली जलाने पर जुर्माने से संबंधी सीएक्यूएम अधिनियम के प्रावधान को लागू नहीं किया गया। अदालत ने कहा कि पराली जलाने के आंकड़ों पर झूठ बोला जा रहा है। राज्य सरकारें भी मामले पर गंभीर नहीं है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कानून के क्रियान्वयन को लेकर आवश्यक व्यवस्था बनाए बिना ही सीएक्यूएम अधिनियम लागू कर दिया गया। इस पर केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को आश्वास्त किया कि पराली जलाने के संबंध में सीएक्यूएम अधिनियम के तहत जुर्माने पर दिशानिर्देश 10 दिन में जारी कर दिए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार द्वारा पराली जलाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने पर कड़ी आपत्ति जताई। अदालत ने कहा कि अगर ये सरकारें वाकई कानून लागू करने में दिलचस्पी रखती हैं तो कम से कम एक मुकदमा तो होना ही चाहिए।
अदालत ने पंजाब के मुख्य सचिव से कहा कि करीब 1080 उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज की गई, लेकिन आपने सिर्फ 473 लोगों से मामूली जुर्माना वसूला है। आप 600 या उससे ज्यादा लोगों को छोड़ रहे हैं। हम आपको साफ-साफ बता दें कि आप उल्लंघनकर्ताओं को यह संकेत दे रहे हैं कि उनके खिलाफ कुछ नहीं किया जाएगा। यह पिछले तीन सालों से हो रहा है।
Edited by Navin Rangiyal