चतुर सिंह टू स्टार : फिल्म समीक्षा
बैनर : पेन इंडिया प्रा.लि., लोटस पिक्चर्स निर्माता : मोहम्मद असलमनिर्देशक : अजय चंडोक संगीत : साजिद-वाजिदकलाकार : संजय दत्त, अमीषा पटेल, सुरेश मेनन, अनुपम खेर, सतीश कौशिक, गुलशन ग्रोवरसेंसर सर्टिफिकेट : यू/ए रेटिंग : 0.5/5हास्य फिल्में बनाना आसान काम नहीं है, लेकिन अजय चंडोक जैसे निर्देशकों को इस बात पर यकीन नहीं है और वे कॉमेडी के नाम पर ट्रेजेडी बना देते हैं। ‘चतुर सिंह टू स्टार’ जैसी फिल्म देखते समय शायद ही किसी के चेहरे पर मुस्कान भी आए। निर्देशन, स्क्रिप्ट, एक्टिंग सभी घटिया स्तर की है। पता नहीं संजय दत्त ने ये फिल्म कैसे साइन कर ली। वर्षों से अटकी यह फिल्म रिलीज ही नहीं होती तो बेहतर होता। चतुर सिंह (संजय दत्त) एक मूर्ख पुलिस ऑफिसर है। कृषि मंत्री वाय.वाय. सिंह (गुलशन ग्रोवर) अस्पताल में भर्ती है और उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी चतुर सिंह और पप्पू (सुरेश मेनन) पर है। सोनिया (अमीषा पटेल) जो कि वाय.वाय. सिंह की सेक्रेटरी है के जीजा का अपहरण हो जाता है। अपहरणकर्ता उस पर दबाव डालते हैं कि वह मंत्री को अस्पताल की बालकनी में लाए ताकि वे उसे मार सके। ऐसा ही होता है। इसके बाद कहानी दक्षिण अफ्रीका में शिफ्ट हो जाती है और तमाम बेवकूफी भरी हरकतें होती हैं। जितनी घटिया कहानी है उतनी ही घटिया रूमी जाफरी की स्क्रिप्ट। पता नहीं किन दर्शकों को ध्यान में रखकर उन्होंने यह काम किया है। लॉजिक नाम की कोई चीज ही नहीं है। दिमाग घर पर रख कर आओ तो भी खीज पैदा होती है। कॉमेडी के नाम पर ऐसे दृश्य हैं कि हंसने के बजाय रोना आता है। तमाम मूर्खतापूर्ण हरकतें स्क्रीन पर लगातार होती रहती हैं। चतुर सिंह कभी जासूस बन जाता है तो कभी पुलिस ऑफिसर। वह अपने आपको जासूस क्यों कहता है, इसका कोई जवाब नहीं मिलता। ऐसे कई प्रश्न हैं जिनके जवाब नहीं मिलते। किसी तरह यह फिल्म पूरी की गई है क्योंकि दृश्यों को बिना कन्टीन्यूटी के जोड़ा गया है। पता नहीं अजय चंडोक जैसे लोगों को कैसे फिल्म निर्देशित करने को मिल जाती है। लगता ही नहीं कि इस फिल्म का कोई निर्देशक भी है। कॉमेडी करना संजय दत्त के बस की बात नहीं है। ये फिल्म उनके घटिया कामों में से एक है। जोकरनुमा हरकतें वे पूरी फिल्म में करते रहें। अमीषा पटेल निराश करती हैं। कहने को तो फिल्म में शक्ति कपूर, अनुपम खेर, सतीश कौशिक, रति अग्निहोत्री, गुलशन ग्रोवर, संजय मिश्रा जैसे कलाकार हैं, लेकिन सबने किसी तरह काम निपटा दिया है। साजिद-वाजिद ने बेसुरी धुनें बनाई हैं। चतुर सिंह ‘टू स्टार’ सिर्फ ‘आधे स्टार’ के लायक है।