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Last Updated : शनिवार, 9 जुलाई 2022 (14:19 IST)

देवशयनी एकादशी की पूजा कैसे करें, जानिए

Devshayani Ekadashi
Devshayani Ekadashi 2022: 10 जुलाई 2022 रविवार को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन श्रीहरि विष्णु 4 माह के लिए योगनिद्रा में सो जाएंगे। इसीलिए उनकी पूजा और आराधना की जाएगी। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।
 
देवशयनी एकादशी की पूजा कैसे करें- dev uthani ekadashi ki puja kaise karen
 
1. यदि आप देवशयनी एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो तिथि की शुरुआत को जान लें और उसके बाद प्रात:काल उठकर स्नानआदि से निवृत हो जाएं।
 
2. इसके बाद श्रीहरि भगवान की मूर्ति या चि‍त्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें।
 
3. पूजन में देवताओं के सामने धूप, दीप अवश्य जलाना चाहिए। देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए।
 
4. फिर श्री विष्णु जी के मस्तक पर हलदी कुंकू, गोपी चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं।
 
5. फिर श्रीहरि विष्णु जी की पंचोपचार पूजा या षोडोषपार पूजा करें। पंचोपचार में गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करने के बाद आरती की जाती है। 
 
6. पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए। भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, पीले फूल, पीला चंदन चढ़ाएं। उनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म सुशोभित करें।
 
7. पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
 
8. अंत में आरती करें। आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है और वही नैवेद्य प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
 
9. षोडोषपार पूजा में पूजा सामग्री बढ़ जाती है और फिर विधिवत रूप से पूजा की जाती है और विष्णु सहस्त्र नाम स्त्रोत का पाठ किया जाता है।
devshayani ekadashi
10. विष्णु मंत्र जप- Shri vishnu mantra:
 
भगवान विष्णु को इस हरिशयन मंत्र से सुलाएं 
सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्।
विबुद्दे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।
अर्थात हे जगन्नाथ जी! आपके निद्रित हो जाने पर संपूर्ण विश्व निद्रित हो जाता है और आपके जाग जाने पर संपूर्ण विश्व तथा चराचर भी जाग्रत हो जाते हैं।
 
अन्य मंत्र :
1. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
 
2. ॐ नमो नारायणाय।
 
3. ॐ विष्णवे नम:।
 
4. ॐ हूं विष्णवे नम:।
 
11. उपरोक्त प्रकार से श्रीहरि विष्णु जी का पूजन करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर स्वयं फलाहार ग्रहण करें।
 
12.  देवशयनी एकादशी पर रात्रि में भगवान विष्णु का भजन कीर्तन करना चाहिए और स्वयं के सोने से पहले भगवान को शयन कराना चाहिए। दूसरे दिन पारण करके ब्राह्मण भोज कराना चाहिए।
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