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देवशयनी एकादशी पर कैसे सुलाएं भगवान को, जानिए देव शयन के सरल नियम और 3 मंत्र

देवशयनी एकादशी पर कैसे सुलाएं भगवान को, जानिए देव शयन के सरल नियम और 3 मंत्र - devshayani ekadashi 2022 mantra puja vidhi
आषाढ़ के महीने में दो एकादशी आती है। एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी या हरिशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) कहते हैं। भगवान श्रीहरि विष्णु प्रकृति के पालनकर्ता हैं और उन्हीं कृपा से यह सृष्टि चल रही है।

इस बार देवशयनी एकादशी 10 जुलाई 2022 को मनाई जा रही हैं। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाएंगे। इस दौरान अगले चार महीने तक शुभ कार्य वर्जित हो जाएंगे, इसे चातुर्मास भी कहते हैं। 
 
इस हरिशयन मंत्र से सुलाएं भगवान विष्णु को- 
 
सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्।
विबुद्दे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।
 
- यानी, हे प्रभु आपके जगने से पूरी सृष्टि जग जाती है और आपके सोने से पूरी सृष्टि, चर और अचर सो जाते हैं. आपकी कृपा से ही यह सृष्टि सोती है और जागती है,  आपकी करुणा से हमारे ऊपर कृपा बनाए रखें।
 
देवशयनी एकादशी नियम एवं पूजन विधि- 
 
देवशयनी या हरिशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजन की जाती है, ताकि चार महीने तक भगवान विष्णु की कृपा बनी रहे।
 
इसके लिए देवशयनी एकादशी के दिन एक पटिये पर लाल कपड़ा बिछाकर श्रीविष्‍णु की मूर्ति या चित्र रख कर दीप जलाएं। उन्हें पीला वस्त्र अर्पित करें। पीली वस्तुओं का भोग लगाएं। भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। अगर कोई मंत्र नहीं आता हैं तो सिर्फ 'हरि' के नाम का जाप निरंतर करते रहे। 
 
अगर मंत्र जाप कर रहे हैं तुलसी या चंदन की माला से जप करें। 
 
फिर आरती करें। 
 
तत्पश्चात श्री हरिशयन के विशेष मंत्रों का उच्चारण करें। यहां पढ़ें मंत्र- 
 
1. देवशयनी एकादशी संकल्प मंत्र- 
 
सत्यस्थ: सत्यसंकल्प: सत्यवित् सत्यदस्तथा।
धर्मो धर्मी च कर्मी च सर्वकर्मविवर्जित:।।
कर्मकर्ता च कर्मैव क्रिया कार्यं तथैव च।
श्रीपतिर्नृपति: श्रीमान् सर्वस्यपतिरूर्जित:।।
 
2. भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का मंत्र-
 
सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत सुप्तं भवेदिदम।
विबुद्धे त्वयि बुध्येत जगत सर्वं चराचरम।
 
3. क्षमा मंत्र-
 
भक्तस्तुतो भक्तपर: कीर्तिद: कीर्तिवर्धन:।
कीर्तिर्दीप्ति: क्षमाकान्तिर्भक्तश्चैव दया परा।।
 
इस तरह पूजन करके श्रीहरि की कृपा प्राप्त कर लें। तत्पश्चात जब भगवान विष्णु जागते हैं, तो उसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इसके साथ ही सभी तरह के शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं।

Devshayani Ekadashi 2022 
 
 
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