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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 17 जून 2024 (12:29 IST)

Eid al-Adha 2024 : ईद उल अजहा पर कब और कौन करें कुर्बानी

eid ul adha
Eid al Adha 2024

Highlights 
 
* बकरीद के बारे में जानें।  
* ईद-उल-अजहा पर कुर्बानी क्यों। 
* इस्लाम धर्म में ईद-उल-अजहा का महत्व जानें। 
bakra eid 2024 : इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार ईद उल अजहा का त्योहार आज यानि 17 जून 2024, दिन सोमवार को मनाया जा रहा हैं। इस्लाम धर्म के खास त्योहारों में ईद-उल-अजहा यानि बकरीद को माना गया हैं। तीन दिनों तक चलने वाले इस त्योहार कि शुरुआत ईद के दिन से होती हैं। 
 
आइए जानते हैं... 
 
इस्लाम धर्म के शरीयत के मुताबिक कुर्बानी हर उस औरत तथा मर्द के लिए वाजिब है, जिसके पास 13 हजार रुपए या उसके बराबर सोना और चांदी या तीनों यानि रुपया, सोना और चांदी मिलाकर भी 13 हजार रुपए के बराबर है। 
 
ईद-उल-अजहा पर कुर्बानी देना वाजिब है। वाजिब का मुकाम फर्ज से ठीक नीचे है। अगर साहिबे हैसियत होते हुए भी किसी शख्स ने कुर्बानी नहीं दी तो वह गुनाहगार होगा। यहां जरूरी नहीं कि कुर्बानी किसी महंगे जानवर की ही दी जाए। 
 
इस्लाम धर्म के अनुसार इस हर जगह जामतखानों में कुर्बानी के हिस्से होते हैं, आप उसमें भी हिस्सेदार बन सकते हैं। अगर किसी शख्स ने हैसियत होते हुए कई सालों से कुर्बानी नहीं दी है तो वह साल के बीच में सदका करके इसे अदा कर सकता है। इसमें सदका एक बार में न करके थोड़ा-थोड़ा भी दिया जा सकता है। 
 
इस सदके के जरिये से ही मरहूमों की रूह को सवाब पहुंचाया जा सकता है। अतः कुर्बानी के गोश्त के तीन हिस्से करने की शरीयत में सलाह है। एक हिस्सा गरीबों में दूसरा हिस्सा अपने दोस्त अहबाब और तीसरा हिस्सा अपने घर में इस्तेमाल किया जाने  मान्यता हैं।  

इस दिन गरीबों में गोश्त तकसीम करना मुफीद है। यह भी माना जाता हैं कि उस परिवार में तीन हिस्से करना जरूरी नहीं है, अगर खानदान बड़ा है तो, उसमें दो हिस्से या ज्यादा भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं। यदि कुर्बानी करने में दिखावा या तकब्बुर आ गया तो उसका सवाब चला जाता हैं यानि कि कुर्बानी इज्जत के लिए नहीं, बल्कि इसे अल्लाह की इबादत समझकर की जानी चाहिए। 
 
ईद के दिन को मिलाकर कुर्बानी का सिलसिला तीन दिनों तक चलता है। बेशक अल्लाह सभी के दिलों के हाल जानता है और वह खूब समझता है कि बंदा जो कुर्बानी दे रहा है, उसके पीछे उसकी क्या नीयत है। जब कोइ भी बंदा अल्लाह का हुक्म मानकर महज अल्लाह की रजा के लिए कुर्बानी करेगा तो यकीनन वह अल्लाह की रजा हासिल करेगा। इसीलिए कुर्बानी अल्लाह की इबादत समझकर करें और अल्लाह हमें और आपको इस अमल की तौफीक दें।
 
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