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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 17 जून 2024 (12:32 IST)

क्यों मनाते हैं बकरीद / ईद उल-अजहा का त्योहार, जानिए इतिहास

Eid al-Adha 2024
Highlights 
 
 
Highlights 
 
* अल्लाह की रजा के लिए दी जाती हैं कुर्बानी।  
* इस्लाम धर्म के खास त्योहारों में से एक है बकरीद। 
* ईद उल अजहा के बारे में जानें।  
Eid al-Adha 2024 : ईद-उल-अजहा या बकरीद इस्लाम धर्म के खास त्योहारों में से एक है। हर साल चांद की दसवीं तारीख को ईद-उल-अजहा या बकरीद का त्योहार मनाया जाता है। 
 
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार वर्ष 2024 में ईद उल अजहा 17 जून सोमवार को मनाया जा रहा हैं। 
 
क्यों जरूरी हैं बकरीद : मान्यतानुसार यह एक जरिया है जिससे बंदा अल्लाह की रजा हासिल करता है। इसीलिए बकरीद/ ईद-उल-अजहा पर कुर्बानी दी जाती है। 
 
माना जाता हैं कि बेशक कुर्बानी का गोश्त अल्लाह को नहीं पहुंचता है, बल्कि वह तो केवल कुर्बानी के पीछे बंदों की नीयत को देखता है। अल्लाह को पसंद है कि बंदा उसकी राह में अपना हलाल तरीके से कमाया हुआ धन खर्च करे।
 
क़ुरबानी का इतिहास- यदि कुर्बानी का इतिहास देखें तो इब्रा‍हीम अलैय सलाम एक पैगंबर थे, जिन्हें ख्वाब में अल्लाह का हुक्म हुआ कि वे अपने प्यारे बेटे इस्माईल जो कि बाद में पैगंबर हुए को अल्लाह की राह में कुर्बान कर दें। 
 
यह इब्राहीम अलैय सलाम के लिए एक इम्तिहान था, जिसमें एक तरफ अपने बेटे से मुहब्बत थी और दूसरी तरफ अल्लाह का हुक्म था। तब इब्राहीम अलैय सलाम ने सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के हुक्म को पूरा किया और अल्लाह को राजी करने की नीयत से अपने लख्ते जिगर इस्माईल अलैय सलाम की कुर्बानी देने को तैयार हो गए। 
 
अल्लाह रहीमो करीम है और वह तो दिल के हाल जानता है, जैसे ही इब्राहीम अलैय सलाम छुरी लेकर अपने बेटे को कुर्बान करने लगे, वैसे ही फरिश्तों के सरदार जिब्रील अमीन ने बिजली की तेजी से इस्माईल अलैय सलाम को छुरी के नीचे से हटाकर उनकी जगह एक मेमने को रख दिया। इस तरह इब्राहीम अलैय सलाम के हाथों मेमने के जिब्हा होने के साथ पहली कुर्बानी हुई। 
 
इसके बाद जिब्रील अमीन ने इब्राहीम अलैय सलाम को खुशखबरी सुनाई कि अल्लाह ने आपकी कुर्बानी कुबूल कर ली है और अल्लाह आपकी कुर्बानी से राजी है। अतः अल्लाह बंदे की नीयत को खूब समझता है, जब बंदा अल्लाह का हुक्म मानकर महज अल्लाह की रजा के लिए कुर्बानी करेगा तो यकीनन वह अल्लाह की रजा हासिल करता है। और इस तरह कुर्बानी देना ही इस ईद का असली मकसद हैं।

 
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