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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 14 जून 2024 (12:52 IST)

दुनिया के वे 10 प्राचीन धर्म जो अब हो गए हैं लुप्त

दुनिया के वे 10 प्राचीन धर्म जो अब हो गए हैं लुप्त - Extinct ancient religions of the world
Extinct ancient religions of the world: जब क्रिश्‍चियन के बाद इस्लामिक क्रांति हुई तो धरती के कई धर्मों का अस्तित्व मिट गया। यदि हम प्राचीन धर्मों की बात करें तो हिंदू, जैन, यहूदी और पारसी धर्म आज भी अस्तित्व में है लेकिन इनके साथ प्राचीन काल में साथ रहे कई धर्म मिट गए। उन्हीं मिट गए 10 धर्मों की संक्षिप्त जानकारी।
स्थापित धर्म : व्यापक रूप से 7 धर्मों को स्थापित धर्म मान सकते हैं- 1.हिन्दू, 2.जैन, 3.बौद्ध, 4.सिख, 5.ईसाई, 6.इस्लाम और 7.यहूदी। हलांकि अफ्रीका में वुडू धर्म के लोगों की संख्या बहुत अधिक है जो तेजी से ईसाई या इस्लाम में परिवर्तित हो रहे हैं।
 
इन धर्मों का अस्तित्व है संकट में : ऐसे भी कई धर्म है जो अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं- 1.पारसी, 2.यजीदी, 3.जेन, 4.शिंतो, 5.लाओत्सु, 6.ताओ, 7.सिचो-नो-ले, 8.तेनरिक्यो, 9.काओ दाई, 10. चेनोडो मत, 11.जुचे और 12. कन्फ्यूशीवाद।
 
दुनिया के विलुप्त प्राचीन धर्म : 
1. पैगन (Paganism): योरप में मूर्ति पूजकों के धर्म को पैगन धर्म कहा जाता था। ईसाईयत से पहले पैगन धर्म के लोगों की ही तादाद ज्यादा थी और वे अग्नि और सूर्य आदि प्राकृतिक तत्वों के मंदिर बनाकर उसमें उनकी मूर्तियां स्थापित करते थे जहां विधिवत पूजा-पाठ वगैरह होता था।  पैगन धर्म को मानने वालों को जर्मन के हिथ मूल का माना जाता है, लेकिन यह रोम, अरब और अन्य इलाकों में भी बहुतायत में थे। एक मान्यता अनुसार यह अरब के मुशरिकों के धर्म की तरह था और इसका प्रचार-प्रसार अरब में भी काफी फैल चुका था। यह धर्म ईसाई धर्म के पूर्व अस्तित्व में था।ALSO READ: सफलता के लिए हिंदू धर्म के 10 सबसे शक्तिशाली विचार
 
2. मुशरिक (mushrik) : यह अरब जगत का खास धर्म था। पैगन और मुशरिक धर्म हिंदू धर्म की ही तरह मूर्तिपूजकों का धर्म था। ऐसा कहते हैं कि मक्का स्थित काबा का स्थान इन्हीं का पूजा स्थल था। इस्लाम के प्रचार के बाद इस धर्म का अस्तित्व लुप्त हो गया।
 
3. ग्रीक- इस धर्म को यूनानी धर्म भी कहते हैं। यह धर्म आज के समय में ग्रीस और इसके आसपास के इलाके में प्रचलित था, इनके भगवान हैं जियस, हरक्यूलिस, अपोलो इत्यादि।
 
4. रोमन- ये ज्यादातर रोमन साम्राज्य में प्रचलित था, जिसमें आज के इटली, फ्रांस जर्मनी इत्यादि देश आते हैं।
 
5. रशियन धर्म- 10वीं शताब्दी के अंत तक रशिया में ईसाई धर्म नहीं था। कहते हैं कि यहां हिन्दू और पारसी धर्म से मिलता जुलता ही धर्म था। वे अग्नि, सूर्य, पर्वत, वायु या पवित्र पेड़ों की पूजा के साथ ही सबसे प्रमुख देवता थे- विद्युत देवता या बिजली देवता। आसमान में चमकने वाले इस वज्र-देवता का नाम पेरून था। कोई भी संधि या समझौता करते हुए इन पेरून देवता की ही कसमें खाई जाती थीं और उन्हीं की पूजा मुख्य पूजा मानी जाती थी। प्राचीनकाल में रूस के दो और देवताओं के नाम थे- रोग और स्वारोग। सूर्य देवता के उस समय के जो नाम हमें मालूम हैं, वे हैं- होर्स, यारीला और दाझबोग। सूर्य के अलावा प्राचीनकालीन रूस में कुछ मशहूर देवियां भी थीं जिनके नाम हैं- बिरिगिन्या, दीवा, जीवा, लादा, मकोश और मरेना। प्राचीनकालीन रूस की यह मरेना नाम की देवी जाड़ों की देवी थी और उसे मौत की देवी भी माना जाता था। रूस में आज भी पुरातत्ववेताओं को कभी-कभी खुदाई करते हुए प्राचीन रूसी देवी-देवताओं की लकड़ी या पत्थर की बनी मूर्तियां मिल जाती हैं। कुछ मूर्तियों में दुर्गा की तरह अनेक सिर और कई-कई हाथ बने होते हैं। रूस के प्राचीन देवताओं और हिन्दू देवी-देवताओं के बीच बहुत ज्यादा समानता है।ALSO READ: लुप्त हो गए हैं दुनिया के ये प्राचीन धर्म
 
6. नॉर्डिक- ये पूर्वी यूरोपीय देशों में प्रचलित था। कहते हैं कि इनके देवता ओडिनी, थोर इत्यादि थे।
 
7. सबाईन : इस्लाम से पहले के समय में दक्षिण अरब के लोगों के लोगों में यह धर्म प्रचलित था। सबा के राज्य के संस्थापक का बाइबिल में सेबा नाम से उल्लेख मिलता है। 
 
हालांकि यह अनिश्चित है कि सबाईन ने इस क्षेत्र में सबसे पहले कब बसना शुरू किया था, लेकिन उनके राज्य को प्राचीन काल से मेसोपोटामिया के क्यूनिफॉर्म शिलालेखों के साथ-साथ उनके अपने दक्षिण सेमिटिक शिलालेखों से जाना जाता है। सबाईन का सबसे पहला उल्लेख 8वीं शताब्दी के अंत और 7वीं शताब्दी ईसा पूर्व की शुरुआत के असीरियन इतिहास में था। 
 
8. चर्वाक (charvaka): 600 ईसा पूर्व यह धर्म या दर्शन प्रचलन में था। इस धर्म की विचारधारा नास्तिकवाद का समर्थन करती थी। चर्वाक या लोकायत दर्शन स्पष्ट तौर पर 'ईश्वर' के अस्तित्व को नकारते हुए कहता है कि यह काल्पनिक ज्ञान है। तत्व भी पांच नहीं चार ही हैं। आकाश के होने का सिर्फ अनुमान है और अनुमान ज्ञान नहीं होता। 
 
9. आजीवक (Ajivak) : ईसवी से 600 साल पहले मक्खाली गोशाला नामक व्यक्ति ने इस धर्म की स्थापना की थी। द्ध और महावीर के प्रबल विरोधियों के रूप में आजीविकों के गौशाला मस्करी पुत्र (जिसे गोसाला मक्खलिपुत्त भी कहा जाता है) का उल्लेख जैन-बौद्ध-शास्त्रों में मिलता है। यह धर्म नियतिवाद का समर्थक था। 
 
10. माया धर्म :  माया सभ्याता का यह धर्म अमेरिका में अपना वर्चस्व रखता था। इस धर्म के लोग बहुतायत में थे परंतु अब बस इसका नाम ही रह गया है। माया सभ्यता मैक्सिको की एक महत्वपूर्ण सभ्यता थी। इस सभ्यता की शुरुआत 1500 ईस्वी पूर्व से मानी जाती है। इस सभ्यता में खगोल शास्त्र, गणित और कालचक्र को काफी महत्व दिया जाता था।
 
अन्य धर्म : कैनेनिट, एटिनिज़्म, मिनोयन, मिथरा, मैनिकेस्म, तेंग, असुर, ऑल्मेक, ग्नोस्तिसिस्म, याज्दानिस्म, अहल ई हक्क, सिचो-नो-ले, तेनरिक्यो, काओ दाई, यूनानी धर्म, सुमेरियाई धर्म, बेबिलोनिया धर्म, असीरियाई या अश्शूर धर्म, इजिप्ट का धर्म आदि।ALSO READ: ईसाई और इस्लाम से पहले धरती पर ये 15 धर्म प्रचलित थे, जो जुड़े हैं हिन्दुत्व से
 
 
 
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