Chanakya Niti: चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने नीति, धर्म, राजनीति और समाज की कई बातें लिखी हैं। चाणक्य के अनुसार ऐसे कई लोग हैं जिनकी प्रवृत्ति पिशाच के समान है। ऐसे लोगों को समाज स्वीकार नहीं करता है और उनका समाज में कहीं भी स्वागत या सम्मान नहीं होता है। ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखने में ही भलाई है अन्यथा ये लोग आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं।
1. मूर्ख : चाणक्य के अनुसार ऐसे लोगों का कहीं भी सम्मान नहीं होता है। वह अपनी बुद्धि हीनता के कारण हर समय नीचता का प्रदर्शन करता है और पिशाच की तरह व्यवहार करता है। ऐसे लोगों को कोई पसंद नहीं करता और सभी उससे बचना चाहते हैं।
2. अधार्मिक : चाणक्य के अनुसार, जो व्यक्ति सदाचार और धर्म को त्याग कर या अधर्म का रास्ता अपनाकर धन अर्जित करता है, उसे भी कहीं भी सम्मान नहीं मिलता। ऐसा व्यक्ति न केवल समाज में बल्कि अपनों के बीच में भी सम्मान खो बैठता है।
3. स्वार्थी : कुछ लोग अपना स्वार्थ साधने के लिए मीठी-मीठी बातें या फिर दूसरों की चापलूसी करते हैं। अधिकतर ऐसे लोग अयोग्य होते हैं और इन्हें सदैव अपनी चोरी पकड़े जाने का भया बना रहता है। इनकी अयोग्यता का राज खुलने पर यह भी सम्मान के पात्र नहीं रह जाते हैं। ऐसे लोग समाज या देश की चिंता नहीं करते केवल अपने बारे में सोचते हैं। स्वार्थी व्यक्ति नैतिकता और मूल्यों की परवाह नहीं करते हैं। वे अपने स्वार्थ के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। ऐसे लोग धोखेबाज और बेईमान भी होते हैं।
4. हिंसक : आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो व्यक्ति पशु-पक्षियों, बच्चों, मजदूर वर्ग, वृद्धजनों आदि पर अत्याचार करता रहता है। वह भी पिशाच के समान है। उसे भी कहीं भी सम्मान नहीं मिलता है। ऐसे लोगों को सम्मान देने वाले लोग भी सम्मान के पात्र नहीं रह जाते हैं।
5. दुष्ट स्त्री- दुष्ट स्त्री कई प्रकार की होती है। कर्कशा, चरित्रहीन या बुरे स्वभाव की स्त्री से दूर रहने में ही भलाई है अन्यथा आपका मान-सम्मान तो जाएगा ही, साथ में धन और कीमती समय भी जाता रहेगा। महाभारत और चाणक्य का मानना था कि सज्जन पुरुष अगर ऐसी ही किसी स्त्री के संपर्क में आते हैं तो उन्हें अपयश ही प्राप्त होता है।
6. हमेशा दुखी रहने वाले लोग- बहुत से लोग हैं, जो बिना बात के ही दुखी रहते हैं। ऐसे लोगों से हमेशा दूर रहें। महाभारत और चाणक्य के अनुसार कुछ लोग भगवान द्वारा बहुत कुछ दिए जाने के बाद भी हमेशा विलाप करते रहते हैं तथा अपना दुख प्रकट करते रहते हैं तो ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिए। क्यों?
दुखी लोगों के साथ रहकर अच्छे-भले सुखी लोग भी दुखी हो जाते हैं। बार-बार दुख पर चर्चा करना और दुख के बारे में ही सोचते रहने से एक दिन आपके जीवन में भी दुख प्रवेश कर जाएगा और आप भी दुखी ही रहेंगे। हंसना, रोना, सुखी रहना और दुखी रहना यह संक्रमण रोग की तरह होता है। हर व्यक्ति के जीवन में दुख होता है लेकिन उस दुख का रोना रोते रहो और उसका विस्तार करते रहो या उस दुख में ही सुखी रहो यह कहां तक उचित है।
7. अहंकारी : चाणक्य के अनुसार अहंकारी लोग भी पिशाच के समान होते हैं। ऐसे लोग दूसरों की बातों और विचारों की उपेक्षा करते हैं और केवल खुद की सुनते और मानते हैं। अहंकारी व्यक्ति दूसरों के साथ विनम्रता से पेश नहीं आते हैं। अहंकारी व्यक्ति दूसरों की परवाह नहीं करता। ऐसे लोगों को समाज स्वीकार नहीं करता। उन्हें भी सम्मान नहीं मिलता है।
8. ईर्ष्यालु : ईर्ष्यालु व्यक्ति दूसरों की सफलता से जलते हैं और उन्हें नीचा दिखाने का प्रयास करते हैं। ऐसे लोग नकारात्मक विचार और दूसरों के प्रति द्वेष भावना रखते हैं। ईर्ष्यालु व्यक्ति दूसरों की मदद नहीं करते और उनके साथ सहयोग नहीं करते हैं। ईर्ष्यालु दूसरों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते हैं। यह कभी भी हिंसक हो सकते हैं। समाज में ऐसे लोगों का भी सम्मान नहीं होता है।
9. आलसी और गैर जिम्मेदार : चाणक्य के अनुसार आलसी और गैर जिम्मेदार व्यक्ति भी पिशाच के समान होते हैं। आलसी व्यक्ति अपने कार्यों में लापरवाही बरतते हैं और उन्हें समय पर पूरा नहीं करते हैं। ऐसे लोग अपनी जिम्मेदारियों को नहीं निभाते और उन्हें नजरअंदाज करते हैं।
10. नशेड़ी : चाणक्य के अनुसार किसी भी प्रकार का नशा करने वाला व्यक्ति भी पिशाच के समान है क्योकि वह गैर जिम्मेदार, आलसी और हिंसक हो सकता है। समाज में ऐसे लोगों का सम्मान नहीं होता है।
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