Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य ने जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए कई सूत्र बताएं हैं कि जैसे किस तरह के व्यक्ति के साथ रहना चाहिए और किसके साथ नहीं और क्या करना चाहिए और क्या नहीं। इसी प्रकार उन्होंने बताया है कि कहां पर घर बनाने से जिंदगी हो जाती है बर्बाद। इसलिए भूलकर भी यहां घर नहीं बनाना चाहिए।
लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता।
पञ्च यत्र न विद्यन्ते न कुर्यात्तत्र संगतिम्॥ चाणक्य नीति
1. आचार्य चाणक्य के अनुसार ऐसी जगह घर नहीं बसाना चाहिए जहां लोक-लाज का डर न हो वहां पर लोगों के चरित्र का भी कोई भरोसा नहीं। सामाजिक भाव होना जरूरी है।
2. ऐसी जगह पर भी भूलकर भी घर नहीं बनाएं, जहां आपको आजीविका का साधन न मिले। यानि कमाई का कोई सोर्स नहीं हो तो वहां रहने से तो समस्याओं काही सामना करना पड़ेगा। वहां रहकर आप अपना समय ही बर्बाद करेंगे साथ में पैसा भी कुछ नहीं कमा पाएंगे। जिस जगह आदर-सम्मान न हो, जहां आजीविका का कोई साधन न हो, जहां कोई बंधु-बांधव न हों तथा किसी प्रकार की विद्या और गुणों की प्राप्ति की संभावना न हो, ऐसी जगह को छोड़ देना चाहिए।
3. चाणक्य कहते हैं कि ऐसी जगह भूलकर भी घर नहीं बनाना चाहिए जहां पर परोपकारी लोग नहीं रहते हों। जहां दान देने की भावना न हो ऐसे स्थान पर भी नहीं रहना चाहिए।
4. ऐसी जगह पर भी घर नहीं बनाना चाहिए जहां कानून का डर न हो। लोग अपने स्वार्थ के लिए कानून तोड़ देते हैं। ऐसी जगह रहें जहां पर लोग कानून का पालन करते हों।
5. चाणक्य नीति के अनुसार जिस जगह वेद को जानने वाला ब्राह्मण, धनिक, राजा, नदी और वैद्य न हों, उस स्थान पर मनुष्य को एक दिन भी नहीं रहना चाहिए।
यस्मिन देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बांधव:।
न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत्।- चाणक्य नीति
6. मान-सम्मान : आप जिस जगह पर रहते हैं वहां यदि आपको मान सम्मान न मिले बल्कि अनादर हो तो ऐसी जगह पर रहने का कोई मतलब नहीं। तरक्की की पहली शर्त ही है उचित सम्मान। छवि खराब है या छवि खराब करने वाले लोगों के बीच रह रहे हैं तो आप सफल नहीं हो सकते।
7. बंधु बांधव : यदि आपके घर के आसपास आपका कोई बंधु-बांधव अर्थात भाई, रिश्तेदार, मित्र या समाजजन नहीं रहते हैं तो उस स्थान को तुरंत छोड़ देना चाहिए। क्योंकि जरूत पड़ने पर कोई आपके साथ खड़ा नहीं होगा और उन्हीं से जीवन में खुशियां भी रहती है भले भी उनसे झगड़े होते रहें।
8. रोजगार : यदि आपके गांव, कस्बे या शहर में आजीविका चलाने के लिए रोजगार नहीं है या धन कमाने का कोई माध्यम नहीं है तो वहां रहने का क्या मतलब? क्योंकि जीवन तो धन से ही चलता है।
9. शिक्षा : यदि आप जहां रहते हैं वहां पाठशाला न हो या पढ़ाई-लिखाई शिक्षा को महत्व नहीं दिया जाता हो तो वहां रहना व्यर्थ है। शिक्षा के बगैर बच्चों का जीवन और भविष्य अंधकार में चला जाएगा।
10. गुण : जिस जगह पर स्कूली शिक्षा के अलावा Chanakya Niti : इन 10 जगहों पर घर बनाने से बर्बाद हो जाती है जिंदगी, तुरंत छोड़ दें आचार्य चाणक्य के अनुसार इन 10 जगहों पर घर नहीं बनाना चाहिए।