Chanakya niti : अपने बच्चों को दे रहे हैं शिक्षा तो चाणक्य की ये बात भी मान लें, वर्ना पछताएं
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने धर्म, राजनीति, अर्थशास्त्र के साथ ही शिक्षा को लेकर भी अपने विचार व्यक्त किए हैं। बच्चों की शिक्षा को लेकर चाणक्य ने बहुत अच्छी बात कही है जो हर माता पिता को समझना चाहिए। वर्तमान दौर में शिक्षा का महत्व बढ़ गया है। शिक्षित परिवार की सभ्य और धनवान बनने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। अशिक्षित परिवार और समाज दूसरों की गुलामी करता है।
1. मनुष्य का जन्म बहुत सौभाग्य से मिलता है, इसलिए हमें अपने अधिकाधिक समय का वेदादि शास्त्रों के अध्ययन में तथा दान जैसे अच्छे कार्यों में ही सदुपयोग करना चाहिए।
2. वे माता-पिता अपने बच्चों के लिए शत्रु के समान हैं, जिन्होंने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दी। क्योंकि अनपढ़ बालक का विद्वानों के समूह में उसी प्रकार अपमान होता है जैसे हंसों के झुंड में बगुले की स्थिति होती है।
3. शिक्षा विहीन मनुष्य बिना पूंछ के जानवर जैसा होता है, इसलिए माता-पिता का कर्तव्य है कि वे बच्चों को ऐसी शिक्षा दें जिससे वे समाज को सुशोभित करें।
4. अधिक लाड़ प्यार करने से बच्चों में अनेक दोष उत्पन्न हो जाते हैं। इसलिए यदि वे कोई गलत काम करते हैं तो उसे नजरअंदाज करके लाड़-प्यार करना उचित नहीं है। बच्चे को डांटना भी आवश्यक है।
5. विद्यार्जन करना एक कामधेनु के समान है, जो मनुष्य को हर मौसम में अमृत प्रदान करती है। वह विदेश में माता के समान रक्षक एवं हितकारी होती है। इसीलिए विद्या को एक गुप्त धन भी कहा गया है।
6. शिक्षित स्त्री बच्चों और परिवार को शिक्षित और सभ्य बनाती है और इससे ही एक सुसंस्कृत देश का निर्माण होता। इसलिए महिला की शिक्षा कुल ही नहीं समाज और देश को तारने वाली होती है।
- चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय से साभार।