Dussehra Vijayadashami 2024: इस बार शारदीय नवरात्रि का पर्व 3 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक रहेगा। दुर्गा अष्टमी 11 अक्टूबर की रहेगी और 12 अक्टूबर को नवमी रहेगी। इसी दिन दशहरा और विजयादशमी का महापर्व भी मनाया जाएगा। दशहरा के दिन रावण दहन, अपराजिता देवी पूजा, देवी विसर्जन, आयुध पूजा, शमी पूजा और दशहरा मिलन का खास महत्व रहता है। आओ जानते हैं कि आयुध पूजा यानी शस्त्र पूजा का क्या है विजयी मुहूर्त।
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उदयातिथि से कुछ लोग 12 अक्टूबर को भी मनाएंगे नवमी जो सुबह 10:58 तक रहेगी
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12 अक्टूबर 2024 को ही रहेगा दशहरा और विजयादशमी का पर्व
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शस्त्र पूजा का विजयी मुहूर्त और पूजा की विधि जानें
दशहरा आयुध पूजा विजय मुहूर्त- अपराह्न 02:03 से 02:49 के बीच
12 अक्टूबर 2024 की दशहरा पूजा के शुभ मुहूर्त:-
सुबह की नवमी पूजा: प्रात: 05:06 से 06:20 के बीच।
दोपहर की पूजा अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:45 से 12:32 के बीच।
शाम की पूजा: शाम 05:54 से 07:09 के बीच।
रात्रि की पूजा: अमृत काल में 06:28 से 08:15 के बीच।
दशहरा पर शस्त्र पूजन विधि:
- दशहरे के दिन सुबह जल्दी उठकर साफ वस्त्र धारण करें।
- इस दिन विजय मुहूर्त में पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है।
- इस मुहूर्त में शस्त्रों की पूजा की जाती है।
- सभी शस्त्रों पर गंगाजल छिड़कर उन्हें पवित्र करें।
- इसके बाद सभी शस्त्रों पर हल्दी या कुमकुम से तिलक कर फूल व शमी के पत्ते अर्पित करें।
- इस दिन दान-दक्षिणा और गरीबों को भोजन कराएं।
- इस दिन अपनों से बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
दशहरा पर शस्त्र पूजा सावधानी:
1. आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी को शस्त्र पूजन का विधान है। 9 दिनों की शक्ति उपासना के बाद 10वें दिन जीवन के हर क्षेत्र में विजय की कामना के साथ चंद्रिका का स्मरण करते हुए शस्त्रों का पूजन करना चाहिए।
2. विजयादशमी के शुभ अवसर पर शक्तिरूपा दुर्गा, काली की आराधना के साथ-साथ शस्त्र पूजा की परंपरा है।
3. दशहरा पर्व के अवसर पर अपने शस्त्र को पूजने से पहले सावधानी बरतना न भूलें। हथियार के प्रति जरा-सी लापरवाही बड़ी भूल साबित हो सकती है। हथियार खतरनाक होते हैं इसलिए इनकी साफ-सफाई में बेहद सावधानी की जरूरत होती है।