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अवचेतन मन की शक्ति का रहस्य, जानिए 10 चमत्कारिक शक्ति

Subconscious Mind | अवचेतन मन की शक्ति का रहस्य, जानिए 10 चमत्कारिक शक्ति
चेतन मन और अचेतन मन : हमारे मन की मुख्यतः दो अवस्थाएं होती हैं- 1. चेतन मन और 2. अवचेतन मन। दोनों के कई और भी स्तर होते हैं। सम्मोहन के दौरान अवचेतन मन को जागृत किया जाता है। ऐसी अवस्था में व्यक्ति की शक्ति बढ़ जाती है लेकिन उसका उसे आभास नहीं होता, क्योंकि उस वक्त वह सम्मोहनकर्ता के निर्देशों का ही पालन कर रहा होता है।
 
 
1. चेतन मन : इसे जागृत मन भी मान सकते हैं। चेतन मन में रहकर ही हम दैनिक कार्यों को निपटाते हैं अर्थात खुली आंखों से हम कार्य करते हैं। परंतु कई लोग जागे हुए भी सोए सोए से रहते हैं। मतलब यह कि जब तक आपके मस्तिष्क में कल्पना, विचार, चिंता, भय आदि चल रहे हैं तो आप पूर्ण चेतन नहीं हैं।
 
 
2. अवचेतन मन : जो मन सपने देख रहा है वह अवचेतन मन है। इसे अर्धचेतन मन भी कहते हैं। गहरी सुषुप्ति अवस्था में भी यह मन जागृत रहता है। विज्ञान के अनुसार जागृत मस्तिष्क के परे मस्तिष्क का हिस्सा अवचेतन मन होता है। हमें इसकी जानकारी नहीं होती। बौद्धिकता और अहंकार के चलते हम उक्त मन की सुनी-अनसुनी कर देते हैं। उक्त मन को साधना ही सम्मोहन है।
 
सम्मोहन व्यक्ति के मन की वह अवस्था है जिसमें उसका चेतन मन धीरे-धीरे निद्रा की अवस्था में चला जाता है और अर्धचेतन मन सम्मोहन की प्रक्रिया द्वारा निर्धारित कर दिया जाता है। साधारण नींद और सम्मोहन की नींद में अंतर होता है। साधारण नींद में हमारा चेतन मन अपने आप सो जाता है तथा अर्धचेतन मन जागृत हो जाता है। सम्मोहन निद्रा में सम्मोहनकर्ता चेतन मन को सुलाकर अवचेतन को आगे लाता है और उसे सुझाव के अनुसार कार्य करने के लिए तैयार करता है।
 
 
अवचेतन मन की शक्ति
1. हमारा अवचेतन मन चेतन मन की अपेक्षा अधिक याद रखता है एवं सुझावों को ग्रहण करता है। इसमें हमारी सभी तरह की भुल बिसरी यादें संवरक्षित हैं। 
 
2. अवचेचन मन का संबंध हमारे सूक्ष्म शरीर से होता है। इस अवस्था में सूक्ष्म शरीर से संबंध स्थापित करके व्यक्ति दूरस्थ स्थान या देश की यात्रा कर सकता है।
 
3. यह मन हमें आने वाले खतरे या उक्त खतरों से बचने के तरीके बताता है। यह मन लगातार हमारी रक्षा करता रहता है। 
 
4. यह मन हमें होने वाली बीमारी की यह मन 6 माह पूर्व ही सूचना दे देता है और यदि हम बीमार हैं तो यह हमें स्वस्थ रखने का प्रयास भी करता है। 
 
5. सम्मोहन क्रिया या ध्यान द्वारा इस मन की एकाग्रता, वाणी का प्रभाव व दृष्टि मात्र से उपासक अपने संकल्प को पूर्ण कर लेता है। 
 
6. इस मन के माध्यम से विचारों का संप्रेषण (टेलीपैथिक) अर्थात दूसरे के मन के विचार और भावों को ज्ञात किया जा सकता है।
 
7. इस मन के माध्यम से अदृश्य वस्तु या आत्मा को देखखा जा सकता है।
 
8. इस मन के माध्यम से दूरस्थ दृश्यों को भी देखा जा सकता है। 
 
9. इसके सधने से व्यक्ति को घटना, बीमारी या रोग के होने का पूर्वाभास हो जाता है।
 
10. इस मन के माध्यम से व्यक्ति दूसरे के विचारों को बदल सकता है और उसे स्वस्थ कर सकता है।
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