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महान वीरांगना रानी दुर्गावती के बारे में जानें।
दरिंदे अकबर के सामने नहीं मानी थी हार।
महान रानी दुर्गावती कौन थीं।
Rani Durgavati Balidan Diwas : वर्ष 2024 में 24 जून को भारत की महान वीरांगना रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस हैं। वे साक्षात दुर्गा थी। आइए जानते हैं उनके वीरता के बारे में...
जब भी छत्राणी रानी दुर्गावती का इतिहास में जिक्र होता है तो कहा जाता हैं कि इस वीरतापूर्ण चरित्र वाली रानी ने अंत समय निकट जानकर स्वयं ही अपनी कटार सीने में मारकर आत्म बलिदान के पथ पर बढ़ गईं थीं।
उन्होंने दरिंदे और क्रूर तुर्क अकबर और उसकी सेना को कई बार धूल चटा दी थी, जो कि रानी के साम्राज्य को अपने कब्जे में लेकर रानी को अपने हरम की दासी बना कर रखना चाहता था, लेकिन इस बहादुर रानी ने वह लड़ाई लडीं जो आज भी हर भारतीय नारी के लिए शक्ति का सबसे बड़ा प्रतीक है।
महान वीरांगना रानी दुर्गावती बड़ी वीर थी। उनका जन्म 5 अक्टूबर 1524 को बांदा जिले के कालिंजर के राजा कीर्तिसिंह चंदेल के यहां कालिंजर किले में दुर्गाष्टमी के दिन हुआ था और इसी कारण उनका नाम दुर्गावती रखा गया।
वे कीर्तिसिंह चंदेल की एकमात्र संतान थीं। रानी दुर्गावती नाम के अनुरूप ही वह तेज, साहस, शौर्य और सुंदरता के कारण इनकी प्रसिद्धि चारों ओर फैली हुई थी। राजा संग्राम शाह के पुत्र दलपत शाह से उनका विवाह हुआ था। उनका पुत्र नारायण 3 वर्ष का ही था, तब दुर्भाग्यवश राजा दलपतशाह का निधन हो गया। अतः रानी ने स्वयं ही गढ़मंडला का शासन संभाला और मुस्लिम शासकों के विरुद्ध कड़ा संघर्ष किया और उनको अनेक बार परास्त किया था।
अकबर ने भी रानी के खिलाफ कई बार सेना भेजी, लेकिन उसे सफलता हाथ नहीं लगी, कहा जाता हैं कि अकबर के कडा मानिकपुर के सूबेदार ख्वाजा अब्दुल मजीद खां ने ही रानी दुर्गावती के विरुद्ध अकबर को उकसाया था।
अकबर दुर्गावती को भी अन्य राजपूत घरानों की विधवाओं की तरह अपने रनवासे की शोभा बनाना चाहता था, लेकिन उसे मुंह की कहानी पड़ी, फिर आखिरी में एक बार पुनः उसने शक्तिशाली सेना भेजी, लेकिन रानी दुर्गावती ने अकबर के जुल्म के आगे अपना सिर झुकने से इनकार कर दिया और देश की स्वतंत्रता और अपनी अस्मिता के लिए युद्ध भूमि में ही 24 जून 1564 में अपने जीवन का बलिदान दे दिया।
धन्य है रानी दुर्गावती का वह पराक्रम जिसने अनेक बार शत्रुओं को पराजित करते हुए भी हार नहीं मानी और अपनी कटार स्वयं ही अपने सीने में मारकर आत्म बलिदान के पथ पर बढ़ गईं।
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