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  4. Why Delhi should not remain the capital of India, know 5 reasons
Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 28 जुलाई 2025 (18:50 IST)

दिल्ली को क्यों नहीं रहना चाहिए भारत की राजधानी, 5 कारण जानें, पाकिस्तान और चीन की गिद्ध दृष्‍टि

Delhi will not be the capital of India in future
भारत की राजधानी को बदलने को लेकर काफी बहस चल रही है। कोई कह रहा है कि इसे दिल्ली से शिफ्ट करके साउथ में चेन्नई, बेंगलुरु, मैसूर या हैदराबाद शिफ्ट कर देना चाहिए। कोई कह रहा है कि इसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश या बिहार के सेंटर में ले जाना चाहिए। नहीं तो सेंट्रल इंडिया में किसी नई और सुरक्षित जगह इसे शिफ्ट किया जाना चाहिए। दिल्ली की जगह यदि भारत की नई नई राजधानी बनाने की संभावना पर विचार करें तो नागपुर और भोपाल को लेकर चर्चा ज्यादा हो रही है। अब सवाल है कि आखिर दिल्ली को क्या नहीं रहना चाहिए अब भारत की राजधानी?
 
दिल्ली को क्यों नहीं रहना चाहिए भारत की राजधानी, 5 कारण जानें?
1. सुरक्षा है प्रमुख कारण: कालांतर में दिल्ली को मुख्य राजधानी मान लिए जाने के चलते मुहम्मद बिन कासिम, मुहम्मद गौरी से लेकर बाबर तक सभी विदेशी आक्रांताओं ने दिल्ली पर आक्रमण करके खूब लूटपाट की। बाद में इस पर कब्जा करके यहीं से अपने राजपाट का संचालन किया। क्योंकि उनके लिए यह राजपाट संचालन और भारत के अन्य राज्यों पर आक्रमण करने के लिए सुविधाजनक जगह थी। लेकिन भारत विभाजन के बाद भारत के लिए सुरक्षा की दृष्टि से यह जगह उचित नहीं रही है और साथ ही अब यह अन्य राज्यों तक इसकी पहुंच के हिसाब से यह सुविधाजनक भी नहीं रही।
यदि भारत की भौगोलिक स्थिति को देंखे को दिल्ली को भारत की राजधानी बनाए रखना अब देश के लिए और भविष्‍य के लिए यह सुरक्षित नहीं माना जा सकता है। ऐसे इसलिए सोचा जाने लगा है कि दिल्ली नॉर्थ इंडिया के सेंटर में स्थिति है जिसके चलते भारत के शत्रु चीन और पाकिस्तान यहां पर आसानी से अपनी पहुंच बना सकते हैं। दिल्ली से पाकिस्तान की दूरी महज 450 किलोमीटर है जबकि चीन के अक्साई चीन मिलिट्री बेस की दूरी महज 750 किलोमीटर दूर है। ऐसे में यदि युद्ध होता है तो दिल्ली तक इन दोनों देशों का पहुंचना आसान होगा। यहां आसानी से मिसाइल या ड्रोन गिराए जा सकते हैं। प्रशासनिक आधार पर दिल्ली से देश का शासन चलाना भविष्य में मुश्किल हो सकता है।  
 
2. प्रदूषण और पर्यावरण: दिल्ली में प्रदूषण चरम पर पहुंच चुका है। दिल्ली का AQI लेवल 150 के आसपास बना रहता है और कभी कभी तो यह 200 पार कर जाता है। यहां सांस लेना मुश्किल है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार यमुना नदी में बैक्टीरिया लेवल 4000 गुना ज्यादा हो गया है। यमुना नदी में सफेद झाग से ढकी सतह का दृश्य प्रदूषण की गंभीर स्थिति की ओर इशारा करता है। नदी में सबसे चिंताजनक पैरामीटर फीकल कोलीफार्म है। जो मल-जनित बैक्टीरिया की उपस्थिति बताता है। दिल्ली में प्रदूषण के चलते फेफड़ों, कैंसर, मिर्गी, मधुमेह और यहां तक कि वयस्कों में होने वाली बीमारियों जैसे मल्टीपल स्क्लेरोसिस का जोखिम बढ़ गया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी एक बार दिल्ली के प्रदूषण को लेकर टिप्पणी की थी कि यहां कोई 3 दिन रुक जाए तो उसे संक्रमण हो सकता है। दिल्ली अब रहने लायक जगह नहीं रही। 
 
3. जनसंख्या: आज दिल्ली की जनसंख्या करीब 33 मिलियन है। यूएन की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला शहर बन जाएगा। दिल्ली में हर रोज कम से कम 1000 लोग आते हैं जिसमें से 300 लोग यहीं पर बस जाते हैं। इसके कारण ट्रैफिक के साथ ही कई अन्य चीजें भी बढ़ती जा रही है। जैसे देश में होने वाले 5 क्राइम में से 3 दिल्ली में ही होते हैं। इसी कारण लो स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग का विस्तार होना भी बड़ा कारण है। 
 
4. ट्रैफिक: 2021 में, दिल्ली को विश्व के सबसे भीड़भाड़ वाले शहरों में 11वें स्थान पर रखा गया था। 2024 में, दिल्ली को 44वां सबसे भीड़भाड़ वाला शहर केंद्र बताया गया, जिसमें 48% की भीड़भाड़ दर्ज की गई थी। दिल्ली में ट्रैफिक के कारण आए दिन जाम लगा रहता है। बारिश के दौरान तो यहां की स्थिति और भी बदतर हो जाती है। दिल्ली का औसत ट्रैफिक कंजेशन इंडेक्स पिछले 30 दिनों में लगभग 26 रहा है, जो इसे वैश्विक स्तर पर लगभग 22वें स्थान पर रखता है। सामान्य दिनों में ट्रैफिक कंजेशन इंडेक्स लगभग 26%, औसत रफ्तार 20–25 किमी/घंटा रहता है। 10 किलोमीटर की दूरी तय करने में करीब 25 से 40 मिनट लगते हैं। वीकेंड पर अक्सर ट्रैफ़िक और भी खराब हो जाता है। ऐसी स्थिति में शासन और प्रशासन के कामकाज के साथ ही आम जनता के जीवन पर भी इसका दुष्परिणाम देखा जा सकता है। 
 
5. क्राइम लेवल: दिल्ली में अपराध दर, विशेष रूप से महानगरों की तुलना में, अपेक्षाकृत अधिक है. 2022 में, दिल्ली में प्रति 100,000 व्यक्तियों पर 1832.6 अपराध दर्ज किए गए, जो इसे प्रमुख महानगरीय शहरों में सबसे अधिक बनाता है. 2021 में, दिल्ली में अपराध की दर पूरे भारत में सबसे अधिक थी। दिल्ली में बलात्कार, चोरी, डकैती, हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराध की संख्या पूरे देश के अन्य शहरों से कहीं ज्यादा है। दिल्ली में हिट और रन मामले भी बढ़ गए हैं। इसी के साथ ही ड्रग्स और नकली नोट का कारोबार भी पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है। 
 
वैश्विक जीवन क्षमता सूचकांक (Global Liveability Index) के अनुसार 173 वैश्विक शहरों में दिल्ली और मुंबई दोनों ने 141 वां स्थान साझा किया, स्कोर 60.2 (100 में से) प्राप्त करके। यह दर्शाता है कि शहर में रहने की गुणवत्ता सीमित चुनौतियों के बावजूद प्रभावित होती है। 1000 सबसे बड़े शहरों के तुलनात्मक अध्ययन में, दिल्ली 350वें स्थान पर है। वायु प्रदूषण, पर्यावरण, शुद्ध जल, भीड़भाड़, वाहनों की संख्या, इंफ्रास्ट्रक्चर, लिविंग कास्ट, सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य तमाम चीजों का अध्ययन करें तो दिल्ली की जनता को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। भारत में रहने लायक टॉप 10 में दिल्ली शामिल नहीं है।