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क्या वाकई भारत महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देश है? जानिए भयावह वैश्विक सच

क्या वाकई भारत महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देश है? जानिए भयावह वैश्विक सच - Is India really the most dangerous country for women?
लंदन के थॉम्सन रॉयटर्स फ़ाउन्डेशन द्वारा भारत को महिलाओं के लिए सबसे ख़तरनाक देश बताना सरासर झूठ है, फ़ेक न्यूज़ है। महिलाओं के साथ बलात्कार और दूसरे यौनदुराचार पश्चिमी देशों में भारत से कई गुना अधिक होते हैं। 
 
'थॉम्सन रॉयटर्स फ़ाउन्डेशन' कैनडा की 'थॉम्सन रॉयटर्स' नाम की अंतरराष्ट्रीय समाचार संस्था की लंदन स्थित 'परोपकारी' शाखा है। ब्रिटेन और अमेरिका ने उसे दूसरों का भला करने वाले 'परोपकारी' प्रतिष्ठान के तौर पर औपचारिक मान्यता दे रखी है। यहां 'दूसरे' और कोई नहीं, ब्रिटेन, अमेरिका और कैनडा जैसे पश्चिमी देश स्वयं ही हैं, जिनके भले के लिए दूसरों से उनका गुणगान करवाना ही 'परोपकार' है. 1983 से यह प्रतिष्ठान दुनिया को पश्चिमी चश्मे से देखने और उसी के अनुरूप रिपोर्टिंग करने का 15 हज़ार विदेशी पत्रकारों को प्रशिक्षण भी दे चुका है।  
 
ऐसे ही कुछ पत्रकारों के सहयोग से 'थॉम्सन रॉयटर्स फ़ाउन्डेशन' ने 26 जून 2018 को प्रकाशित अपने वैश्विक सर्वे में भारत को महिलाओं के लिए संसार में सबसे ख़तरनाक देश घोषित किया है। यह सर्वे पश्चिमी दुनिया के काले चश्मे से ग़ैर-पश्चिमी दुनिया को देखने का सबसे ताज़ा घृणित उदाहरण है। 'थॉम्सन रॉयटर्स फ़ाउन्डेशन' का कहना है कि उसके निष्कर्ष 548 महिला और पुरुष विशेषज्ञों की राय पर आधारित हैं। ये कथित ''विशेषज्ञ'' सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, विकास सहायताकर्मी, डॉक्टर और पत्रकार हैं। फ़ाउन्डेशन का बड़बोला दावा है कि 'हम मानव तस्करी और ग़ुलामी, महिलाओं के अधिकार तथा पर्यावरण और समुत्थान के क्षेत्र में निष्पक्ष चिंतन के नेतृत्वकारी स्रोत का काम करते हैं...'
 
सर्वे की सबसे बड़ी कमियां
 
पहली बात, फ़ाउन्डेशन ने इन कथित ''विशेषज्ञों'' को अपनी पसंद के अनुसार चुना, इसलिए उनकी राय निष्पक्ष या तथ्यपरक होना अनिवार्य नहीं है। दूसरी बात, यह सर्वे महिलाओं के बीच जा कर उनसे प्रत्यक्ष बातचीत पर आधारित नहीं है, इसलिए वास्तविकता की सही तस्वीर नहीं माना जा सकता। तीसरी बात, केवल 548 कथित विशेषज्ञ दुनिया की कुल जनसंख्या की आधी, यानी पौने चार अरब महिलाओं और लड़कियों के बारे में इतनी सटीक जानकारी नहीं रख सकते हैं कि वे जो कहें सो मान लिया जाए। 
 
चौथी और सबसे निर्णायक बात यह है कि इस सर्वे में महिलाओं के साथ हुई घटनाओं की संख्या और देशों की जनसंख्या के बीच कोई अनुपात बताए बिना, एक अरब 33 करोड़ जनसंख्या वाले भारत की तुलना, परोक्ष रूप से, अधिकतर अराजकतग्रस्त ऐसे-ऐेसे देशों से की गई है, जो भारत से कई गुना छोटे हैं। 10 सबसे ख़तरनाक देशों की सूची में अमेरिका को दसवें स्थान पर रख कर यह दिखावा किया गया है कि सर्वे निष्पक्ष था। यह कमियां सर्वे को पूर्णतः पूर्वाग्रही, बेतुका और दुर्भावनापूर्ण बना देती हैं। उसका महत्व ''विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र" भारत को किसी न किसी तरह नीचा दिखाते हुए पश्चिमी देशों की पीठ थपथपाने और अपने मुंह मियां मिठ्ठू बनने से अधिक नहीं माना जा सकता। 
 
पश्चिमी देश और भी पतित हैं?
 
इससे कोई इंकार नहीं करेगा कि भारत में महिलाओं के साथ बढ़ता हुआ दुराचार बहुत ही चिंता और शर्म का विषय है, पर, क्या यूरोप के स्कैन्डीनेवियाई देशों सहित वे पश्चिमी देश दूध के धुले हैं, जिन्हें ब्रिटेन में लंदन स्थित 'थॉम्सन रॉयटर्स फ़ाउन्डेशन' ने अपने सर्वे में सबसे बुरे 'टॉप टेन' देशों से बाहर रखा है? 
 
बात लंदन और ब्रिटेन से ही शुरू करते हैं। ब्रिटिश दैनिक 'दि इन्डिपेन्डेन्ट' की वेबसाइट पर 23 फ़रवरी 2018 को प्रकाशित एक समाचार का शीर्षक था, लंदन ने एक ही साल में बलात्कार के मामलों को 20 प्रतिशत बढ़ते देखा, पर पुलिस स्वीकार करती है कि वह इसका कारण समझ नहीं पा रही है। इस समाचार के अनुसार, 81 लाख 36 हज़ार की जनसंख्या वाले लंदन के मेयर के अधीनस्थ पुलिस और अपराध कार्यालय (एमओपीएसी) ने, 2017 में, बलात्कार के 7,613 मामले दर्ज किए। 12 महीने पहले यह आंकड़ा 6,392 था।
 
लंदन में हर दिन 21 बलात्कार
 
दूसरे शब्दों में, दिल्ली या मुंम्बई की अपेक्षा आधी से भी कम जनसंख्या वाले अकेले लंदन शहर में, पिछले वर्ष 24 घटों के हर दिन, औसतन कम से कम 21 बलात्कार हो रहे थे...कह सकते हैं कि लंदन में हर घंटे क़रीब एक बलात्कार होता है। दूसरी ओर 'थॉम्सन रॉयटर्स फ़ाउन्डेशन' के सर्वे का कहना है कि भारत में यानी एक अरब 33 करोड़ की जनसंख्या वाले पूरे भारत में 2016 में बलात्कार के हर घंटे औसतन चार मामले दर्ज किये जा रहे थे।   

ज़रा सोचें कि जब 81 लाख 36 हज़ार की जनसंख्या वाले अकेले लंदन शहर में ही, हर घंटे औसतन एक बलात्कार हो रहा है, और एक अरब 33 करोड़ निवासियों वाले पूरे भारत में औसतन चार, तो फिर कौन-सा देश महिलाओं के लिए सबसे अधिक ख़तरनाक़ है, भारत या ब्रिटेन? 
 
सोचने की बात यह भी है कि सर्वे के द्वारा यदि भारत पर निशाना साधने की दुर्भावना काम नहीं कर रही थी, तो लंदन में ही बैठे हुए 'थॉम्सन रॉयटर्स फ़ाउन्डेशन' के अधिकारियों को लंदन में ही हो रहा यह घोर पतन या लंदन के बारे में 23 फ़रवरी का यह समाचार- क्यों नहीं दिखा? उनका सर्वे इस समाचार के चार महीने बाद प्रकाशित हुआ है। 
 
ब्रिटेन बलात्कारियों का देश
 
भारत पर यह आरोप भी लगाया गया है कि बलात्कार और यौन-दुराचार के अपराधियों को बहुत कम ही कोई सज़ा भुगतनी पड़ती है। ठीक यही शिकायत 'दि इन्डिपेन्डेन्ट' ने ब्रिटेन के बारे में भी की है। उसने लिखा कि ब्रिटेन के अकेले इंग्लैंड और वेल्स प्रदेश के बारे में हुए एक सर्वे के आधार पर अनुमान लगाया गया कि मार्च 2017 से पहले के 12 महीनों में वहां 5,10,000 महिलाओं और 1,38,000 पुरुषों को गंभीर क़िस्म के यौन दुराचार झेलने पड़े। हर छह में से पांच पीड़ितों (83 प्रतिशत) ने पुलिस के पास शिकायत नहीं की, क्योंकि उन्हें डर था कि केस-मुकदमा लंबा चलेगा और अदालत में अपनी बात प्रमाणित कर पाना उनके लिए और अधिक पीड़ादायक होगा। 
 
ब्रिटेन के केवल इंग्लैंड और वेल्स प्रदेश में ही यौनदुराचारों में ऐसी बाढ़ आ गयी है कि उसे एक गंभीर संकट के रूप में देखा जाने लगा है। वहां प्रकाशित 2017-18 के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार हर साल 85,000 महिलाओं और 12,000 पुरुषों को बलात्कार का शिकार बनाया जाता है। केवल वयस्कों के साथ ही बलात्कार के हर दिन औसतन 11 मामले होते हैं, जिनमें बलपूर्क शारीरिक संबंध बनाने के मामले भी शामिल हैं। यह हाल है संसदीय लोकतंत्र के जन्मदाता और दुनिया भर पर राज कर चुके ब्रिटेन का, जहां अब महिलाओं को ही नहीं, पुरुषों को भी भारी संख्या में यौनदुराचार का शिकार बनाया जा रहा है। 
यूरोप में ब्रिटेन नंबर एक
 
यूरोपीय संघ के सांख्यिकी कार्यालय 'यूरोस्टाट' ने भी 24 नंवंबर 2017 को ब्रिटेन के बारे में कुछ चौंकाने वाले आंकड़े प्रकाशित किए। इन आंकड़ों के अनुसार ब्रिटेन के अकेले इंग्लैंड और वेल्स प्रदेश की पुलिस द्वारा दर्ज किए गए बलात्कारों के मामले, पूरे यूरोपीय संघ के किसी भी देश की अपेक्षा, सबसे अधिक हैं। इन मामलों की संख्या दूसरे नंबर पर रहे फ्रांस से भी क़रीब तीन गुनी अधिक है। उल्लेखनीय है कि इन आंकड़ों में ब्रिटेन के दो अन्य प्रदेशों स्कॉटलैंड और उत्तरी आयरलैंड का कोई उल्लेख नहीं मिलता। हो सकता है कि वहां के आंकड़े भी जोड़ने पर स्थति इतनी भयावह लगे कि उस पर विश्वास करना ही कठिन हो जाए।  
 
'यूरोस्टाट' ने पाया कि 2015 में ब्रिटेन के अकेले इंग्लैंड (जनसंख्या 5,52,68,000 )और वेल्स प्रदेश (जनसंख्या 30,63,000) में कुल मिलाकर 35,700 बलात्कार हुए, जबकि फ्रांस में (जनसंख्या 6, 69, 00,000) उस वर्ष 12,900 बलात्कार दर्ज किए गए। उस समय जर्मनी की जनसंख्या 8,16,90,000 थी और वहां हुए बलात्कारों की संख्या सात हज़ार से कुछ अधिक रही। 

 
बलात्कारों के लिए कुख्यात स्कैन्डिनेवियाई देश स्वीडन में (जनसंख्या 98 लाख) जर्मनी से कुछ ही कम 5,500 बलात्कार हुए। प्रति एक लाख निवासियों के पीछे प्रतिवर्ष औसतन 62 बलात्कारों के साथ इंग्लैंड और वेल्स ने औसतन 57 बलात्कारों वाले स्वीडन को दूसरे नंबर पर धकेल दिया है। 
 
जर्मनी में हर दिन 30 बलात्कार
 
यूरोप में सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश जर्मनी में बलात्कारों का अनुपात पश्चिमी यूरोप के अन्य देशों की अपेक्षा कुछ कम अवश्य था, पर अब जर्मनी में भी यह समस्या गंभीर रूप धारण करने लगी है। 2017 के आधिकारिक आंकड़े कहते हैं कि बलात्कार कर डालने या बलात्कार के लिए ज़ोर-ज़बर्दस्ती करने के अपराधों की संख्या 2015 में लगभग सात हज़ार से बढ़ कर 2017 में 11,282 हो चुकी थी, जो हर दिन 30 बलात्कारों के बराबर है। जर्मनी में हर सप्ताह बलात्कार की औसतन दो से तीन घटनाओं का अंत पीड़िता की हत्या के साथ होता है, ताकि वह जीवित रह कर कोई गवाही न दे सके। भारत और जर्मनी के बीच जनसंख्या के भारी अंतर को देखते हुए यदि भारत को भी जर्मनी की बराबरी करनी हो, तो भारत में हर दिन 480 से अधिक बलात्कार होने चाहिए, जबकि होते हैं 100 से भी कम।   
'थॉम्सन रॉयटर्स फ़ाउन्डेशन' के सर्वे में भारत में महिलाओं की सुरक्षा के लिए ख़तरों को वर्षों से युद्ध या गृहयुद्ध जर्जरित अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया या सोमालिया से भी अधिक बताया गया है। स्वयं यह दावा ही उसके निष्कर्षों का खंडन करने के लिए पर्याप्त हैं। 
 
क्रमश : इस आलेख के अगले भाग का इंतजार करें, आंखें खोल देने वाला भयावह सच 
 
चित्र सौजन्य : राम यादव/ वेबदुनिया 
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