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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 17 मई 2025 (16:11 IST)

तुर्किए का क्या है मुगलों से कनेक्शन, भारत में कौन हैं इनके वंशज?

Turkiye
boycott turkey trend: तुर्की भारत के सारे अहसान भूलकर पाकिस्तान की मदद कर रहा है क्योंकि उसे सिर्फ एक ही चीज से मतलतब है और वह यह कि वह पाकिस्तान जैसे मुल्कों के कंधे पर बंदूक रखकर फिर से दुनिया का खलीफा बनना चाहता है। वह चाहता है कि वह इस्लामिक दुनिया का मरकज यानी केंद्र बन जाए जोकि वह पहले कभी था। पाकिस्तान का साथ तुर्की इसलिए देता है क्योंकि यह दोनों मिलकर फिर से भारत पर कब्जा करने का सपना देख रहे हैं। तुर्की जो कुछ वर्ष से भारत के विरोध में एक मुस्लिम देशों का संगठन बनाने की लगातार कोशिश कर रहा है उसके एक नेता के नाम से दिल्ली में एक सड़क है जिसे मुस्तफा कमाल अतातुर्क मार्ग कहते हैं। ALSO READ: बाजार से तुर्की के सेब गायब, पाकिस्‍तान से दोस्‍ती पड़ी महंगी, भारी गुस्‍से में भारतीय, सोशल मीडिया में बायकॉट तुर्की ट्रेंड
 
यदि हम भारत के इतिहास की बात करें तो भारत के एक बड़े हिस्से पर तुर्क के लोगों ने राज किया था। इसमें सिंध, बलूच, पंजाब, पख्तून, कश्मीर, उत्तर प्रदेश और बिहार शामिल है। भारत में मुगलों को तुर्क माना जाता है। हजरत मुहम्मद साहिब की वफाद के बाद खिलाफत संस्था का गठन हुआ जिसने कई अभियान चलाकर दुनिया के कई देशों में इस्लामिक शासन स्थापित किया। मोहम्मद बिन कासिक के बाद खलीफाओं ने तुर्क सरदार गजनी को भारत पर आक्रमण करने के लिए भेजा जिनसे 17 बार आक्रमण करके लुटपाट की और कई क्षेत्रों में इस्लामिक हुकूमत कायम कराई। महमूद गजनवी के बाद मुहम्मद गौरी ने भी यही किया जो एक तुर्क था। मुहम्मद गौरी खुद के द्वारा फतह किए गए राज्यों की जिम्मेदारी को उसने अपने गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक को सौंप दिया। इसके बाद खिलजी वंश का शासन दिल्ली पर हो गया। खिलजी कबीला मूलत: तुर्किस्तान से आया था। इसके बाद दिल्ली पर तुगलक वंश का शासन स्थापित हुआ। तुगलकों को आमतौर पर तुर्की-मंगोल या तुर्क मूल का माना जाता है। 
 
इसके बाद 1399 में तैमूरलंग द्वारा दिल्ली पर आक्रमण के साथ ही तुगलक साम्राज्य का अंत कर दिया। तैमूरलंग चंगेज का वंशज होने का दावा करता था, लेकिन असल में वह तुर्क था। चंगेज खां तो चीन के पास मंगोलिया देश का था। यह मंघोल ही मंगोल और फिर मुगल हो गया। तैमूर लंग ने पंजाब तक अपने राज्य का विस्तार कर लिया था।ALSO READ: क्या चीन और तुर्की ने पाकिस्तान को भेजे हथियार, Turkey सरकार ने दिया बड़ा बयान
 
तुर्क साम्राज्य यानी आटोमन एम्पायर से शुरू में मुगलों का मामूली रिश्ता रहा लेकिन जैसे-जैसे आटोमन एम्पायर की जड़े गहराती गईं, मुगलों से उसके धार्मिक एवं राजनीतिक रिश्ते भी बनते गए। कुछ समय के लिए मुगलों ने ऑटोमन साम्राज्य के शासकों को खलीफा और इस्लामिक उम्मा का मकरकज भी मान लिया था। 
 
तुर्की का मुगलों से गहरा नाता है। मुगल शासन में मंसबदारी प्रथा, दरबारी प्रथा, जागीरदारी, घुड़सवार सेना, रीति-रिवाज पर तुर्की का खासा असर था। यह सब तुर्की-मंगोल परंपराओं से प्रभावित थे। मुगलों ने तुर्की से तोपें मंगाई थीं। मुगलों के निर्माण की गुंबद और मीनारों की वास्तुकला पर तुर्की की कला का प्रभाव देखा जा सकता है। यह सब इसलिए क्योंकि मुगल मूलतः मध्य एशिया के मंगोल और तुर्की क्षेत्रों की उपज थे। पहले ये बौद्ध थे और बाद में ये सभी मुसलमान हो गए। ऑटोमन साम्राज्य एवं मुगल, दोनों ने ही इस्लाम की रक्षा की. उसके मूल्यों को आगे बढ़ाया। मुगलों और ऑटोमन साम्राज्य में खलीफा बेहद महत्वपूर्ण स्थान था. मुगलों ने आटोमन साम्राज्य के शासकों को खलीफा के रूप में मान्यता दी थी।
 
1526 ई. में पानीपत के प्रथम युद्ध में दिल्ली सल्तनत के अंतिम वंश (लोदी वंश) के सुल्तान इब्राहिम लोदी की पराजय के साथ ही भारत में मुगल वंश की स्थापना हो गई। इस वंश का संस्थापक बाबर था जिसका पूरा नाम जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर था। इतिहासकार मानते हैं कि बाबर अपने पिता की ओर से तैमूर का 5वां एवं माता की ओर से चंगेज खां (मंगोल नेता) का 14वां वंशज था। वह खुद को मंगोल ही मानता था, जबकि उसका परिवार तुर्की जाति के 'चगताई वंश' के अंतर्गत आता था। पंजाब पर कब्जा करने के बाद बाबर ने दिल्ली पर हमला कर दिया। इसके बाद उसका बेटा नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ दिल्ली के तख्त पर बैठा। हुमायूं के बाद जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर, अकबर के बाद नूरुद्दीन सलीम जहांगीर, जहांगीर के बाद शहाबुद्दीन मोहम्मद शाहजहां, शाहजहां के बाद मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब, औरंगजेब के बाद बहादुर शाह प्रथम, बहादुर शाह प्रथम के बाद अंतिम मुगल बहादुर शाह जफर दिल्ली का सुल्तान बना।
 
ऊपर बताए गए सभी नाम तुर्क यानी तुर्किये से संबंध रखते हैं। मुगल बादशाहों के वर्तमान वंशज भारत में कई जगहों पर रह रहे हैं। जैसे सुल्ताना बेगम जो बहादुर शाह जफर की परपोती हैं, कोलकाता के एक झुग्गी-झोपड़ी में रहती हैं। प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तूसी हैदराबाद में रहते हैं। इनका निकाह प्रिंसेस हुमौरा फातिमा के साथ 7 मई, 1997 को हुआ था। इनके दो बेटे हैं। प्रिंस याकूब शाहरुखुद्दीन तूसी और प्रिंस याकूब वैघिउद्दीन तूसी। बहादुर शाह जफर (भारत के अंतिम मुगल सम्राट) के ग्रेट ग्रैंडसन (पड़पोते) हैं प्रिंस याकूब हबीबउद्दीन तूसी। मुगल वंश से संबंध नहीं रखने वाले कई तुर्क भी भारत में रह रहे हैं, लेकिन इन सभी की संख्या बहुत कम है। भारत में जो मुसलमान रहते हैं उनक सभी के पूर्वज हिंदू रहे हैं, फिर चाहे वह हिंदुस्तानी सहित अफगानी हो, बांग्लादेशी हो या पाकिस्तानी। भारत में ईरान से संबंध रखने वाले लोग भी बहुत संख्या में रहते हैं।