India vs Pakistan के बीच क्रिकेट संबंध शायद खेल के लंबे इतिहास में सबसे विचित्र हैं। यह दो धारी तलवार की तरह है। एक तरफ तो यह एकता की ताकत है तो दूसरी ओर क्रिकेट से प्यार करने वाले दोनों देशों को एक दूसरे के खिलाफ हार नागवार है।इसकी झलक 50 ओवर के विश्व कप में साफ तौर पर दिखती है जहां भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अब तक सभी सात मुकाबले जीते हैं।
क्रिकेट के सबसे भव्य मंच पर जहां भारत और पाकिस्तान के क्रिकेटर की नहीं बल्कि प्रशंसक भी एक-दूसरे से आगे निकलने का प्रयास करते हैं वहां आंकड़ों के समान लम्हें भी समान महत्व रखते हैं।दोनों पड़ोसी देशों के बीच क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता 1952 में शुरू हुई जब अब्दुल कारदार के नेतृत्व में पाकिस्तान ने पांच मैचों की टेस्ट श्रृंखला के लिए भारतीय धरती पर कदम रखा लेकिन अधिक चर्चित विश्व कप की जंग 1992 में शुरू हुई।
एकदिवसीय विश्वकप में भारत बनाम पाकिस्तान का मैच ऐसा होता है, जिस पर ना केवल सभी क्रिकेट प्रेमियों की नजर रहती है, पर जो क्रिकेट देखता भी नहीं है वह भी इस मैच को शुरु से लेकर अंत तक देखना चाहता है।
भारत ने अब तक 7 बार पाकिस्तान को लगातार हराया है। पाकिस्तान शुरुआत से ही इस प्रारुप में तगड़ी टीम रही है लेकिन विश्वकप में लगा मनौवैज्ञानिक दबाव उन पर साल दर साल बढ़ता ही गया। आइए जानते हैं कैसे भारत ने पाकिस्तान पर उस साल से ही दबदबा बनाया जब से वह विश्व विजेता बना।
1992 - भारत 1987 में पाकिस्तान से भिड़ सकता था लेकिन सेमीफाइनल में दोनों ही टीमें हार गई। भारत का वनडे विश्वकप में पाकिस्तान से पहला मुकाबला सिडनी में हुआ। यह मैच दोनों ही देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण बन गया था।भारत ने यहां वर्ल्ड कप 1992 की पहली जीत हासिल की। पहले खेलते हुए भारत ने 216/7 का स्कोर बनाया और पाकिस्तान को 173 रनों पर ऑल आउट कर दिया।
यह मैच इसके परिणाम से अधिक जावेद मियांदाद और किरण मोरे की मजाकिया झड़प के लिए याद किया जाता है।तेज गेंदबाजी के लिए मुफीद इस पिच पर सचिन तेंदुलकर के नाबाद 54 रनों से भारत 216 रनों तक पहुंच पाया। इस मैच में सभी भारतीय बल्लेबाज सफल हुए लेकिन सचिन तेंदुलकर ने 62 रन पर खेल रहे आमिर सौहेल का विकेट लेकर टीम के लिए मैच बना दिया। यही कारण रहा कि सचिन तेंदुलकर को मैन ऑफ द मैच का पुरुस्कार मिला।भारत प्रतिष्ठित सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में पाकिस्तान से विश्व कप में पहली बार भिड़ा और 43 रन से विजेता बना।
1996- पहली बार भारत अपने ही मैदान पर पाकिस्तान से विश्वकप में भिड़ रही थी। दोनों ही टीमों के बीच क्वार्टरफाइनल मैच बैंगलूरू के चिन्नास्वामी स्टे़डियम में खेला गया था। भारत ने नवजोत सिंह सिद्धू के शानदार 93 रनों के बाद अजय जड़ेजा के तूफानी 45 रनों की मदद से 287 रन बनाए, जो उस जमाने में पहाड़ जैसे माने जाते थे। अजय जड़ेजा ने वकार यूनिस की अंतिम ओवर में खूब धुनाई की थी जिसके वीडियो आज भी सोशल मीडिया पर वायरल होते हैं।
पाकिस्तान टीम की शुरुआत इतनी धुआंधार हुई थी कि बैंगलोर में सन्नाटा छा गया था। आमिर सोहेल और सईद अनवर की जोड़ी ने 10 ओवरों में सिर्फ 84 रन जोड़ लिए थे। इसके बाद आमिर सोहेल (55 रन) ने वैंकटेश प्रसाद को इशारा किया और बेमतलब में अपना विकेट गंवाया। तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद ने पाकिस्तान की पारी के दौरान एक ऐसा क्षण बनाया जो अब विश्व कप हॉल ऑफ फेम में प्रमुख स्थान रखता है।
आमिर सोहेल ने कवर पर एक चौका लगाया और पाकिस्तान के सलामी बल्लेबाज ने प्रसाद को इशारा किया कि वह इसी तरह और शॉट मारेंगे।लेकिन प्रसाद ने अगली ही गेंद पर सोहेल का विकेट उखाड़ दिया और फिर पाकिस्तान कभी लक्ष्य के करीब पहुंचने की स्थिति में नहीं दिखा और अंतत: नौ विकेट पर 248 रन पर ही बना सका। यहां से भारत का पलड़ा मजबूत हुआ। प्रसाद और कुंबले ने 3-3 विकेट लिए लेकिन मैन ऑफ द मैच नवजोत सिंह सिद्धू को मिला। पाकिस्तान 248 रन ही बना पाई और भारत 39 रनों से मैच जीत गया।
1999- भारत पाकिस्तान का मुकाबला मैनचेस्टर में सुपर सिक्स के दौरान हुआ। भारत और पाकिस्तान के बीच इस वक्त कारगिल युद्ध भी चल रहा था जहां भारत बीस थी। लेकिन मैच में उतरने से पहले कागज पर ना केवल पाकिस्तान 20 थी बल्कि भारत को शारजाह में त्रिकोणीय श्रृंखला हराकर भी आई थी।
भारतीय और पाकिस्तानी प्रशंसक जीत के अलावा किसी और चीज से संतुष्ट नहीं होने वाले थे। दोनों देश के खिलाड़ी उग्र राष्ट्रवादी भावना में नहीं बहे और क्रिकेट का एक अप्रत्याशित मुकाबला खेला।
भारत के लिए यह करो या मरो का मैच भी था। टॉस जीतकर भारत ने पहले बल्लेबाजी चुनी। राहुल द्रविड़ ने एक धीमा अर्धशतक (61 रन) लगाया लेकिन बुरे फॉर्म में चल रहे मोहम्मद अजहरुद्दीन ने (59 रन) बनाए। इन पारियों की बदौलत भारत 6 विकेट के नुकसान पर 227 रनों तक पहुंचा। यह कोई बड़ा स्कोर नहीं था 240 तक के स्कोर विश्वकप में चेस किए जा रहे थे।
बहरहाल इस बार पाकिस्तान की शुरुआत बहुत खराब रही। पाकिस्तान के लिए अंत तक सिर्फ इंजमाम उल हक (41 रन) ही किला लड़ाते रहे लेकिन पाकिस्तान की पूरी टीम 180 रनों पर ऑल आउट हो गई। वैंकटेश प्रसाद को 5 विकेट लेने के कारण मैन ऑफ द मैच मिला और टीम 47 रनों से मैच जीत गई।
2003- इस विश्वकप में भारत और पाकिस्तान एक ही ग्रुप में थी और दोनों ही टीम दक्षिण अफ्रीका के सेंचुरियन में भिड़ी। पहली बार पाक ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी की। सईद अनवर पाक की ओर से भारत के खिलाफ विश्वकप में शतक जड़ने वाले पहले बल्लेबाज बने जिससे स्कोर 273 रनों तक चला गया।
इसके बाद सचिन तेंदुलकर ने एक यादगार मैच जिताऊ पारी खेली।मुंबई के इस बल्लेबाज ने सेंचुरियन में अकरम, शोएब अख्तर और यूनिस की पाकिस्तान की तेज गेंदबाजी तिकड़ी के खिलाफ शानदार शॉट खेले। अख्तर के खिलाफ उनका अपर कट अब भी लोगों के जहन में ताजा है जो थर्ड मैन के ऊपर से छह रन के लिए गया था।
तेंदुलकर 32 रन पर आउट हो गए होते लेकिन अब्दुल रज्जाक ने उनका कैच टपका दिया।अकरम ने इसके बाद रज्जाक से वह प्रसिद्ध सवाल पूछा, तुझे पता है किसका कैच छोड़ा है। 75 गेंदो में सचिन ने 98 रन जड़े। इसके बाद युवराज सिंह ने अंत में अर्धशतक जड़ा। सचिन को इस एतिहासिक पारी के लिए मैन ऑफ द मैच का अवार्ड मिला।भारत यह मैच 6 विकेट से जीत गया।
दोनों टीम 2007 विश्व में आमने-सामने नहीं आ पाईं और लीग चरण से ही बाहर हो गईं।2011- बल्लेबाजी में भाग्य और गेंदबाजी में अनुशासन के अनोखे मिश्रण से भारत ने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को विश्वकप 2011 के महामुकाबले में 29 रन से चित करके सह-मेजबान श्रीलंका से खिताबी मुकाबले में भिड़ने का हक पाया।
क्रिकेट कूटनीति का गवाह बना यह मैच दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों और कई दिग्गज हस्तियों ने भी देखा। महेंद्रसिंह धोनी के रणबांकुरों ने मनमोहन सिंह और उनकी टीम में खूब जोश भरा और पाकिस्तान पर विश्वकप में अपना शत-प्रतिशत रिकॉर्ड बरकरार रखा। भारत तीसरी बार फाइनल में पहुँचा।
पीसीए स्टेडियम में भाग्य भारत के साथ था। सचिन तेंडुलकर ने चार जीवनदान और रेफरल का फायदा उठाकर 115 गेंद पर 85 रन बनाए। वीरेंद्र सहवाग (38) ने टीम को तूफानी शुरुआत दिलायी लेकिन वहाब रियाज (46 रन देकर पाँच विकेट) के झटकों से रन गति धीमी पड़ गई। सुरेश रैना ने आखिर में 36 रन की अच्छी पारी खेली, जिससे भारत ने नौ विकेट पर 260 रन का चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा किया।
मैच में गेंदबाजों ने अंतर पैदा किया। भारतीय गेंदबाजों ने बेहद अनुशासित खेल दिखाया और नियमित अंतराल में विकेट लेकर पाकिस्तान को बड़ी साझेदारी नहीं निभाने दी। मिसबाह उल हक ने 76 गेंद पर 56 रन बनाए पर पाकिस्तान 49. 5 ओवर में 231 रन ही बना पाया। भारत की तरफ से पाँचों गेंदबाजों जहीर खान, आशीष नेहरा, मुनाफ पटेल, हरभजन सिंह और युवराज सिंह ने दो-दो विकेट लिए।भारत यह मैच 29 रनों से जीता।
2015- भारत पाकिस्तान एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया में आमने सामने हुए, मैदान था एडिलेड का।विराट कोहली ने बेहतरीन बल्लेबाजी करते हुए 107 रनों का योगदान दिया और भारतीय पारी को 300 पहुंचाया। विराट कोहली का यह एतिहासिक शतक था। भारत पाकिस्तान मुकाबले में शतक जड़ने वाले वह पहले भारतीय बने थे। इसके अलावा पहली बार पाकिस्तान के खिलाफ भारत 300 के आंकड़े तक किसी विश्वकप मैच में पहुंचा था।
पाकिस्तान की बल्लेबाजी में दूसरे विकेट की साझेदारी के अलावा कुछ खास नहीं रहा। पाक के कप्तान मिस्बाह उल हक ने 76 रनों की पारी खेली। गेंदबाजी विभाग में मोहम्मद शमी ने बेहतरीन पदर्शन करते हुए 35 रन देकर 4 विकेट लिए। पाकिस्तान की पूरी टीम 224 पर आउट हो गई और भारत यह मैच 76 रनों से जीत गया।
2019- हिटमैन रोहित शर्मा (140) के जबरदस्त शतक और कप्तान विराट कोहली (77) तथा ओपनर लोकेश राहुल (57) के शानदार अर्द्धशतकों और गेंदबाजों के सधे प्रदर्शन से भारत ने चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को आईसीसी विश्वकप के वर्षा बाधित मुकाबले में डकवर्थ-लुईस नियम के तहत 89 रन से रौंद दिया।
भारत ने 50 ओवर में 5 विकेट पर 336 रन का चुनौतीपूर्ण स्कोर बनाया और पाकिस्तान की चुनौती को उभरने से पहले ही ध्वस्त कर दिया। पाकिस्तान की पारी में जब उसका स्कोर 35 ओवर में 6 विकेट पर 166 रन था, तब बारिश आने के कारण खेल रोक देना पड़ा।
35 ओवर के समय डकवर्थ-लुईस नियम के तहत स्कोर 252 रन था और पाकिस्तानी टीम उस समय 86 रन से पीछे थी। बारिश रुकने के बाद खेल जब शुरू हुआ तो पाकिस्तान के लिए ओवर 40 कर दिए गए और लक्ष्य 302 रन कर दिया गया। पाकिस्तान को शेष 5 ओवर में 136 रन बनाने थे, जो असंभव काम था। पाकिस्तान की टीम 6 विकेट पर 212 रन तक ही पहुंच सकी।
शनिवार को अहमदाबाद में भारत-पाक प्रतिद्वंद्विता के अध्याय में एक नया पन्ना जुड़ेगा। अब देखना यह है कि भारत अपने विजय रथ को आगे बढ़ाते हुए स्कोर 8-0 करता है या फिर पाकिस्तान इस सिलसिले पर विराम लगाने में सफल रहता है।