नई दिल्ली, किसी वायरस का असर समाप्त करने के लिए वैज्ञानिक उन प्रोटीन्स को निशाना बनाने पर जोर देते हैं, जो उस वायरस की गतिविधियों लिए जिम्मेदार होते हैं। कोरोना वायरस के मामले में भी वैज्ञानिक कुछ इसी तरह की रणनीति अपनाने पर जोर दे रहे हैं।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मंडी के शोधकर्ताओं ने अपने एक ताजा अध्ययन में कोविड-19 वायरस के एक प्रमुख प्रोटीन की संरचना के एक हिस्से को दर्शाया है। माना जा रहा है कि इस खुलासे से कोविड-19 वायरस की गतिविधि, संक्रमण, बीमारी की गंभीरता समझने और वायरस-रोधी उपचार विकसित करने में शोधकर्ताओं को बड़ी कामयाबी मिल सकती है।
आईआईटी, मंडी में बायोटेक्नोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रजनीश गिरी ने बताया है कि "अनुरूपता या 'आकार' की दृष्टि से कई प्रोटीनों में क्रमबद्ध और आंतरिक रूप से अव्यवस्थित क्षेत्र होते हैं। यह पारंपरिक अनुरूपता सार्स-सीओवी-2 वायरस के प्रोटीन में भी होती है। गैर- संरचनात्मक प्रोटीन- एनएसपी 1 की संरचना 180 अमीनो एसिड से बनी होती है।
अलबामा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पहले 1-127 क्षेत्रों को स्वतंत्र संरचना बनाते दिखाया है। हालांकि, इस एनएसपी1 प्रोटीन के शेष 131 से 180 अमीनो एसिड क्षेत्रों पर किसी शोध-समूह ने कोई प्रायोगिक प्रमाण नहीं दिया है। जबकि, होस्ट के प्रतिरक्षा तंत्र को दबाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका देखी गई है। हमने इस क्षेत्र की संरचना को अलग से दर्शाया है।”
इस वायरस में 16 गैर संरचनात्मक प्रोटीन (एनएसपी 1 एनएसपी 16) हैं, जिनमें एनएसपी 1 वायरस की रोग पैदा करने की क्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एनएसपी 1 होस्ट सेल के प्रोटीन को बाधित करता है और इसके प्रतिरक्षा कार्यों को दबा देता है। इसीलिए, शोधकर्ताओं का मानना है कि एनएसपी 1 सी-टर्मिनल क्षेत्र की परस्पर गतिविधियों की आणविक प्रक्रिया, जैव-भौतिकीय अंत:क्रियाओं व रसायन-विज्ञान को समझना महत्वपूर्ण है।
अपने पूर्व अध्ययनों का हवाला देते हुए डॉ गिरी ने बताया कि “हमारी टीम ने विभिन्न परिस्थितियों में सार्स-सीओवी-2 एनएसपी की संरचनात्मक अनुरूपता का प्रायोगिक अध्ययन किया है। बिना प्रायोगिक अध्ययनों के हम यह यकीन से नहीं कह सकते थे कि यह 131-180 एमिनो एसिड क्षेत्र वास्तव में आंतरिक रूप से अव्यवस्थित प्रोटीन क्षेत्र है, या फिर यह क्रमबद्ध क्षेत्र है। आमतौर पर, ये क्षेत्र सॉल्यूशन में खुलते हैं, लेकिन होस्ट सेल के अंदर किसी अणु या भागीदार से बंधने पर अनुरूपता (कन्फर्मेशन) में मुड़ जाते हैं।”
यह परीक्षण एक कार्बनिक घोल, मेंब्रेन माइमेटिक वातावरण व लिपोसोम में किया गया है। इसमें सर्कुलर डाइक्रोइज्म स्पेक्ट्रोस्कोपी, फ्लोरोसेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी व आण्विक गतिशीलता सिमुलेशन जैसी विश्लेषणात्मक तकनीकों का उपयोग करते हुए एनएसपी 1 के आईडीआर के कन्फर्मेशन में गतिशील परिवर्तन दर्शाए गए हैं, जो इसके परिवेश के परिणास्वरूप होते हैं। इसकी वजह प्रोटीन व परिवेश के बीच परस्पर हाइड्रोफोबिक व इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रक्रियाएं होती हैं। विभिन्न परिवेशों में सार्स-सीओवी-2 वायरस के एनएसपी 1 सी-टर्मिनल क्षेत्र (अवशेष 131-180) की गैर-क्रमबद्ध अनुरूपता के बारे में महत्वपूर्ण अंर्तदृष्टि प्रदान करते हैं, जो अब तक अज्ञात एनएसपी 1 के व्यापक आयामों व बंधन भागीदारों से परस्पर प्रक्रिया समझने में मदद कर सकती है।
एनएसपी 1 जैसे प्रमुख वायरल प्रोटीन की अनुरूपता व संबंधित कार्यों को समझना अंतत: उपचार विकसित करने में सहायक हो सकता है, जो इन प्रोटीन को लक्ष्य बनाने में प्रभावी हो सकता है, और वायरस को रास्ते में रोकने में सक्षम हो सकता है। यह अध्ययन शोध पत्रिका करंट रिसर्च इन वायरोलॉजिकल साइंस में प्रकाशित किया गया है। शोधार्थियों में डॉ गिरी के अलावा अमित कुमार, अंकुर कुमार, प्रतीक कुमार के साथ बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की शोधकर्ता डॉ. नेहा गर्ग शामिल थीं।
(इंडिया साइंस वायर)