Ground Story : प्रवासी मजदूरों के चलते कोरोना के नए गढ़ बनते गांव?
कोरोना संक्रमण को खत्म करने के लिए देश में जिस लॉकडाउन का सहारा लिया गया वह तीसरे दौर के खत्म होते होते एक नया संकट लेकर आ गया है। बड़े शहरों मेंं हुई तालाबंदी के बाद जिस तरह लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर वापस अपने गांव पहुंच रहे है वह अब गांवों में कोरोना के नए कैरियर बनते दिखाई दे रहे है। जिसके चलते अब गांव कोरोना के नए गढ़ भी बनते हुए दिखाई दे रहे है। मध्यप्रदेश के साथ उत्तरप्रदेश, बिहार और झारखंड में प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में कोरोना पॉजिटिव पाए गए है।
मध्यप्रदेश में कई जिलों के करीब 100 से अधिक गांव जो एक पखवाड़े पहले कोई कोरोना मुक्त थे वह अब कोरोना संक्रमण के दायरे में आ गए है। प्रदेश में दो हफ्तों के अंदर कोरोना ने एक दर्जन नए जिलों में दस्तक दी है जिनमें बहुत से मामले प्रवासी मजदूरों से जुड़े है।
अब तक कोरोना मुक्त सिवनी जिले में जो पहला कोरोना पॉजिटव केस सामने आया है, वह प्रवासी मजूदर ही है। जिले के घंसौर तहसील का युवक जो मजदूरी के लिए महाराष्ट्र गया था वह तालाबंदी के बाद जब वापस लौटा तो कोरोना पॉजिटिव पाया गया।
ठीक इसी तरह बिहार में अब तक 850 से अधिक कोरोना पॉजिटिव केस मिले है जिसमें 150 से अधिक प्रवासी मजदूर है। राज्य में कोरोना के जो नए केस मिल रहे है उनमें अधिकतर प्रवासी मजदूर है जो हाल में ही बिहार लौटे है। हालात इस कदर बिगड़े रहे है कि पूरे प्रदेश कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुका है।
वहीं बिहार से सटे झारखंड में 4 दिन में 35 प्रवासी मजूदरों के कोरोना पॉजिटिव मिलने से हड़कंप मच गया है। मंगलवार को हजारीबाग जिले में जो नए 6 मरीज मिले वह सभी पिछले दिनों मुंबई से लौटे थे।
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अब तक 10 लाख से अधिक प्रवासी मजूदर अपने घर लौट चुके है। खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि कोरोना संकट के चलते आने वाले दिनों यह आंकड़ा 20 लाख तक पहुंच सकता है। ऐसे में ये प्रवासी मजदूर गांव में बीमारी फैलाने के नए करियर बन सकते है। पिछले दिनों सूबे के श्रावस्ती जिले के मल्हीपुर थाना इलाके में एक गांव में मुंबई से लौटे 4 प्रवासी मजदूर कोरोना पॉजिटिव मिले है जिसके बाद पूरे गांव में दहशत का माहौल है।
लॉकडाउन में हुई तालाबंदी के चलते लाखों लोगों का पलायन कोरोना संक्रमण के लिए बड़ा खतरा बन सकता है, इसको लेकर अप्रैल के पहले हफ्ते में विश्व स्वास्थ्य संगठन की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने सरकार को आगाह किया था, उन्होंने चेताया था कि अगर लोगों का पलायन ऐसे जारी है तो भारत के गांव कोरोना के नए गढ़ बनेंगे।
गांवों में कोरोना के बढ़ते हुए खतरे को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ अपनी वीडियो कांफेंसिंग में गांवों में महामारी को फैलने को लेकर सतर्क किया। प्रधानमंत्री ने सभी मुख्यमंत्रियों को गांव में संक्रमण फैलने से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने की बात कही है।
साफ दिख रहा है आने वाले कुछ महीनों में चुनौतियाँ अभूतपूर्व और गम्भीर होने वाली हैं. ऐसे में अब जिले से नीचे नगर, कस्बों और गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत बनाने की जरूरत है। कोरोना महामारी को फैलाव रोकने और लोगों के इलाज के लिए तहसील और जिला स्तर बड़े पैमाने पर डॉक्टरों और पैरामेडिकिल स्टॉफ की तैनाती करनी होगी और खतरे को देखते हुए इनकी बड़े पैमाने पर भर्ती की भी जरुरत है।