जब दुनिया के साथ ही देश के कई शहरों में कोरोना वायरस एंट्री कर चुका था और लोग इससे जुझ रहे थे, उस वक्त तक हिंदुस्तान के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में कोरोना संक्रमण का एक भी प्रकरण दर्ज नहीं हुआ था।
देवी अहिल्या की नगरी कहे जाने वाले इंदौर का पिछले चार से पांच सालों में ट्रांसफॉर्मेशन सा हो गया है। सफाई में तीन बार अव्वल आ चुका शहर चौथी बार भी सफाई में नंबर एक आने के गीत गा रहा है। आलम यह है कि अब गुटखा खाने वाला भी खाली हो चुकी पाउच के प्लास्टिक को तब तक हाथ और जेब में संभालकर रखता है जब तक कि उसे डस्टबीन नहीं मिल जाता।
लेकिन कोरोना संकट के बीच इंदौर के लोगों का सच सामने आ गया है। एक हफ्ते के भीतर ही कई कोरोना संक्रमण के 19 लोग सामने आ गए अचानक और अब यह आंकड़ा लगातार बढता जा रहा है। इनमें से दो की मौत हो चुकी है।
आखिर क्यों हुआ ऐसा और क्यों हो रहा है?
यह बात है उस दिन की जब प्रधानमंत्री मोदी देशवासियों से घर में रहने की अपील करते हुए जनता कर्फ्यू वाला नया प्रयोग कर रहे थे। पूरे देश में मोदी की अपील का असर हुआ, लोगों ने सुबह से लेकर शाम तक जनता कर्फ्यू का पालन किया। कर्मवीरों के लिए जनता ने ताली और थाली दोनों बजाई। लेकिन शाम होते ही इंदौर के पाटनीपुरा और राजवाड़ा पर जो दृश्य नजर आए वो बेहद दुखी करने वाले थे।
जहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना था वहां इंदौर के कुछ हजार लोग अपने शहर को शर्मसार करते हुए जुलूस के साथ राजवाड़ा और पाटनीपुरा पहुंच गए।
इन दृश्यों ने पूरे देश में सबसे साफ शहर इंदौर की तस्वीर को न सिर्फ धुमिल किया बल्कि जनता कर्फ्यू की भी धज्जियां उड़ा दी।
इंदौर प्रशासन और पुलिस महकमा जनता कर्फ्यू को सख्ती से लागू करने में नाकाम रहा।
इधर इसी बीच मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन के चलते करीब तीन दिनों तक प्रदेश बगैर मुख्यमंत्री के रहा, ऐसे में प्रशासन को समझ ही नहीं आया कि आखिर क्या और कैसे करना है।
इसका नतीजा भी सामने आ चुका है। इसी शनिवार को इंदौर कलेक्टर लोकेश जाटव और डीआईजी रुचिवर्धन को इंदौर से हटा दिया गया है, यह काम शिवराज सिंह चौहान के चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद हुआ। अब मनीष सिंह कलेक्टर और हरीनारायण चारी मिश्र डीआईजी हैं। यह वही मनीष सिंह हैं जिनके इंदौर कमिश्नर रहते इंदौर दो बार सफाई में नंबर वन आया था और तीसरी बार उन्हीं की योजना पर काम करते हुए नए कमिश्नर आशीष सिंह के सिर पर हैट्रिक का ताज बंधा।
लेकिन तब तक शायद बहुत देर हो चुकी थी, प्रशासन अब तक शहर में कर्फ्यू का सख्ती से पालन ही नहीं करवा पा रहा है।
अब कोरोना को लेकर इंदौर अलार्मिंग स्टेज पर आ चुका है। कई स्थानों से संक्रमण के मरीज मिल रहे हैं। उन इलाकों में लोग प्रशासन को सहयोग नहीं कर रहे हैं, जहां से संक्रमण के ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं।
सबसे ज्यादा चिंता की बात तो यह है कि जिन दो लोगों की मौत कोरोना वायरस के कारण हुई है, उनकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री ही नहीं है। यानी उन्हें संक्रमण कहां से लगा इसका सोर्स किसी को नहीं पता है। ऐसे में इंदौर में ज्यादा अहतियात और सख्ती की जरुरत है।
कोराना के मरीज तो अब भी लगातार सामने आ रहे हैं, लेकिन अब कमान नए कलेक्टर और डीआईजी के हाथों में है, यह बेहद ज्यादा संकट का काल है, इसमें अब इंदौर प्रशासन कैसे इस विपदा से निपटेगा यही सबसे अहम सवाल होगा।