बीजेपी सांसद के पत्र ने खोल दी कानपुर स्वास्थ्य महकमे की पोल, तीसरी लहर को लेकर सरकार से लगाई गुहार
कानपुर में कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, वहीं सही से इलाज न मिल पाने के चलते मरने वालों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता चला जा रहा है लेकिन जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग आंकड़ों के साथ खेल करते हुए मौतों को कम दर्शा रहा है और सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रही खबरों को गलत साबित करने में जुटा हुआ था, लेकिन आज कानपुर के सांसद के एक पत्र ने स्वास्थ्य महकमे की पोल खोलकर रख दी है और कानपुर में फैली अव्यवस्थाओं को भी सामने लाकर रख दिया है।
तीसरी लहर को लेकर जाहिर की चिंता : कानपुर से सांसद सत्यदेव पचौरी ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को पत्र लिखकर उनसे मांग की है कि कोविड-19 लहर की अपेक्षा वर्तमान लहर से कानपुर में अत्यधिक लोगों की मृत्यु हो रही है। उनमें से अधिकांश ऐसे मामले हैं, जिन्हें समय पर उपचार नहीं मिल पाया और ऐसे लोगों की मृत्यु हॉस्पिटल के बाहर एंबुलेंस में अथवा अपने घरों में हो गई है।
देश-विदेश के अनेक विशेषज्ञों द्वारा यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत में कोविड-19 की तृतीय लहर भी आ सकती है, जो विगत एवं वर्तमान दूसरी लहर की अपेक्षा अत्यधिक घातक साबित होगी।ऐसी स्थिति में प्रभारी मंत्री होने के नाते किस प्रकार कानपुर में स्वास्थ्य व्यवस्था, मेडिकल स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ, ऑक्सीजन व दवाओं की उपलब्धता एवं वैक्सीनेशन की सुचारू व्यवस्था बनाई जाए।
जिससे कि तीसरी लहर से जनता को पुनः वर्तमान कठिनाइयों का सामना न करना पड़े, इसके लिए अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर आवश्यक निर्देश देने का कष्ट करें, जिसकी समस्त जानकारी आम जनता तक भी पहुंचे।कानपुर शहर के सांसद होने के नाते मैं आश्वस्त करता हूं कि मुझसे जो भी अपेक्षा होगी, उसमें मेरा पूरा सहयोग रहेगा।ऐसी आपदा में सबकी मदद करना आवश्यक है।
पत्र ने खोल दी स्वास्थ्य विभाग की पोल : कानपुर में इलाज के लिए दर-दर भटक रहे मरीजों को बेड न मिल पाना ऑक्सीजन की लंबी-लंबी लाइनों को लेकर जहां जिला प्रशासन सोशल मीडिया व मीडिया पर प्रकाशित हो रही खबरों को लेकर सवाल खड़े कर रहा था तो वहीं सांसद के पत्र ने स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की पोल खोलकर रख दी है और पुष्टि कर दी है कि कानपुर में अव्यवस्थाओं के चलते अत्यधिक मौतें हुई हैं।
बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें समय पर इलाज ही नहीं मिल पाया, उन्होंने या तो अपने घरों में या फिर एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया है।सांसद के इस पत्र के बाद कहीं ना कहीं सीधे तौर पर जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की नाकामियां भी खुलकर सामने आ गई हैं। इस पत्र के बाद अब न ही कोई जवाब जिला प्रशासन के पास है और न ही स्वास्थ्य विभाग के पास।