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Last Updated : मंगलवार, 6 सितम्बर 2022 (21:23 IST)

कोरोना के खिलाफ जंग में एक और छलांग, नेजल वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए CDSCO की मंजूरी

कोरोना के खिलाफ जंग में एक और छलांग, नेजल वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए CDSCO की मंजूरी - Big Boost to India's Fight Against COVID-19, nasal vaccine approved
नई दिल्ली। भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने मंगलवार को भारत बायोटेक द्वारा तैयार नाक से दिए जाने वाले इंट्रानेजल कोविड टीके का 18 साल से अधिक उम्र के लोगों पर सीमित आपात इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी। इस नेजल वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए CDSCO की मंजूरी भी मिल गई है।
 
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने ट्वीट किया कि भारत की कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को बड़ा प्रोत्साहन मिला है। भारत बायोटेक के सीएचएडी36- सार्स-कोव-एसकोविड-19 (चिम्पैंजी एडिनोवायरस वेक्टर्ड) नेजल टीके को आपात स्थिति में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के प्राथमिक टीकाकरण में इस्तेमाल की मंजूरी भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने दी है।
 
मांडविया ने कहा कि इस कदम से महामारी के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई को और मजबूती मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अपने देश के विज्ञान, अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) का उपयोग किया है। उन्होंने कहा कि विज्ञान आधारित रुख और सबके प्रयास से हम कोविड-19 को हरा देंगे।
कंपनी सूत्रों ने बताया कि हैदराबाद की कंपनी ने करीब 4,000 स्वयंसेवकों पर इंट्रानेजल टीके (नाक के जरिए लिए जाने वाले टीके) का क्लिनिकल परीक्षण किया है और किसी में दुष्प्रभाव या विपरीत प्रतिक्रिया नहीं देखी गई है।
 
उल्लेखनीय है कि कंपनी ने अगस्त महीने में बताया था कि कोविड-19 इंट्रानेजल टीका (बीबीवी154) तीसरे चरण के नियंत्रित चिकित्सकीय परीक्षण में सुरक्षित, वहनीय और प्रतिरोधी क्षमता से युक्त साबित हुआ है। टीका निर्माता ने बताया कि बीबीवी154 को विशेष तौर पर नाक के रास्ते देने के लिए तैयार किया गया है। कंपनी ने कहा कि इसके साथ ही नाक से टीका देने की प्रणाली को इस तरह से डिजाइन व विकसित किया गया है जिससे यह निम्न व मध्य आय वाले देशों के लिए किफायती हो।
कंपनी ने कहा कि इंट्रानेजल टीका, बीबीआई154 श्वास मार्ग के ऊपरी हिस्से में एंटीबॉडी पैदा करता है जिससे कोविड-19 के संक्रमित करने और प्रसार करने की संभावित क्षमता कम करने में मदद मिलती है। इस दिशा में और अध्ययन की योजना बनाई गई है।
 
गौरतलब है कि बीबीवी154 की प्राथमिक खुराक (शुरुआती 2 खुराक) के तौर पर प्रभाव और कोविड-19 के अन्य टीके (कोविशील्ड या कोवैक्सीन) की 2 शुरुआती खुराक लेने वालों को तीसरी खुराक के तौर पर बीबीवी154 देने पर होने वाले असर का आकलन करने के लिए 2 अलग-अलग और साथ-साथ क्लिनिकल परीक्षण किए गए।
 
डीसीजीआई ने अलग से कंपनी को कोवैक्सीन के साथ बीबीवी154 (इंट्रानेजल)की प्रतिरोधक क्षमता और सुरक्षा की तुलना करने के लिए तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण करने की भी अनुमति दी थी। यह परीक्षण 9 स्थानों पर करने की अनुमति दी गई थी।(भाषा)