गुरुवार, 21 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. वेबदुनिया विशेष 09
  4. »
  5. बाल दिवस
  6. जब पं. नेहरू का इलाज करने आए मुख्यमंत्री
Written By भाषा

जब पं. नेहरू का इलाज करने आए मुख्यमंत्री

जवाहरलाल नेहरू : जन्मदिवस पर विशेष

Pandit Jawaharlal Nehru | जब पं. नेहरू का इलाज करने आए मुख्यमंत्री
ND
स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक अनूठी घटना के तहत प्रधानमंत्री के बीमार पड़ने पर उनके इलाज के लिए एक राज्य के मुख्यमंत्री को दिल्ली आना पड़ा और दिलचस्प बात यह है कि इलाज कारगर भी साबित हुआ। इस घटना में बीमार व्यक्ति देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और चिकित्सक पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. विधानचंद्र राय थे।

यह वाक्या उस समय का है जब नेहरू के बीमार पड़ने के बाद डॉक्टरों द्वारा कराए जा रहे इलाज से उन्हें कोई आराम नहीं मिल पा रहा था। नेहरू के साथ प्राय: उनकी पुत्री इंदिरा गांधी भी तत्कालीन प्रधानमंत्री आवास तीन मूर्ति में रहती थीं लेकिन उस दौरान वह भी दिल्ली में नहीं थीं।

नेहरू की छोटी बहन कृष्णा हठीसिंग ने अपनी पुस्तक ‘इंदु से प्रधानमंत्री’ में 1962 की इस रोचक घटना का जिक्र करते हुए लिखा है कि संयोग से वह उस समय तीन मूर्ति भवन में थी। इलाज का नेहरू पर असर नहीं होते देख उन्होंने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री डॉ. राय को फोन किया और उन्हें सारी स्थिति से अवगत कराया। इस पर डॉ. राय ने कृष्णा को चिंता नहीं करने को कहा और यह कहा कि वह स्वयं दिल्ली आकर नेहरू को देखेंगे।

इसके बाद डॉ. राय विमान से दिल्ली पहुँचे। उनके आने की जानकारी चूँकि नेहरू को पहले नहीं दी गई थी इसलिए उनके आने पर प्रथम प्रधानमंत्री ने आश्चर्य व्यक्त किया। बहरहाल, कृष्णा हठीसिंग के अनुसार डॉ. राय ने डॉक्टरों द्वारा नेहरू को दी जाने वाली सभी दवाएँ बदल दी और उनकी जगह नई दवाएँ शुरू करवाई। डॉ. राय के उपचार से नेहरू जल्द ही स्वस्थ हो गए। कृष्णा हठीसिंग के अनुसार बाद में डॉ. राय को बुलाने के उनके फैसले के लिए नेहरू और इंदिरा गाँधी, दोनों ने उन्हें धन्यवाद दिया।

ND
पंडित नेहरू से जुड़ी अपनी स्मृतियों को ताजा करते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री सत्यप्रकाश मालवीय ने बताया कि प्रधानमंत्री बनने के बाद भी नेहरू एक मतदाता के रूप में अपने मताधिकार के प्रयोग के लिए इलाहाबाद आते थे। वह आनंद भवन के पते से मतदाता थे और कर्नलगंज के बूथ पर अपना वोट डालने जाते थे।

उन्होंने कहा कि नेहरू के बाद यह परंपरा बदल गई और बाद के अधिकतर प्रधानमंत्री दिल्ली में ही वोट डालने लगे। मालवीय ने बताया कि नेहरू प्रधानमंत्री बनने के बाद इलाहाबाद आने पर बमरौली हवाई अड्डे से खुली कार में आनंद भवन जाते थे। उन्होंने यह भी कहा कि रास्ते में जगह-जगह लोग नेहरू को रोक कर उनका स्वागत करते, उनके सामने अपनी शिकायतें रखते या कई बार विपक्षी दलों के कार्यकर्ता उन्हें काले झंडे दिखाकर विरोध भी करते। लेकिन हर स्थिति में नेहरू अपना हँसमुख स्वभाव बनाए रखते और लोगों से गर्मजोशी से मिलते थे।

इलाहाबाद के ही एक अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुनीत व्यास ने बताया कि नेहरू के मन में इलाहाबाद के लिए विशिष्ट स्थान था और जीवन भर वह जब भी इलाहाबाद आते तो आनंद भवन या अन्य स्थानों पर कोई भी व्यक्ति उनसे जाकर मिल सकता था।

उन्होंने बताया कि वह एक बार आनंद भवन में स्थानीय निवासियों के एक दल के साथ नेहरू से मिलने गए। इस दल ने जब नेहरू से शहर का हाउस टैक्स बढ़ने की शिकायत की तो नेहरू एकदम नाराज हो गए कि इसका प्रधानमंत्री से क्या लेना-देना है। इस पर उन्हें याद दिलाया कि एक समय वह भी इलाहाबाद म्युनिसिपल बोर्ड के अध्यक्ष थे। लिहाजा इस मामले में उन्हें कुछ प्रयास कर शहर के निवासियों को राहत दिलवानी चाहिए। व्यास के अनुसार नेहरू को यह बात याद दिलाए जाने पर उन्होंने इस मामले में संबंद्ध लोगों से बात करने का तुरंत आश्वासन दिया। (भाषा)