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Written By ND

सीएम साथ तो डर काहे का !

सीएम साथ तो डर काहे का ! -
- अंबिका चंद्रवंशी
मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अपने गृहजिले की सीट सियाराम साहू के भरोसे छोड़ दी है। साहू को जब से टिकट मिला है, तब से लोग मजा लेते हुए कह रहे हैं, सीएम हैं साथ तो डर काहे का। एक तो साहू के सिर पर मुख्यमंत्री का हाथ है, दूसरे संसाधन और मुद्दे भी काफी हैं। वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी योगेश्वरराज सिंह को मुद्दे तलाशने पड़ रहे हैं। सियाराम साहू के पास अगर कुछ नहीं है, तो वह है अपनों का भरपूर साथ। चर्चा है कि सीएम से उनकी निकटता पार्टी के कुछ नेताओं को नागवार गुजर रही है। पार्टी का एक बड़ा खेमा साहू के रास्ते में गड्ढा खोदने में जुटा हुआ है, ताकि उनका राजनीतिक कद बढ़ने न पाए। साहू को जितना खतरा कांग्रेस के प्रत्याशी से नहीं है, उतना अपनों से है।

कवर्धा। पिछले चुनाव में साहू जाति की बहुलता के बावजूद सियाराम साहू कांग्रेस से मात खा गए थे। वे कांग्रेस के योगेश्वरराज सिंह से दो बार पराजित हो चुके हैं। इन दोनों के बीच यह तीसरा मुकाबला है। 1998 के चुनाव में डॉ. रमन सिंह भी योगेश्वरराज सिंह से हार गए थे। लेकिन अब स्थितियाँ काफी बदल चुकी हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद डॉ. रमन सिंह ने कवर्धा में काफी काम कराया है। उनका घर काफी मजबूत हुआ है। छग गृह भंडार निगम अध्यक्ष बनने के बाद साहू ने भी लोगों के बीच अपनी पकड़ मजबूत की है। वे रमन की प्रतिष्ठा और उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए इस चुनाव में जी-जान से जुटे हुए हैं। लेकिन अगर वे असंतुष्ट खेमे की गतिविधियों पर रोक लगाने में कामयाब नहीं हुए तो काफी दिक्कत हो सकती है।

उधर कांग्रेस प्रत्याशी योगेश्वरराज सिंह भाजपा को घेरने के लिए मुद्दे खोज रहे हैं। विरासत में मिली सीट से दो बार विधायक रह चुके सिंह इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोक रहे हैं। वे दो माह पहले से ही अपने क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। उनका जनसंपर्क सतत बना हुआ है। लेकिन उन्हें भी पार्टी कार्यकर्ताओं का भरपूर सहयोग नहीं मिल रहा है। कार्यकर्ता उन पर सुस्त रवैया अपनाने तथा महल में घुसे रहने का आरोप लगा रहे हैं। उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने विधानसभा में जनहित के मुद्दे न उठाकर नगर की राजनीति तक ही सिमट कर रह गए। शहर में भले ही उनका जनाधार खिसका है, लेकिन वनांचल में आज भी उनकी राजा की छवि है। हालांकि वनांचल में डॉ. रमन सिंह ने भी उनकी पकड़ मजबूत की है। देखना है कि इस प्रतिष्ठापूर्ण सीट पर किसका परचम लहराता है।