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Written By WD Feature Desk
Last Modified: बुधवार, 6 नवंबर 2024 (15:24 IST)

Chhathi Maiya And Surya Dev Puja Vidhi: छठ पर्व पर छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा का सरल तरीका और पूजन का समय

Chhathi Maiya And Surya Dev Puja Vidhi: छठ पर्व पर छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा का सरल तरीका और पूजन का समय - How to worship Chhathi Maiya and Sun God on Chhath festival
Chhath Puja 2024 vidhi: 07 नवंबर 2024 गुरुवार के दिन छठ पूजा का महापर्व रहेगा। इस दिन छठी मैया और सूर्यदेव की विधिवत पूजा करते हैं। महिलाएं नदी के तट पर जाकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करके उनकी पूजा करती है। छठ वाले दिन सूर्योदय और सूर्यास्त दोनों समय पूजा होती है जबकि दूसरे दिन सूर्यदेव को उषा अर्घ्य अर्पित करते हैं। आओ जानते हैं दोनों की ही पूजा का सरल क्रमबद्ध तरीका।ALSO READ: Chhath Puja 2024: छठ पर्व के शुभ मुहूर्त, महत्व, कथा, आरती, चालीसा सहित समस्त सामग्री एक साथ
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7 नवंबर सूर्योदय और सूर्यास्त का समय:-
सूर्योदय समय छठ पूजा के दिन- प्रात: 06:38 बजे।
सूर्यास्त समय संध्या अर्घ्य के लिए- शाम 05:32 बजे।
 
8 नवंबर सूर्योदय और सूर्यास्त का समय:-
सूर्योदय समय उषा अर्घ्य के दिन- सुबह 06 बजकर 38 सुबह मिनट पर।
सूर्यास्त का समय : सायं 05 बजकर 31 मिनट पर।
 
छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा कैसे करें?
1. छठ पर्व में मंदिरों में पूजा नहीं की जाती है और ना ही घर में साफ-सफाई की जाती है। पर्व से दो दिन पूर्व चतुर्थी पर स्नानादि से निवृत्त होकर भोजन किया जाता है। पंचमी को उपवास करके संध्याकाल में किसी तालाब या नदी में स्नान करके सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है। तत्पश्चात अलोना (बिना नमक का) भोजन किया जाता है।
 
2. पंचमी के बाद षष्ठी को मुख्य पूजा होती है। इस दिन संध्या के अस्त होते हुए सूर्य को अर्घ्‍य यानी जल अर्पण किया जाता है। इसके बाद छठी मैया की पूजा का भी वि‍धान है। 
 
3. षष्ठी के दिन प्रात:काल स्नानादि के बाद संकल्प लिया जाता है। संकल्प लेते समय इन मंत्रों का उच्चारण करें। 
ॐ अद्य अमुक गोत्रो अमुक नामाहं मम सर्व पापनक्षयपूर्वक शरीरारोग्यार्थ श्री सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये।
 
- पूरा दिन निराहार और नीरजा निर्जल रहकर शाम को पुनः नदी या तालाब पर जाकर स्नान किया जाता है और सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
 
- अर्घ्य देने की भी एक विधि होती है। एक बांस के सूप में केला एवं अन्य फल, अलोना प्रसाद, ईख आदि रखकर उसे पीले वस्त्र से ढंक दें। तत्पश्चात दीप जलाकर सूप में रखें और सूप को दोनों हाथों में लेकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए तीन बार अस्त होते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।
 
- शाम को बांस की टोकरी में ठेकुआ, चावल के लड्डू और कुछ फल रखें जाते हैं और पूजा का सूप सजाया जाता है और तब सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसी दौरान सूर्य को जल एवं दूध चढ़ाकर प्रसाद भरे सूप से छठी मैया की पूजा भी की जाती है। बाद में रात्रि को छठी माता के गीत गाए जाते हैं और व्रत कथा सुनी जाती है।
 
- अगले दिन उषा अर्घ्य अर्थात इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। पूजा के बाद व्रती कच्चे दूध का शरबत पीकर और थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत को पूरा करती हैं, जिसे पारण या परना कहा जाता है। यह छठ पर्व का समापन दिन होता है।
 
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