क्यों कम हो रहा है एमबीए का क्रेज
वेबदुनिया डेस्क
एमबीए....मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन एक प्रतिष्ठित और चुनौतीपूर्ण करियर की राह आसान करने वाला कोर्स है। जो युवा एमबीए करने की हसरत रखते हैं, उनके मन में आईआईएम में एडमिशन का सपना होता है, लेकिन कड़े कॉम्पिटिशन के कारण यह संभव नहीं कि सभी को आईआईएम में एडमिशन मिले। आईआईएम के बाद जो इंस्टिट्यूशन आते हैं, उनका स्तर और प्लेसमेंट भी बेहद अच्छा होता है और यहां भविष्य के बेहतरीन मैनेजेर तैयार होते हैं। एमबीए की चमक दमक को देखते हुए कई संस्थान यह पाठ्यक्रम संचालित करते हैं, लेकिन यहां एमबीए की वह क्वालिटी नहीं होती, जो वास्तव में होनी चाहिए। हालांकि कुछ क्रीम स्टूडेंट्स यहां भी होते हैं, लेकिन ये संस्थान ऊंची फीस लेकर और सीट भरने की चाह में उन कम योग्य स्टूडेंट्स को भी अपने यहां एडमिशन देते हैं, जो वास्तव में एकैडमिकली इतने ब्रिलियंट नहीं होते। नतीजा यह होता है कि ऐसे युवा जो कम योग्य हैं, वे भी कुछ सालों बाद एमबीए की डिग्री के साथ जॉब तलाशते नजर आते हैं। कई बार इन्हें स्तरीय जॉब नहीं मिलता। वर्तमान में युवाओं का आकर्षण एमबीए की डिग्री के प्रति इसलिए भी कम हुआ है, क्योंकि कई एमबीए वालों के पास ढंग का जॉब नहीं है। एक खबर के मुताबिक देश के विभिन्न भागों में दोयम दर्जे के 65 बिजनेस स्कूल बंद होने जा रहे हैं। आखिर क्या कारण हैं कि एमबीए की तरफ युवाओं का झुकाव कम हो रहा है। एमबीए डिग्री धारकों की संख्या अधिक हो जाने गुणवत्ता वाले संस्थानों के छात्र नहीं मिलने से एमबीए के प्रति युवाओं का रुझान घटा है। ऐसे संस्थान जो गुणवत्ता वाले नहीं होते हैं वे अपने संस्थानों में कम प्रतिशत वाले छात्रों को अपने यहां प्रवेश दे देते हैं। इससे जिन युवाओं में काबिलियत नहीं होती वे भी एमबीए कोर्स में प्रवेश ले लेते हैं और ये संस्थान उन्हें जैसे तैसे डिग्री भी पूरी करवा देते हैं। परेशानी तब शुरू होती है, जब ये कम काबिल एमबीए की डिग्री के साथ जॉब मार्केट में आते हैं। इंटरव्यू में इनकी कमजोरी पकड़ी जाती है और नाम खराब होता है एमबीए की डिग्री का। एमबीए कर चुके अंकुर कहते हैं कि डिम्ड यूनिवर्सिटियों द्वारा एमबीए पाठ्यक्रम शुरू करने से बहुत से युवा जो अन्य विषयों के होते हैं वे भी एमबीए में प्रवेश ले लेते हैं। पहले भी कई विशेषज्ञ दूरदराज के प्रबंधन संस्थानों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर चुके हैं। किसी तरह का प्लेसमेंट न होने के कारण युवा भी इनसे दूरी बनाने लगे हैं। कंपनियां भी ऐसे संस्थानों में प्लेसमेंट से बचती हैं।