स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में करें मैनेज
इन दिनों स्पोर्ट्स मैनेजमेंट के रूप में करियर बनाने की होड़-सी मची हुई है। जिस तरह से फिल्मी सितारे अपने करियर को गति प्रदान करने के लिए सेक्रेटरियों को नियुक्त करते हैं, उसी तर्ज पर लोकप्रिय खिलाड़ी भी अपने लिए अलग से स्पोर्ट्स मैनेजर रखने लगे हैं। इन मैनेजरों का काम उनके ग्राहकों का टाइम टेबल बनाना, उनके करियर को आगे बढ़ाने की गतिविधियों को देखना और मीडिया तथा पब्लिक रिलेशंस जैसे काम देखना भी है। यदि बतौर खिलाड़ी आपका करियर थम गया हो या आपमे खेल भावना हो, लेकिन आप राष्ट्रीय स्तरतक नहीं पहुँच पाए हैं तो आप एमबीए कर स्पोर्ट्स मैनेजर के रूप में सफलता के झंडे गाड़ सकते हैं।कई मैदान में मार सकते हैं बाजीजिनकी संप्रेषण कला अच्छी हो, वह संजय मांजरेकर, रवि शास्त्री और हर्ष भोगले की तरह नाम कमा सकते हैं। खेल के मैदान में रनिंग कमेंटरी कर सकते हैं या स्पोर्ट्स जर्नलिज्म का पेशा अपना सकते हैं। |
स्पोर्ट्स मैनेजमेंट के रूप में करियर बनाने की होड़-सी मची हुई है। जिस तरह से फिल्मी सितारे अपने करियर को गति प्रदान करने के लिए सेक्रेटरियों को नियुक्त करते हैं, उसी तर्ज पर लोकप्रिय खिलाड़ी भी अपने लिए अलग से स्पोर्ट्स मैनेजर रखने लगे हैं। |
|
|
टीवी, समाचार पत्र या पत्रिकाओं के खेल स्तंभों को सजा सकते हैं या स्टार स्पोर्ट्स, इएसपीएन, टेन स्पोर्ट्स तथा डीडी स्पोर्ट्स पर अपनी चमक बिखेर सकते हैं। यही नहीं, वे कमेंटेटर, पे्रजेंटर, प्रोग्राम प्रोडयूसर, डायरेक्टर बन सकते हैं। यानी कि खेल के क्षेत्र में कई खेल दिखा सकते हैं, लेकिन स्पोर्ट्स मैनेजमेंट का काम सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित है। इस रूप में वे स्थापित खिलाड़ियों पर अपना रंग जमाने में भी कामयाब होते हैं।करियर कोर्स : स्पोर्ट्स मैनेजमेंटआप इस बात को कतई भी झुठला नहीं सकते कि अपने जीवन में आपको कभी भी किसी भी खेल से प्यार नहीं रहा है । यह लगभग तय है कि हर इंसान के मन में एक खिलाड़ी छिपकर बैठा रहता है। बचपन से ही हम किसी ख्यातिप्राप्त खिलाड़ी की तरह बनना चाहते हैं, लेकिन किसी न किसी कारण से हमारी यह तमन्ना पूरी नहीं हो पाती है, लेकिन हमारे मन में बैठा खिलाड़ी हमें खेलों से जोड़े रखता है। जो लोग खेल में दिलचस्पी रखते हैं, लेकिन मैदान में गोल नहीं या रनों की बरसात नहीं कर पाए हैं, वे स्पोर्ट्स मैनेजमेंट को करियर बनाकर पैसों की बरसात जरूर कर सकते है। इस क्षेत्र में वैसे तो अम्पायर, रेफरी, कोच और इंस्ट्रक्टर भी बना जा सकता है, लेकिन उसके लिए मैदानी दमखम आवश्यक है। इन सबसे अलग एक करियर जो आधुनिक जगत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है, वह है स्पोर्ट्स मैनेजमेंट। क्या है स्पोर्ट्स मैनेजमेंट?एक तरह से देखा जाए तो स्पोर्ट्स मैनेजमेंट खेल तथा मार्केटिंग अथवा बिजनेस का मिला-जुला रूप है। मैनेजमेंट वह क्रियाकलाप अथवा प्रबंधन कला है जो टीमों, खेल संगठन तथा दफ्तर की देख-रेख करता है तथा उस पर नियंत्रण भी रखता है। उसे यह सुनिश्चित करना होता है किखेलकूद की गतिविधियाँ निर्बाध रूप से संपन्न हो।
स्पोर्ट्स मैनेजमेंट वह डिसिप्लिनरी क्षेत्र है, जिसमें प्रबंधन, व्यावसायिक नेतृत्व तथा टीम भावना के सिद्धांत एक साथ खेल पर लागू होते हैं। बतौर एक पेशे तथा एक शैक्षणिक विषय के रूप में स्पोर्ट्स मैनेजमेंट की परिधि में प्रोफेशनल स्पोर्ट्स, रिक्रिएशनल स्पोर्ट्स, कॉलेज या यूनिवर्सिटी एथलेटिक्स, हेल्थ क्लब, जिम्नेशियम, फिटनेस सेंटर स्पोर्ट्स फेसिलिटी मैनेजमेंट आदि सब कुछ शामिल होता है। स्पोर्ट्स मैनेजमेंट एक तरह से इंटर डिसिप्लिनरी क्षेत्र है, जिसमें खेल के साथ-साथ अर्थशास्त्र, लेखा, मार्केटिंग, साइकोलॉजी, विधि तथा दूरसंचार जैसे क्षेत्र एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। स्पोर्ट्स मैनेजमेंट के पेशे में तीन प्रमुख तत्व शामिल हैं जिन्हें इवेंट्स, खिलाड़ी (सेलिब्रिटी तथा नए खिलाड़ी) तथा इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में पहचाना गया है।क्या करते हैं स्पोर्ट्स मैनेजर?आमतौर पर कोई भी स्पोर्ट्स मैनेजर इवेंट तैयार कर उसकी मार्केटिंग है। उन सारी गतिविधियों का प्रबंधन करता है जो किसी खिलाड़ी को ब्राण्ड के रूप में रूपांतरित करता है। उदाहरण के लिए टेनिस स्टार सानिया मिर्जा से जुड़ा स्पोर्ट्स मैनेजर सानिया की पैकिंग और माक्रेटिंग के लिए इस तरह काम करता है जैसे कि सानिया कोई खिलाड़ी नहीं बल्कि एक ब्रॉण्ड है।यदि आज सानिया इतनी चर्चित और लोकप्रिय है तो यह सब मीडिया के साथ उसके पारस्परिक संबंधों के कारण संभव हुआ है और इन सब गतिविधियों में पर्दे के पीछे रहने वाला शख्स और कोई नहीं सानिया का स्पोर्ट्स मैनेजर ही है ! इसका दूसरा उदाहरण इएसपीएन द्वारा अपनाई गई मार्केटिंग रणनीति है जिसे उसने हॉकी के प्रमोशन के लिए अपनाई थी। इसके लिए उसने प्रीमियर हॉकी लीग की शुरुआत की, इससे हॉकी का मार्केट कई गुना बढ़ गया है।विशिष्ट क्षेत्रस्पोर्ट्स मैनेजमेंट के क्षेत्र में केवल प्रबंधकीय कौशल ही काम नहीं आता है। इसके साथ कुछ अन्य विशिष्ट क्षेत्र भी जुड़े हैं जिनमें स्पोर्ट्स मेडिसिन, स्पोर्ट्स साइकोलॉजी, स्पोर्ट्स कॉमेंटरी तथा स्पोर्ट्स जर्नलिज्म भी शामिल है। बतौर स्पोर्ट्स मैनेजर ये सभी दायित्व निभाना होते हैं। उसे खिलाड़ी के मैचों के टाइमटेबल का भी ख्याल रखना होता है, उसे अपने खिलाड़ियों की फिटनेस पर भी नजर रखनी पड़ती है। इसके लिए चिकित्सकों और फिजियोथैरेपिस्ट से एपॉइंटमेंट, प्रेस और मीडिया से भी संपर्क बनाए रखना पड़ता है। खेल अनुबंधों को भी देखना पड़ता है और विज्ञापन तथा मार्केटिंग की रणनीति भी बनानी पड़ती है। वह बजट जैसा प्रशासकीय कार्य भी देखता है और अन्य फाइनेंस तथा लॉजिस्टिक्स का काम भी देखता है।पात्रतास्पोर्ट्स मैनेजर के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा है। इसे कोई भी स्नातक कर सकता है। यदि किसी ने फिजीकल एजुकेशन में स्नातक उपाधि प्राप्त की हो तो उनके लिए स्पोर्ट्स मैनेजमेंट का पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा सोने पर सुहागा की तरह काम करता है।कोर्सदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में स्पोर्ट्स मैनेजमेंट के प्रोफेशनल कोर्स उपलब्ध हैं। दो मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों द्वारा स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा (पीजीडीएसएम) संचालित किए जाते हैं। ये हैं-तमिलनाडु स्थित अलगप्पा यूनिवर्सिटी और इंदिरा गाँधी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजीकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंस, नई दिल्ली। यह एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स है। कोलकाता स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल वेलफेयर एंड बिजनेस मैनेजमेंट द्वारा भी पीजीडीएसएम पाठयक्रम संचालित किया जाता है। इसके अलावा कई विश्वविद्यालयों में स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में अंडर ग्रेजुएट तथा पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स संचालित किए जाते हैं।अवसर तथा संभावनाएँदेश-विदेश में खेल प्रतियोगिताओं के लगातार आयोजन, टीवी पर स्पोर्ट्स चैनलों की बढ़ती संख्या तथा खिलाड़ियों को प्रतिष्ठित कंपनियों द्वारा ब्रांड एम्बेसेडर बनाए जाने की परंपरा ने स्पोर्ट्स मैनेजमेंट के लिए जितनी अधिक संभावनाएँ पैदा की हैं, उतने ही ज्यादा अवसर भी निर्मित हुए हैं। इसे अपनाकर विभिन्न कंपनियों, सरकारी संगठनों, खेल आयोजकों, खेल पत्रिकाओं में बतौर मैनेजर, एजेंट, प्रचारक के रूप में शानदार करियर बनाकर खिलाड़ियों की तरह अच्छा पैसा कमाया जा सकता है।