Last Modified: नई दिल्ली ,
गुरुवार, 15 मार्च 2012 (15:29 IST)
आर्थिक सर्वेक्षण 2011-12 के मुख्य बिंदु
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वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा गुरुवार को लोकसभा में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2011-12 की मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं
*चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रहेगी। *2012-13 में आर्थिक वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत और 2013-14 में 8.6 प्रतिशत रहने का अनुमान। *आगामी महीनों में महंगाई दर में गिरावट की उम्मीद। मुद्रास्फीतिक दबाव घटने पर ब्याज दरों में कटौती करेगा रिजर्व बैंक। *घरेलू वित्तीय बाजार की गहराई बढ़ाने की जरूरत। समर्पित बुनियादी ढांचा कोष आकर्षित करने पर जोर। *अर्थव्यवस्था में निवेश की वृद्धि दर में गिरावट का अनुमान। ब्याज दरों में बढ़ोतरी की वजह से उधारी की लागत बढ़ी। *उधारी की उंची लागत और अन्य लागतों की वजह से मुनाफा और आंतरिक संसाधन घट रहे हैं। *वैश्विक कारकों के अलावा घरेलू कारकों से भी अर्थव्यवस्था की रफ्तार घटी। *कड़े मौद्रिक रुख, महंगाई की उंची दर से निवेश और औद्योगिक गतिविधियां प्रभावित। *महंगाई अभी भी उपर। हालांकि वित्त वर्ष के अंत तक इसमें गिरावट का संकेत। जनवरी, 2012 में थोक खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 1.6 प्रतिशत पर आई। फरवरी 2010 में यह 20.2 प्रतिशत के स्तर पर थी। *भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से। *चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में निर्यात 40.5 प्रतिशत और आयात 30.4 फीसदी बढ़ा। *विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा। *धान उत्पादन में बढ़ोतरी से खाद्यान्न उत्पादन 25.04 करोड़ टन से अधिक रहने का अनुमान। *कृषि और सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर रहने की उम्मीद। औद्योगिक वृद्धि दर 4 से 5 प्रतिशत के दायरे में रहेगी। आगे इसमें और सुधार होगा। *वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार अभी भी धीमी। सरकारी ऋण संकट से निपटने को उपाय की जरूरत। *बचत खातों को प्रगतिशील तरीके से नियंत्रण मुक्त किए जाने से वित्तीय बचत बढ़ी। *सतत विकास और जलवायु परिवर्तन वैश्विक चिंता का विषय। भारत भी इससे चिंतित। वैश्विक वार्ताओं में इस मुद्दे पर रचनात्मक तरीके से शामिल। (भाषा)