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Written By समय ताम्रकर

बच्चों को पसंद आएगी ‘जंबो’

जंबो
IFM
एनिमेशन फिल्म देखते समय आपको अपने अंदर बैठे हुए बचपन को जगाना पड़ता है, तभी आप इन फिल्मों का पूरा मजा ले सकते हैं। साथ ही फिल्म में भी ऐसी पकड़ होनी चाहिए कि वह दर्शकों को लगभग दो घंटे तक बाँध सके।

परेसप्ट की फिल्म ‘जंबो’ उतनी मनोरंजक नहीं है, जितनी कि ‘हनुमान’ थी, जिसने भारत में एनिमेशन फिल्मों के दरवाजे खोले, लेकिन उन एनिमेशन फिल्मों से बेहतर है जो पिछले दिनों प्रदर्शित हुई थी।

‘चाओ प्राया प्राह हाँगसावादी’ नामक कहानी पर आधारित ‘जंबो’ जयवीर उर्फ जंबो नामक बेबी एलिफेंट की कहानी है जो अपने पिता की खोज कर रहा है। अपनी इस यात्रा के दौरान वह एक दयालु हाथियों के प्रशिक्षक, संदेश भेजने वाले पक्षी और एक फीमेल एलिफेंट से मिलता है। साथ ही वह एक युद्ध में लड़ने वाला हाथी बन जाता है और दुश्मनों से अपने राज्य की रक्षा करता है।

‘द लॉयन किंग’ से ‘जंबो’ मिलती-जुलती है। शुरुआत में फिल्म अपनी पकड़ नहीं बना पाती, लेकिन जब जंबो को राजा दुश्मनों से लड़ने के लिए चुनता है, तब दर्शकों की रूचि फिल्म में पैदा होती है। एनिमेशन की गुणवत्ता ‘द लॉयन किंग’ या ‘फाइंडिंग नेमो’ जैसी नहीं है, लेकिन हाल ही में देखी गई एनिमेशन फिल्मों से अच्छी है।

बदला, रोमांस, एक्शन जैसे हिंदी फिल्मों के तत्व ‘जंबो’ में भी मौजूद हैं, साथ ही एक गाना और कुछ दृश्य अक्षय कुमार पर फिल्माए गए हैं। अक्षय, डिम्पल कपाडि़या, राजपाल यादव, गुलशन ग्रोवर ने अपनी आवाजों से चरित्रों में जान फूँक दी है।

कुल मिलाकर ‘जंबो’ एक प्यारी-सी फिल्म है और बच्चों को पसंद आ सकती है।