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Last Updated : शनिवार, 29 जुलाई 2023 (12:50 IST)

रॉकी और रानी की प्रेम कहानी : फिल्म समीक्षा

Rocky Aur Rani Kii Prem Kahaani review in Hindi starring Ranveer Singh and Alia Bhatt: रॉकी और रानी की प्रेम कहानी बनाते समय करण जौहर अति कर गए जिससे फिल्म का बैलेंस बिगड़ गया। फिल्म में एक सीन है जिसमें अखाड़ा दिखाया गया है। करण ने अखाड़े को भी रंगीले करण का टच दे दिया है। अखाड़े में चारों ओर रंग-बिरंगे बल्ब लगे हैं, वेटर घूम कर लस्सी पिला रहे हैं और दर्शक अखाड़े में ऐसे सजधज कर आए हैं मानों किसी शादी में शामिल होने के लिए जा रहे हों। दूर कहीं बैकड्रॉप में पहलवान इस तरह से जोर आजमाइश करते नजर आते हैं मानो गले मिल रहे हों। करण का यही दृष्टिकोण 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' के हर सीक्वेंस में नजर आता है। 
Rocky Aur Rani Kii Prem Kahaani review in Hindi starring Ranveer Singh and Alia Bhatt | रॉकी और रानी की प्रेम कहानी : फिल्म समीक्षा
 
यह रॉकी और रानी की प्रेम कहानी है जो मिलते हैं तो कानों में उन्हें बैकग्राउंड म्यूजिक सुनाई देता है। हाथों में हाथ पकड़ कर चुप रहने वाला प्यार उन्हें हो जाता है। दोनों की मुलाकात इसलिए होती है कि रॉकी के दादा की याददाश्त आती-जाती रहती है और वे एक महिला का नाम लेते रहते हैं। दादा का पुराना इश्क रॉकी  ढूंढने निकलता है तो वह रानी की दादी निकलती है। रॉकी के दादा और रानी की दादी ने शादीशुदा होने के बावजूद सात दिन ऐसे बिताए थे जैसे सात जन्मों का प्यार हो। 
 
रॉकी और रानी की कहानी में विलेन हैं जो दोनों को एक-दूसरे का होने नहीं देना चाहते। ये विलेन हैं दोनों की पारिवारिक पृष्ठभूमि, शिक्षा, संस्कार और मां-बाप। रॉकी रंधावा पंजाबी परिवार से है जहां हर चीजें लाउड है। मर्द होने का खोखला अहंकार है। रानी चटर्जी बंगाली परिवार से है, जहां शिष्टाचार के कारण लोग अपने आपको एक्सप्रेस नहीं कर पाते, लोक कला को महत्व दिया जाता है, स्त्री-पुरुष को बराबरी का माना जाता है और छींकते भी अंग्रेजी में हैं। रंगभेद और जाति के बजाय व्यक्ति को महत्वपूर्ण माना जाता है। इस टकराव के बीच रॉकी और रानी अपने प्यार को बचा पाते है या नहीं, ये दर्शाया गया है। 


 
इशिता मल्होत्रा, शशांक खेतान और सुमित रॉय द्वारा लिखी गई यह फिल्म कोई नई बात नहीं पेश कर पाती। ये कहानी आज के दौर के हिसाब से पुरानी लगती है। फिल्म देखते समय आपको कई पुरानी फिल्मों की याद आएगी। कैसे रॉकी और रानी एक-दूसरे के परिवार वालों का दिल जीतते हैं वाली बात कई बार दोहरायी गई है। 
 
चूंकि कहानी में नई बात नहीं है इसलिए करण जौहर ने अपने निर्देशन के जरिये कुछ अलग करने की कोशिश की है और जरूरी नहीं है कि हर बार आप कुछ अलग करने जाएंगे तो सफल ही रहेंगे। करण ने कॉमेडी, रोमांस और इमोशन का तड़का लगा कर दर्शकों को बहलाने की कोशिश की है, लेकिन निर्देशक और लेखक मिल कर उस तरह के सीन लिख या रच नहीं पाए कि दर्शकों को मजा आ जाए। 
 
फिल्म का पहला घंटा तो बेहद बुरा है। जिस तरह की कॉमेडी और रोमांस स्क्रीन पर नजर आता है उसे देख हैरत होती है कि क्या इसके निर्देशक करण जौहर ही हैं। स्क्रीन पर किरदार हंसते हैं, हंसाते हैं, गाने गाते हैं, रोमांस करते हैं, लेकिन दर्शकों पर इसका कोई असर ही नहीं होता।
 
दूसरे हाफ में थोड़ा ड्रामा इंवॉल्व होता है तो फिल्म में स्पीड आती है, लेकिन करण ने ड्रामे को मेलोड्रामा कर दिया। एक के बाद एक कर इतने सारे ड्रामैटिक सीन आते हैं कि बैलेंस गड़बड़ा जाता है। इन मैलोड्रामेटिक सीन के विपरीत जो बात जाती है वो ये कि इनमें मौलिकता का अभाव है इसलिए ये सीन बहुत ज्यादा अपील नहीं करते। 
 
रॉकी की बहन शेयर का व्यवसाय करना चाहती है, रॉकी की मां गायिका बनना चाहती है, परंतु पुरुषों के दबाव के कारण ऐसा नहीं कर पाती। रानी की कही गई बात, मजबूरी नहीं मजबूती की मिसाल बनो, के कारण कारण वे अपने खोल से बाहर निकलती हैं। इस तरह के सीन हम कई बार देख चुके हैं। साथ ही ये सीन इतने आडंबरपूर्ण और बनावटी हैं कि असर नहीं छोड़ते। ये सब बातें घिसीपिटी लगती हैं और सास-बहू के मैलोड्रामेटिक टीवी सीरियलों की याद दिलाती हैं।  

धर्मेन्द्र-शबाना के रोमांस वाला ट्रैक ठीक से दर्शाया नहीं गया है। अपनी पत्नी जया बच्चन के सामने धर्मेन्द्र का प्रेमिका शबाना के साथ रोमांस करना अजीब लगता है। अगर पत्नी पसंद नहीं थी तो उसे छोड़ कर प्रेमिका से विवाह किया जा सकता था। फिर इतने दिनों तक प्रेमिका को तलाश क्यों नहीं किया गया? 
 
फिल्म के अंत में अचानक सब तेजी से सही होने लगता है जिससे फिल्म की विश्वसनीयता कम हो जाती है। रिलेशनशिप में बैक सीट पर बैठ कर ड्राइव करने वाली फैमिली स्टीयरिंग युवा जोड़े को थमा देती है। किरदारों के हृदय परिवर्तन हो जाते हैं। इसके पीछे ठोस कारण नजर नहीं आते, जिससे बातें खोखली लगती हैं।



 
सेकंड हाफ में करण जौहर उपदेशक हो गए हैं। बॉडी शेमिंग, मोटापा, रंगभेद, लिंगभेद करने वालों और पुरुषों द्वारा कत्थक नृत्य करने वालों की हंसी उड़ाने वालों को उन्होंने चुप कराया है, लेकिन इन्हें लेक्चर देने वाले तरीके से दर्शाया गया है जिससे बचा जाना था।  दो-तीन सीक्वेंस तारीफ योग्य हैं। जैसे दुर्गापूजा में रॉकी का कत्थक करना, ब्रा वाला सीक्वेंस जिसमें ब्रा को हाथ लगाने से भी रॉकी का 'मेल ईगो' हर्ट होता है, वाले दृश्य गहरे अर्थ लिए हुए हैं। 
 
करण जौहर ने पूरी फिल्म 'टिपिकल बॉलीवुड स्टाइल' में बनाई है। भव्य सेट, खूबसूरत लोग, महंगी ड्रेसेस, चमकदार रोशनी, नाच-गाने, लेकिन कहानी उन्होंने पुरानी चुन ली। पहले घंटे में जिस तरह से उन्होंने कहानी को प्रस्तुत किया है वो उन पर सवालिया निशान लगाता है। अलग करने के चक्कर में उन्होंने खेल बिगाड़ दिया। दूसरे हाफ में इमोशनल सीन के जरिये थोड़ा फॉर्म में नजर आते हैं, लेकिन ओवर डू और मौलिकता के अभाव में बात नहीं बन पाती। 
 
फिल्म की स्टारकास्ट शानदार है और इनके बल पर ही फिल्म में थोड़ी रूचि बनी रहती है। कलाकारों को ध्यान में रख कर रोल लिखे गए हैं। धर्मेन्द्र रोमांटिक और शायरी करने वाले इंसान हैं जिसकी झलक उनके किरदार में भी मिलती है। उन्हें स्क्रीन टाइम कम दिया गया है, लेकिन अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व के कारण वे उपस्थिति दर्ज कराते हैं। रणवीर सिंह जिस तरह के अतरंगी कपड़े पहनते हैं और हरकतें करते हैं उसी तरह का रोल उन्होंने निभाया है। उनकी एक्टिंग अच्छी है और फिल्म में वे ऊर्जा लाते हैं। 
 
आलिया भट्ट बेहद सहजता के साथ अपने किरदार को निभाती नजर आईं और उन्हें दमदारी वाले सीन भी मिले हैं। जया बच्चन कुटिल महिला के रूप में असर छोड़ती हैं। शबाना आजमी को भी कुछ अलग करने का मौका मिला है। तोता रॉय चौधरी, चूरनी गांगुली, आमिर बशीर, नमित दास सहित सपोर्टिंग कास्ट का काम उम्दा है। करण की फिल्म में कई स्टार नाचते-गाते दिखाई देते हैं। 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' में वरुण धवन, जाह्नवी कपूर, अनन्या पांडे, सारा अली खान, भारती सिंह, अर्जुन बिजलानी कुछ सेकंडों के लिए दिखाई देते हैं। 
 
आर्टवर्क, सेट, सिनेमाटोग्राफी शानदार है। एडिटर के हाथ शायद करण ने रोक रखे होंगे इसलिए फिल्म बहुत लंबी है। प्रीतम द्वारा संगीतबद्ध 'तुम क्या मिले' हिट हो चुका है। एक-दो गीत और गुनगुनाने लायक हैं। गानों का पिक्चराइजेशन शानदार है। बैकग्राउंड म्यूजिक में पुराने हिट हिंदी गानों का खूब इस्तेमाल किया गया है। पहले हाफ में बैकग्राउंड म्यूजिक सीन से मेल नहीं खाता, जबकि दूसरे हाफ में इमोशनल सीन में बैकग्राउंड म्यूजिक उम्दा है।
 
रॉकी और रानी की प्रेम कहानी मेलोड्रामैटिक फिल्म है जिसमें मौलिकता नजर नहीं आती। 
 
  • बैनर : वायकॉम 18 स्टूडियोज़, धर्मा प्रोडक्शन्स 
  • निर्माता : हीरू यश जौहर, करण जौहर, अपूर्व मेहता 
  • निर्देशक : करण जौहर
  • गीतकार : अमिताभ भट्टाचार्य
  • संगीतकार : प्रीतम
  • कलाकार : रणवीर सिंह, आलिया भट्ट, धर्मेन्द्र, जया बच्चन, शबाना आज़मी
  • सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 38 मिनट 33 सेकंड
  • रेटिंग : 2/5