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Last Updated : शनिवार, 11 फ़रवरी 2017 (17:05 IST)

जॉली एलएलबी 2 : फिल्म समीक्षा

जॉली एलएलबी 2 : फिल्म समीक्षा - Movie Review of Hindi Film Jolly LLB 2
अक्सर सीक्वल अपने पहले भाग की तुलना में कमजोर रहते हैं, लेकिन 'जॉली एलएलबी 2' इस मामले में अपवाद है। अक्षय कुमार अभिनीत यह फिल्म अपने पहले भाग (जो अच्छा था) से आगे है। 'जॉली‍ एलएलबी' में भारत की न्याय व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर व्यंग्य किया गया था। साथ ही दिखाया गया था कि किस तरह वकील मुकदमों की आड़ में अपना उल्लू सीधा करते हैं। 'जॉली एलएलबी 2' में भी यही सब बाते हैं, लेकिन फर्जी एनकाउंटर वाला प्रकरण और अक्षय कुमार इस फिल्म को अलग लुक देते हैं। 


 
कानपुर का रहने वाला वकील जगदीश्वर मिश्रा उर्फ जॉली (अक्षय कुमार) लखनऊ में एक वकील का सहायक है। वह अपना चेम्बर चाहता है, लेकिन उसकी काबिलियत देखते हुए उसका बॉस उससे घरेलू काम करवाता है। अपना चेम्बर खरीदने के चक्कर में वह एक विधवा हिना सिद्दीकी को धोखा देता है। हिना आत्महत्या कर लेती है और जॉली अपने आपको कसूरवार मान कर हिना का मुकदमा खुद लड़ने का फैसला करता है, जहां उसका मुकाबला शहर के नामी वकील माथुर (अन्नू कपूर) से होता है। हिना के मामले का जब जॉली अध्ययन करता है तो उसे पता चलता है कि यह मुकदमा आसान नहीं है। उसे कई शक्तिशाली लोगों से लड़ाई मोल लेना होगी। किस तरह से जॉली जूझता है, यह फिल्म का सार है। 
 
फिल्म की कहानी, स्क्रीनप्ले, संवाद और निर्देशन सुभाष कपूर का है। उनकी लिखी कहानी ठीक है, लेकिन जिस तरह से उन्होंने स्क्रीनप्ले और संवाद का कलेवर कहानी पर चढ़ाया है वो फिल्म को खास बना देता है। सुभाष के स्क्रीनप्ले में तमाम तरह के उतार-चढ़ाव हैं जो फिल्म के शुरू होने से लेकर तो अंत तक दर्शकों को बांध कर रखते हैं।
आधी फिल्म कोर्ट रूम ड्रामा है और एक कमरे से कैमरा बाहर नहीं निकलता है, यहां पर दर्शक बोर हो सकते थे, लेकिन फिल्म में कोर्ट रूम ड्रामा इतने मनोरंजक तरीके से पेश किया गया है ‍कि दर्शकों का ध्यान कही नहीं भटकता। दर्शकों को अक्षय कुमार की 'रुस्तम' भी याद होगी जिसमें भी कोर्ट रूम ड्रामा था, लेकिन जॉली एलएलबी 2 का कोर्ट रूम ड्रामा ज्यादा रियल लगता है।
 
फर्जी एनकाउंटर कर प्रमोशन हासिल करने वाले पुलिस ऑफिसर्स की पोल भी फिल्म खोलती है और इस तरह के कई किस्से हम पढ़ और सुन चुके हैं। इस बात को कहानी में अच्छे से गूंथा गया है। फिल्म यह भी बताती है कि किस तरह व्यवस्थाएं ईमानदार को बेईमान और बेईमान को ईमानदार के रूप में पेश करती है। 
 
स्क्रिप्ट में कमियां भी हैं, जैसे, कुछ बातें जॉली के लिए बेहद आसान कर दी गई है। उसे आसानी से सबूत हाथ लग जाते हैं और वह मुख्य अपराधी तक भी पहुंच जाता है। कहीं बात को कुछ ज्यादा ही बढ़ा-चढ़ा कर बता दिया गया है, लेकिन मनोरंजन के बहाव में ये बातें छिप जाती हैं। दर्शक इनकी उपेक्षा कर देता है। 
 
निर्देशक के रूप में भी सुभाष कपूर प्रभावित करते हैं। जॉली सीरिज की टोन को उन्होंने बरकरार रखा है। उत्तर भारत के मिजाज को प्रस्तुत करने में आनंद एल राय और सुभाष कपूर का जवाब नहीं है। पूरी फिल्म में उत्तर प्रदेश का मिजाज उभर कर सामने आता है। फिल्म का पहला सीन ही यहां की चरमराई व्यवस्था पर करारा तंजा है। अदालत के भीतर और अंदर की बातों को भी बारीकी से पेश किया गया है। अंधेरे बदबूदार कमरों में किस तरह न्याय किया जाता है फिल्म यह बात दर्शाने में सफल रही है। सुभाष कपूर ने फिल्म में मनोरंजन का ग्राफ कभी की गिरने नहीं दिया है और इसके लिए उनकी तारीफ की जा सकती है। फिल्म में कुछ इमोशनल सीन भी है जो दिल को छूते हैं। 
 
फिल्म से कुछ वकील नाराज बताए जा रहे हैं, लेकिन फिल्म देखने के बाद उनकी नाराजगी दूर हो जाएगी। आखिर किस पेशे में बुरे लोग नहीं होते? यदि यहां माथुर जैसा खुर्राट वकील है जो पैकेज बताकर काम करता है तो दूसरी ओर जॉली जैसा अच्छे वकील भी है जो सच्चाई के लिए किसी से भी भिड़ जाता है। 
 
फिल्म जजों के दर्द को भी बयां करती है। तीन करोड़ मुकदमे पेडिंग पड़े हैं और इक्कीस हजार जज हैं, तो देर तो होनी ही है। अच्छे वकील, बुरे वकील और एक जज की जुगलबंदी बहुत कुछ फिल्म में बयां करती है। 
 
अक्षय कुमार के करियर की बेहतरीन फिल्मों में जॉली एलएलबी 2 का नाम शामिल रहेगा। अपने किरदार को उन्होंने बारीकी से पकड़ा है। एक मस्तमौला इंसान से एक संजीदा इंसान में तब्दील होने वाली बात को उन्होंने अपने अभिनय से दर्शाया है। उनकी कॉमिक टाइमिंग भी बढ़िया रही है। 
 
अन्नू कपूर ने एक नामी वकील के रूप में वह सब किया है कि दर्शक उनसे नफरत करें और यही उनकी कामयाबी है। सौरभ शुक्ला ने जज के रूप में दर्शकों को खूब हंसाया है। उनका नजदीक से पढ़ना, पौधे को पानी डालना, बिटिया की शादी का टेंशन और कोर्ट के माहौल को हल्का करने की कोशिश करना दर्शकों को खूब हंसाता है। 
 
हुमा कुरैशी का रोल बड़ा तो नहीं है, लेकिन वे अपनी उपस्थिति दर्ज कराती हैं। हिना के रूप में सयानी गुप्ता ने बहुत उम्दा एक्टिंग की है। उनका वो सीन कमाल का है जब उन्हें पता चलता है कि जॉली ने उसके साथ धोखा किया है। फिल्म के अन्य कलाकार भी मंजे हुए हैं। 
 
फिल्म के संवाद चुटीले हैं। 'गो पागल' और 'बावरा मन' गाने सुनने में अच्छे लगते हैं। 
 
कुल मिलाकर जॉली एलएलबी 2 ऐसी फिल्म है जो पहले से आखिरी सीन तक दर्शकों का मनोरंजन करती है। 

बैनर : फॉक्स स्टार स्टुडियो
निर्देशक : सुभाष कपूर
संगीत : मीत ब्रदर्स, विशाल खुराना, मंज मौसिक, चिरंतन भट्ट
कलाकार : अक्षय कुमार, हुमा कुरैशी, अन्न कपूर, सौरभ शुक्ला, कुमु‍द मिश्रा, सयानी गुप्ता 
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 18 मिनट 31 सेकंड 
रेटिंग : 3.5/5