कर्म और किस्मत का कनेक्शन
निर्माता : कुमार एस. तौरानी - रमेश एस. तौरानीनिर्देशक : अज़ीज़ मिर्जा संगीत : प्रीतम चक्रवर्ती कलाकार : शाहिद कपूर, विद्या बालन, जूही चावला, ओम पुरीयू सर्टिफिकेट * 16 रील रेटिंग : * * 1/2अज़ीज मिर्जा के पिता कहा करते थे कि जो युवावस्था में किस्मत पर यकीन करता है, उससे बड़ा मूर्ख और कोई नहीं है और जो बुढ़ापे में किस्मत पर यकीन नहीं करे, उससे बड़ा भी कोई मूर्ख नहीं है। बात गोलमोल है और इसी को मद्देनजर रखते हुए अजीज की बेटी राहिल मिर्जा ने ‘किस्मत कनेक्शन’ कहानी लिखी है। किस्मत नामक चीज होती है या नहीं, इसको लेकर अंतहीन बहस की जा सकती है। कई ऐसे व्यक्ति जो सफल नहीं हो पाते, किस्मत की आड़ लेकर छिप जाते हैं। विज्ञान की कसौटी पर भी देखा जाए तो किस्मत जैसी कोई चीज नहीं होती है। अज़ीज की यह फिल्म भाग्यवादी होने की तरफ ज्यादा झुकी हुई है क्योंकि फिल्म का नायक राज (शाहिद कपूर) जब प्रतिभाशाली होने के बावजूद सफल नहीं हो पाता तो हसीना बानो जान (जूही चावला) की शरण में जाता है। हसीना लोगों को भविष्य बताती है। वह राज से कहती है कि यदि वह अपना लकी चार्म ढूँढ ले तो उसे सफलता जरूर मिलेगी। उसे अपना भाग्य मिलता है प्रिया (विद्या बालन) में। प्रिया और राज शुरुआत में खूब लड़ते हैं, लेकिन जब-जब प्रिया उसके साथ रहती है उसका काम बनने लगता है। राज को समझ में आ जाता है कि प्रिया ही उसका लकी चार्म है।
इस कहानी को जोड़ा गया है उस घिसी-पिटी कहानी के साथ जो रुपहले परदे पर हम कई बार देख चुके हैं। नायिका एक कम्यूनिटी सेंटर चलाती है, जिसमें वह वृद्ध लोगों का खयाल रखती है। उस जगह पर बिल्डर संजीव गिल (ओम पुरी) की निगाह है, जो वहाँ पर शॉपिंग मॉल बनाना चाहता है। इस शॉपिंग मॉल की डिजाइन राज बनाता है। इसको लेकर राज और प्रिया में गलतफहमी पैदा होती है, जो किस तरह दूर होती है यह फिल्म का सार है। प्रिया के मंगेतर की कहानी भी साथ-साथ चलती है।भारत में भी इस फिल्म को फिल्माया जा सकता था, लेकिन फिल्म को रिच लुक देने के लिए इसे कनाडा में फिल्माया गया है ताकि कुछ हटकर लगे। फिल्म की कहानी में नयापन नहीं है, लेकिन स्क्रीनप्ले (संजय छैल, विभा सिंह, साई कबीर) अच्छा होने की वजह से दर्शक की फिल्म में रुचि बनी रहती है। मध्यांतर के बाद फिल्म बेहद धीमी हो जाती है और इसकी लंबाई अखरने लगती है। कई गानों के लिए ठीक से सिचुएशन नहीं बनाई गई।अज़ीज मिर्जा एक अच्छे निर्देशक हैं और कई दृश्यों को उन्होंने पटकथा से ऊपर उठकर अपना टच दिया है। लेकिन दोहराव से उन्हें बचना चाहिए। ‘राजू बन गया जेंटलमैन’ हो या ‘यस बॉस’ या ‘किस्मत कनेक्शन’, फिल्म का नायक एक जैसा ही दिखाई देता है। मंजिल तक पहुँचने के लिए संघर्ष करता हुआ। प्रतिभाशाली होते हुए भी असफल। शाहिद कपूर ने अपनी भूमिका ठीक-ठाक निभाई है। कई दृश्यों में उन्होंने शाहरुख जैसा अभिनय किया है। शायद इसमें अज़ीज मिर्जा का हाथ हो, क्योंकि अब तक उन्होंने सारी फिल्म शाहरुख को साथ लेकर बनाई है। कई दृश्यों में शाहिद ओवरएक्टिंग का भी शिकार हो गए हैं। विद्या बालन अपने लुक को लेकर बेहद परेशान दिखीं। उन्होंने कई हेयर स्टाइल आजमाईं, लेकिन उन पर एक भी नहीं जमी। यही हाल उनकी ड्रेस का भी रहा। इससे उनका अभिनय भी प्रभावित हुआ। शाहिद के साथ भी उनकी केमेस्ट्री नहीं जमी।
जूही चावला से ओवर एक्टिंग करवाई गई। ओम पुरी, विशाल मल्होत्रा, मनोज बोहरा और हिमानी शिवपुरी ने अपने किरदार अच्छे से निभाए। प्रीतम का संगीत अच्छा है और कुछ गाने सुनने लायक हैं। बिनोद प्रधान ने कनाडा को खूब फिल्माया है। कुल मिलाकर ‘किस्मत कनेक्शन’ फील गुड सिनेमा है और इससे कुछ ठोस सामने नहीं आता। यह फिल्म इस अंधविश्वास को बढ़ावा देती है कि कर्म के साथ-साथ किस्मत का होना आवश्यक है। ***** अद्भुत **** शानदार *** अच्छी ** औसत * बेकार