तारे जमीन पर : हर बच्चा महत्वपूर्ण है
निर्माता-निर्देशक : आमिर खान गीत : प्रसून जोशी संगीत : शंकर-अहसान-लॉय कलाकार : आमिर खान, दर्शील सफारी, तान्या छेडा, सचेत इंजीनियर, टिस्का चोपड़ा, विपिन शर्मा नन्हे-मुन्ने बच्चे हमारे देश की जनसंख्या का बहुत बड़ा हिस्सा हैं, लेकिन इनके लायक फिल्में बहुत कम बनती हैं। आमिर खान के साहस की प्रशंसा की जानी चाहिए कि उन्होंने अपने निर्देशन में बनी पहली फिल्म ‘तारे जमीन पर’ एक बच्चे को केन्द्र में रखकर बनाई है। वे चाहते तो एक कमर्शियल फिल्म भी बना सकते थे। इस फिल्म के जरिए उन्होंने बच्चों के भीतर झाँकने की कोशिश की है। कहानी का मुख्य पात्र है ईशान अवस्थी (दर्शील सफारी)। उसकी उम्र है आठ वर्ष। बेचारा ईशान, है तो नन्हीं जान, लेकिन उसके कंधों पर पापा-मम्मी के ढेर सारे हैं अरमान। वे चाहते हैं कि ईशान अपने होमवर्क में रूचि लें। परीक्षा में अच्छे नंबर लाएँ। हमेशा साफ-सफाई का ध्यान रखें। ईशान कोशिश करता है, लेकिन फिर भी वह उन अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाता। ईशान की जिंदगी में पतंग, रंग और मछलियों का महत्व है। वह इनके बीच बेहद खुश रहता है। उसे पता नहीं है कि वयस्कों की जिंदगी में इन्हें महत्वहीन माना जाता है। लाख समझाने के बावजूद भी जब ईशान अपने माता-पिता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाता तो वे उसे बोर्डिंग स्कूल भेजने का निर्णय लेते हैं। उनका मानना है कि दूर रहकर ईशान अनुशासित हो जाएगा। कुछ सीख पाएगा। ईशान नए स्कूल में जाता है, लेकिन उसमें कोई बदलाव नहीं आता। उसे अपने घर की याद सताती है। एक दिन स्कूल में नए आर्ट टीचर आते हैं। नाम है उनका रामशंकर निकुंभ (आमिर खान)। वे आम टीचर से बिलकुल अलग हैं। उनके पढ़ाने के नियम अलग हैं। वे बच्चों से उनकी कल्पनाएँ, उनके सपने और उनके विचार पूछते हैं और उसके अनुसार पढ़ाते हैं।
बच्चों को ऐसा टीचर मिल जाएँ तो फिर क्या बात है। सारे विद्यार्थी निकुंभ सर की क्लास में चहचहाते हैं। उनके चेहरे की खुशी देखने लायक होती है, लेकिन ईशान अभी भी खुश नहीं है। उसके मन की उदासी को निकुंभ पढ़ लेते हैं। वे इसकी वजह जानना चाहते हैं। वे ईशान से बात करते हैं। धैर्य के साथ उसके विचार सुनते हैं। समय गुजरने के साथ-साथ ईशान अपने आपको निकुंभ की मदद से खोज लेता है। पात्र-परिचय
ईशान नंदकिशोर अवस्थी : मेरा नाम ईशान है और मैं आठ वर्ष का हूँ। मुझे कुत्ते, मछलियाँ, चमकती चीजें, रंग और पतंग बहुत पसंद हैं। मैं बहुत बिंदास हूँ। चित्र बनाना मुझे बहुत अच्छा लगता है। मैं बोर्डिंग स्कूल नहीं जाना चाहता हूँ। मैं वादा करता हूँ कि मैं मन लगाकर पढ़ाई करूँगा।