गुरुवार, 17 जुलाई 2025
  • Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. खुल जा सिम सिम
  4. Johnny Walker, Gurudutt, Balraj Sahni, Khul Jaa Sim Sim
Written By

बदरूद्दीन कैसे बन गया जॉनी वाकर?

जॉनी वाकर
यह जानकारी बहुत कम को ही पता होगी कि जॉनी वाकर का वास्तविक नाम बदरूद्दीन जमालुद्दीन काज़ी था। आखिर यह जॉनी वाकर कैसे बन गया? इसके पीछे दिलचस्प दास्तान है। इसके पहले थोड़ा जॉनी वाकर के बारे में चर्चा कर लेते हैं। उन्हें हिंदी फिल्मों का महानतम हास्य अभिनेता मान सकते हैं जो बहुत ही सादगी और भोलेपन से दर्शकों को हंसाता था। ओछेपन, फूहड़ता और अश्लीलता से कोसों दूर।

इन्दौर में एक मिल मजदूर के यहां पैदा हुए थे। मिल बंद हो गई तो काम की तलाश में परिवार महाराष्ट्र चला गया। फिल्मों का जॉनी को शौक था। नूर मोहम्मद चार्ली उनके आदर्श थे। फिल्मों में काम करने की ललक थी, लेकिन परिवार के लिए पैसा कमाना भी जरूरी था। जॉनी ने कुल्फी, फल और सब्जी बेची। फिर बस कंडक्टर बन गए। तमाम संघर्ष के बावजूद उन्होंने अपने सपने को मरने नहीं दिया। अपनी अदाकारी वे कंडक्टरगिरी करते हुए भी दिखाया करते थे। टिकट काटते हुए वे मुसाफिरों को हंसाया करते थे। गाने सुनाते थे।
आखिरकार उन पर नजर पड़ी एक महान अभिनेता की... अगले पेज पर

उम्मीद का दामन तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी जॉनी ने नहीं छोड़ा तो खुदा को उन पर मेहरबान होना पड़ा। उनके बारे में एक किस्सा बहुत ही मशहूर है। महान अभिनेता बलराज साहनी की नजर जॉनी पर पड़ी जो कंडक्टर कम अभिनेता ज्यादा नजर आ रहे थे। बलराज साहनी ने कहा कि भाई फिल्मों में कोशिश क्यों नहीं करते। गुरुदत्त का पता जॉनी वाकर को बता दिया। गुरुदत्त के ऑफिस में जानी वाकर शराबी बन कर घुसे और जम कर धमाल मचाया। गुरुदत्त वाकई में उन्हें शराब के नशे में धुत्त एक सरफिरा आदमी समझे। बाद में पता चला कि यह तो अभिनय था। 'बाजी' फिल्म में उन्होंने जॉनी वाकर को चुन लिया।  
बदरुद्दीन कैसे बना जॉनी वाकर... अगले पेज पर

गुरुदत्त को बदरुद्दीन की शराबी वाली अदा भा गई, लेकिन 'बदरुद्दीन' नाम उन्हें बदरंग नजर आया। उन्होंने कहा कि इसे बदलना चाहिए। उन्होंने सीधे शराब से जोड़ा। पीने वाले जानते हैं कि स्कॉच व्हिस्की का 'जॉनी वाकर' लोकप्रिय ब्रैंड है। बस बदरूद्दीन को उन्होंने 'जॉनी वाकर' कर दिया। इसके बाद जॉनी ने पीछे नहीं देखा। खूब फिल्में की। हताश और परेशान लोगों को खूब हंसाया। यादगार रोल भी निभाएं। उन पर फिल्माए गए गाने भी लोकप्रिय हुए। जब लगा कि फिल्मों में हास्य का स्तर गिरने लगा। परिवार के साथ फिल्में देखी नहीं जा सकती तो बगैर समझौता किए जॉनी वाकर फिल्मों से दूर होते चले गए। ढेर सारी फिल्में जॉनी ने की, लेकिन सेंसर बोर्ड ने उनकी एक लाइन भी नहीं काटी। इतना साफ-सुथरा हास्य था जॉनी भाई का।