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Last Modified: सोमवार, 7 फ़रवरी 2022 (16:14 IST)

सिगरेट के फॉइल पर लिखा गया था 'ऐ मेरे वतन के लोगों', लता मंगेशकर ने मना कर दिया था गाने से

सिगरेट के फॉइल पर लिखा गया था 'ऐ मेरे वतन के लोगों', लता मंगेशकर ने मना कर दिया था गाने से | lata mangeshkar song ae mere watan ke logon was written on the cigarette foil
स्वर कोकिला लता मंगेश्कर का गाया गाना 'ऐ मेरे वतन के लोगों' जब भी सुनाई देता है तब श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। बताया जाता है कि इस गाने को अपनी आवाज देने के लिए लता मंगेशकर ने मना कर दिया था. लेकिन जब उन्होंने इस गाने को पहली बार सुना तो वो रोने लगी थीं। 

 
कवि प्रदीप ने 'ऐ मेरे वतन के लोगों' की रचना की है। कवि प्रदीप के दिमाग में इस गाने के बोल तब आए जब वह मुंबई माहीम बीच पर टहल रहे थे। उस वक्त उनके पास ना पेन था और ना ही कागज। ऐसे में उन्होंने पास से गुजर रहे अजनबी से पेन मांगा और सिगरेट के एल्यूमिनियम फॉयल पर गाने को लिखा।
 
कवि प्रदीप इस गाने को लता मंगेशकर से ही गवाना चाहते थे। किसी बात को लेकर लता मंगेशकर और कवि प्रदीप के बीच मतभेद हो गया था, इसके बाद लता ने इस गाने को गाने से इनकार कर दिया। काफी समय के बाद कवि प्रदीप ने लता दीदी को मनवाया और इस गाने को लता मंगेशकर ने अपनी आवाज दी। 
 
बताया जाता है कि लता ने उस वक्त एक शर्त रखी थी उनका कहना था कि जब भी इस गाने का रिहर्सल होगा तो उन्हें वहां पर मौजूद रहना होगा। कवि प्रदीप गायिका की इस बात को तुरंत मान गए थे।
 
लता जी ने जब इस गाने को नेशनल स्टेडियम में प्रधानमंत्री नेहरू के सामने गाया तो उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। लता जी की आवाज में इस गाने को सुनने के बाद नेहरू जी गायिका से बात करना चाहते थे। इस पर लता मंगेशकर काफी घबरा गई थीं, क्योंकि उन्हें लगा था कि उनसे कोई गलती हो गई है। लेकिन जब वह पंडित जी से मिली तो उनकी आंखों में आंसू थे। 
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