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Last Updated : बुधवार, 24 जुलाई 2024 (10:49 IST)

प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के कहने पर मनोज कुमार ने बनाई थी फिल्म उपकार

birth anniversary laal bahadur shastri suggested manoj kumar to make film upkaar - birth anniversary laal bahadur shastri suggested manoj kumar to make film upkaar
Manoj Kumar birth anniversary : बॉलीवुड के जानेमाने अभिनेता-फिल्मकार मनोज कुमार 86 साल के हो गए हैं। मनोज कुमार का मूल नाम हरिकिशन गिरी गोस्वामी हैं। उनका जन्म 24 जुलाई 1937 में हुआ था। जब वह महज दस वर्ष के थे तब उनका पूरा परिवार राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में आकर बस गया। बचपन के दिनों में मनोज कुमार ने दिलीप कुमार अभिनीत फिल्म 'शबनम' देखी थी। फिल्म में दिलीप कुमार के निभाए किरदार से मनोज कुमार इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने भी फिल्म अभिनेता बनने का फैसला कर लिया।
 
मनोज कुमार ने अपनी स्नातक की शिक्षा दिल्ली के मशहूर हिंदू कॉलेज से पूरी की। इसके बाद बतौर अभिनेता बनने का सपना लेकर वह मुंबई आ गए। बतौर अभिनेता मनोज कुमार ने अपने सिने करियर की शुरुआत साल 1957 में रिलीज फिल्म 'फैशन' से की। फिल्म में मनोज कुमार ने छोटी सी भूमिका निभाई थी। साल 1957 से 1962 तक मनोज कुमार फिल्म इंडस्ट्री मे अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। फिल्म 'फैशन' के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली वह उसे स्वीकार करते चले गए। 
 
इस बीच उन्होंने कांच की गुडि़या, रेशमी रूमाल, सहारा, पंयायत, सुहाग सिंदूर, हनीमून, पिया मिलन की आस जैसी कई बी ग्रेड फिल्मों मे अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई। मनोज कुमार के अभिनय का सितारा निर्माता-निर्देशक विजय भटृ की साल 1962 में रिलीज क्लासिक फिल्म 'हरियाली और रास्ता' से चमका। फिल्म में मनोज कुमार के अपोजिट माला सिन्हा थीं। मनोज कुमार और माला सिन्हा की जोड़ी को दर्शकों ने बेहद पसंद किया। 
 
साल 1964 में मनोज कुमार की एक और सुपरहिट फिल्म 'वह कौन थी' रिलीज हुई। फिल्म में उनकी नायिका की भूमिका साधना ने निभाई। रहस्य और रोमांच से भरपूर इस फिल्म में साधना की रहस्यमय मुस्कान के दर्शक दीवाने हो गए। साल 1965 में ही मनोज कुमार की एक और सुपरहिट फिल्म 'गुमनाम' भी रिलीज हुई। इस फिल्म में रहस्य और रोमांस के ताने-बाने से बुनी, मधुर गीत-संगीत और ध्वनि के कल्पनामय इस्तेमाल किया गया था। साल 1965 में ही मनोज कुमार को विजय भटृ की फिल्म 'हिमालय की गोद' में काम करने का मौका मिला जो बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई। इस फिल्म में भी मनोज कुमार की नायिका माला सिन्हा थीं। 
 
साल 1965 में रिलीज फिल्म 'शहीद' मनोज कुमार के सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है। देशभक्ति के जज्बे से परिपूर्ण इस फिल्म में मनोज कुमार ने भगत सिंह की भूमिका को रूपहले पर्दे पर जीवंत कर दिया। फिल्म से जुड़ा दिलचस्प तथ्य है कि मनोज कुमार के ही कहने पर गीतकार प्रेम धवन ने न इस फिल्म के गीत लिखे साथ ही फिल्म का संगीत भी दिया। उनके रचित गीत 'ऐ मेरे प्यारे वतन' और 'मेरा रंग दे बसंती चोला' आज भी उसी तल्लीनता से सुने जाते हैं जिस तरह उस दौर में सुने जाते थे।
 
साल 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की समाप्ति के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने देश में किसान और जवान की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया और मनोज कुमार से इसपर फिल्म बनाने की पेशकश की। बाद में मनोज कुमार ने फिल्म 'उपकार' का निर्माण किया। साल 1967 में रिलीज फिल्म 'उपकार' में मनोज कुमार ने किसान की भूमिका के साथ ही जवान की भूमिका में भी दिखाई दिए। फिल्म में उनके चरित्र का नाम भारत था बाद में इसी नाम से वह फिल्म इंडस्ट्री में मशहूर हो गए।
 
साल 1970 में मनोज कुमार के निर्माण और निर्देशन में बनी एक और सुपरहिट फिल्म 'पूरब और पश्चिम' रिलीज हुई। फिल्म के जरिए मनोज कुमार ने एक ऐसे मुद्दे को उठाया जो दौलत के लालच में अपने देश की मिट्टी को छोड़कर पश्चिम में पलायन करने को मजबूर है। साल 1972 में मनोज कुमार के सिने करियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म 'शोर' रिलीज हुई। साल 1974 में रिलीज फिल्म 'रोटी कपड़ा और मकान' मनोज कुमार के करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है। इस फिल्म के जरिए मनोज कुमार ने समाज की अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट की साथ ही आम आदमी की जिंदगी में जरूरी रोटी, कपड़ा और मकान के मुद्दे को उठाया।
 
साल 1976 में रिलीज फिल्म 'दस नंबरी' की सफलता के बाद मनोज कुमार ने लगभग पांच वर्षो तक फिल्म इंडस्ट्री से किनारा कर लिया। साल 1981 में मनोज कुमार ने फिल्म 'क्रांति' के जरिए अपने सिने करियर की दूसरी पारी शुरू की। दिलचस्प बात है इसी फिल्म के जरिए मनोज कुमार के आदर्श दिलीप कुमार ने भी अपने सिने करियर की दूसरी पारी शुरू की थी। देशभक्ति के जज्बे से परिपूर्ण फिल्म में मनोज कुमार और दिलीप कुमार की जोड़ी को जबरदस्त सराहना मिली।
 
साल 1983 में अपने पुत्र कुणाल गोस्वामी को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने के लिए मनोज कुमार ने फिल्म 'पेन्टर बाबू' का निर्माण किया लेकिन कमजोर पटकथा और निर्देशन के कारण फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी। फिल्म की असफलता से मनोज कुमार ने लगभग छह वर्ष तक फिल्म निर्माण से किनारा कर लिया। साल 1989 में मनोज कुमार एक बार फिर से फिल्म निर्माण और निर्देशन के क्षेत्र में वापस आए और फिल्म 'क्लर्क' का निर्माण किया। लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर असफल साबित हुई। 
 
साल 1999 में रिलीज फिल्म 'जय हिंद' बतौर निर्माता-निर्देशक मनोज कुमार के सिने करियर की अंतिम फिल्म साबित हुई जो बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह नकार दी गई। मनोज कुमार अपने सिने करियर में सात फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किये गए हैं।
 
फिल्म के क्षेत्र में मनोज कुमार के उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए उन्हें साल 2002 में पद्मश्री पुरस्कार, साल 2008 में स्टार स्क्रीन लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार और साल 2016 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
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