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मेरा तो पहले से ही नाम बद्री है: वरुण धवन

मेरा तो पहले से ही नाम बद्री है: वरुण धवन - Varun Dhawan, Badrinath Ki Dulhania, Interview of Varund Dhawan
मैं डांस पार्टी या क्लब में जाता हूं तो साइड में बैठा रहता हूं, कभी भी डांस नहीं करता। मेरे दोस्त मेरे फिल्मी गानों पर जरूर डांस करते हैं। जरा मुश्किल होता है इस बात पर यकीन करना खासतौर पर जब तब जब यह बात युवा पीढ़ी में परफेक्ट डांसर बनकर उभरे वरुण धवन कहते हैं। एक और मजेदार बात वरुण बताते हैं कि 'बद्री' तो मेरा नाम 'बद्रीनाथ की दुल्हनियां' में होने की वजह से पड़ा है, वरना मेरे दोस्त कवीश ने तो मेरा नाम पहले से ही 'बद्री' रख दिया है। 
 
वे कहते हैं कि मेरे दोस्त मेरे आलोचक हैं। तीन दोस्त बहुत खास हैं, कवीश, अंकित और अमन। अगर कोई सीन कर रहा होता हूं तो पहले मैं उन्हें फोन लगाता हूं और उनके साथ वो सीन कर लेता हूं। वे लोग बताते हैं कि क्या गलत जा रहा है या मेरे उच्चारण गलत हैं। फिर वो लोग कहते हैं कि ये सब रीयल लाइफ में नहीं होता तो फिर उन्हें मुझे याद दिलाना होता है कि मैं हीरो हूं और फिल्म कर रहा हूं, रीयल लाइफ नहीं।


 
कौन सी ऐसी आलोचना है जो आपके बहुत काम आ गई?
मेरे कजिन हैं आदित्य पुरी, उन्होंने 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' देखी और कहा कि तुम्हारी आवाज बहुत कमजोर भाग है, उस पर काम करो वरना बड़े हीरो बनने से ये बात रोक सकती है। 'हम्टी' के समय निर्देशक शशांक ने बहुत मेहनत कराई। वो नाटक की दुनिया से जुड़े हैं। 'बद्री' में और भी मेहनत की, फिर 'बदलापुर' में मेहनत की और मुझे होमी अदजानिया ने भी बताया कि माइक पर भी आवाज को बदला जा सकता है।
 
'हम्टी' से 'बद्री' कितना अलग है?
'हम्टी' दिल्ली का रहने वाला था और 'बद्रीनाथ बंसल' झांसी का रहने वाला है। इसके पिता साहूकार हैं। इस फिल्म में हम महिलाओं की इज्जत करना भी सिखा रहे हैं, लेकिन इसे एक हल्के-फुल्के तरीके से दिखाया है। बद्री को मालूम पड़ता है कि जो उसकी सोच है, वो अलग है, लेकिन दुनिया अब ऐसी नहीं रही है। जो वो लड़कियों के बारे में सोच रखता था तो लड़कियां उससे कहीं आगे बढ़ गई हैं।
 
आप क्या सोचते हैं इस विषय के बारे में? 
मैं बचपन से ऐसा सोचता था कि एक तरफ तो हम हमारे देश में महिलाओं को देवी बनाकर पूजते हैं तो फिर कैसे कोई इन पर ज्यादती या रेप या असमानता की भावना रख सकता है? मुझे तो मेरी मां कन्या पूजन के दिन छोटी बच्चियों के पांव धुलवाने को कहती थीं। हमारे देश में ऐसा क्या गलत हो गया, जो हम आए दिन ऐसी खबरें पढ़ते रहते हैं। शायद इस फिल्म से मुझे मौका मिल गया अपनी तरफ से कुछ कहने का।
 
कभी आपने जिंदगी में महिलाओं के लिए कुछ किया है?
मैं कोई 10-12 साल का था और जिस घर में रहता था उसके ठीक ऊपर मुझे कुछ चीखने की आवाज आई। उस दिन घर में मेरे अलावा कोई नहीं था तो मैंने पुलिस को फोन लगा दिया और उन लोगों को शायद कुछ ज्यादा ही डरा दिया। फिर बिल्डिंग में पुलिस आई तो मेरी मां ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है तथा बच्चा शायद डर गया इसलिए बुला लिया। जब पुलिस गई तो मां ने मुझे कहा कि मैंने बहुत सही और अच्छा काम किया है।
 
इस फिल्म में एक गाना है 'बद्री की दुल्हनिया...' उसकी कहानी बताइए?
राज कपूर का एक गाना है- 'चलत मुसाफिर मोह लियो रे...' उसेसे हमने फोक लिया है और ये गाना बनाया है। ये ट्यून  बहुत प्रचलित रही है,  लेकिन नई पीढ़ी को इस बारे में मालूम नहीं है। यहां तक कि 'तम्मा-तम्मा...' भी किसी 18 साल के युवा को नहीं पता होगी। ओरिजिनल के बारे में हम नहीं जानते, क्योंकि वो पैदा नहीं हुए थे। हम वही पुरानी मेलोडी को फिर ला रहे हैं ताकि आज की पीढ़ी भी मजे ले सके और हम हमारे इतिहास को खोने नहीं देना चाहते। 
 
आप में अपनी पहली फिल्म और आज में कितना अंतर आया है?
मैं खुद तो नहीं बता सकता कि मैं कितना बदला या कितना ग्रोथ कर पाया हूं। मैं हर बार उस वरुण की तलाश करता हूं, जो 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' में आया था। मैं बहुत पैशनेट हुआ करता था। मैं सेट पर पहुंचने वाला पहला शख्स होता था और सेट से निकलने वाला आखिरी व्यक्ति। मैं कोशिश करता हूं कि मैं वही वरुण आज भी बना रहूं।
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