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Last Modified: गुरुवार, 10 नवंबर 2022 (16:54 IST)

'मोनिका ओ माय डार्लिंग' में अपने किरदार के बारे में राधिका आप्टे ने कही यह बात

'मोनिका ओ माय डार्लिंग' में अपने किरदार के बारे में राधिका आप्टे ने कही यह बात | radhika apte talk about her character in monica o my darling
अपने सीरियस रोल के लिए जानी जाने वाली राधिका आप्टे जल्द फिल्म 'मोनिका ओ माय डार्लिंग'‍ में नजर आने वाली हैं। फिल्म के ट्रेलर को देखकर ही समझ में आता है कि एक डार्क कॉमेडी है और ऐसे में राधिका आप्टे का डार्क कॉमेडी करना उन्हें कितना रास आ रहा है, यही जाने की कोशिश की। 

 
इस फिल्म के प्रमोशनल इंटरव्यू के दौरान अपने रोल और कॉमेडी के बारे में बात करते हुए राधिका ने कहा कि मुझे जब यह फिल्म ऑफर की गई तो मैं सोच में पड़ गई थी। मुझे लगा मैं तो हमेशा डार्क रोल करती आई हूं संजीदा रोल करते आई हूं। ऐसे में कॉमेडी में मैं कितना कर पाऊंगी मुझे खुद को समझ नहीं आ रहा था। मेरे लिए ये एक बहुत बड़ी चुनौती थी क्योंकि मुझे हमेशा ही लगता है की कॉमेडी करना कोई छोटी मोटी बात नहीं है इसके लिए अलग तरीके के लोग होते होंगे। मैंने तो निर्देशक को पूछा भी कि जो रोल तुम मुझे दे रहे हो, वह मुझसे ही क्यों करवाना चाह रहे हो?
 
अपने रोल के बारे में आगे बताते हुए राधिका ने कहा कि मैं इसमें एक ऐसे पुलिस ऑफिसर का रोल निभा रही हूं, जो बड़ा ही चालू किस्म का है। वह अपना फायदा देखता है और काम करता है। जहां तक कॉमेडी की बात है मुझे तीन चार साल पहले की बातें याद आती है तो उसमें कोई भी चीज मेरे हिसाब से नहीं जाती तो मुझे बड़ा गुस्सा आता था। मैं बड़ी चिड़चिड़ करती थी लेकिन अब मैं बिल्कुल अलग हो गई हूं। 
 
जब भी कोई बात ऐसी अजीब सी हो जाती जो मैंने कभी सोची तो मैं उसे देख कर मुझे लगता है कि इतनी फनी बात हो गई। अभी हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक पत्रकार ने मुझसे बहुत ही अजीब सी बात पूछी तो बजाय उसके कि मैं उस पर गुस्सा करूं मुझे हंसी आने लगी। मुझे लगा कि यह पत्रकार खुद अपनी खिल्ली उड़ा रहा है ना कि सही सवाल पूछ रहा है। 
 
आप किस तरीके से फिल्म को चुनती हैं या रिजेक्ट करती हैं?
मैं सच कहूं तो मेरे पास आने वाली 90% फिल्मों को मैं मना ही कर देती हूं कि अभी मुझे लगता है कि काम करने के लिए काम नहीं करना है। मुझे मजा आना चाहिए और फिर एक्टिंग के अलावा बहुत सारी चीज है जो मुझे लगता है मुझे अपने जीवन में सीखनी है। चाहे वो स्क्रिप्ट राइटिंग हो, निर्देशन हो, चाहे वह एक्टिंग हो, चाहे कोई और भी विधा क्यों न हो। मैं सब सीखना चाहती हूं। 
 
मैं स्क्रिप्ट राइटिंग पर भी एक कोर्स कर रही हूं। कई बार मेरे साथ यह भी होता है कि जब फिल्में मैं मना कर देती हूं और कुछ महीने बाद वही फिल्में कोई और एक्ट्रेसेस कर रही होती है और मेरे सामने आती है तो फिर मैं बड़े टेंशन में आ जाती हूं कि क्यों ये फिल्म छोड़ दी या यह प्रोजेक्ट भी छोड़ दिया। यह सब हो जाने के बाद फिर मेरे दिमाग में एक विचार आता है कि किसी चीज को मना करने के लिए भी अपने आप में दम होना चाहिए। एक सशक्तिकरण का अनुभव होता है जब मैं किसी प्रोजेक्ट को मना करती हूं। आज मैं जिस मकाम पर हूं जहां मैं मना कर सकूं। 
 
आप मराठी फिल्में नहीं कर रही है। कोई खास वजह है
मराठी फिल्म मैं नहीं करना चाहती ऐसा तो मैंने कभी नहीं कहा, लेकिन पिछले 3 सालों में मुझे आज तक कभी किसी ने कोई मराठी फिल्म ऑफर ही नहीं की है। 3 साल पहले जरूर मुझे कुछ ऑफर आए थे मराठी फिल्मों के, लेकिन उनकी स्क्रिप्ट मुझे पसंद नहीं आई। मुझे कभी भी किसी चीज को लेकर परहेज नहीं है। चाहे वह भाषा कोई भी हो, किसी भी तरीके का प्लेटफार्म हो। मेरे रोल की लंबाई को लेकर ही बात क्यों ना हो जाए? 
 
आप अपने दम पर बहुत आगे बढ़ कर आई हैं। कभी मेंटरशिप के बारे में सोचा है। 
मुझे यह शब्द समझ में नहीं आता मेंटरशिप। मेरा कहना है कि सबको एक बराबर क्यों न मान लिया जाए? और जहां तक बात है सीखने सिखाने की तो मैं अपने आसपास जो काम कर रहे हैं, उनसे बहुत सारी चीजें सीखते रहती हूं। मुझे कई सारे लोग ऐसे होते हैं जिनका काम बड़ा पसंद आता है। एक पूजा श्री राम है जो कभी डायरेक्ट कर लेती है तो कभी फिल्म एडिट कर लेती है। मुझे उनका काम बहुत अच्छा लगता है। वह मेरी अच्छी दोस्त है। मुझे कई लोग बड़े पसंद आते हैं। 
 
विक्रमादित्य मोटवाने या फिर अनुराग कश्यप ही क्यों ना हो? इनके अलावा में और भी नाम लेना चाहूंगी विनय पाठक है या फिर तिलोत्तमा है या कलकी है यह मेरे बहुत ही करीबी दोस्तों का समूह है। इसके अलावा लीना यादव है, हर्ष कुलकर्णी है तो कभी ऐसा हुआ कि मैं किसी सोच में पड़ जाती हूं और मुझे समझ में नहीं आता कि किस और निकलना है तो इन लोगों से फोन पर बात कर लेती हूं और फिर यह जो बात कहते हैं, जवाब देते हैं। उस बात को गहराई से सोचती हूं। 
 
इसके अलावा मेरे जो पार्टनर है, बेनेडिक्ट वह तो जाहिर है। मैं उनसे बहुत सारी बातें करती हूं। इसके अलावा मेरे एजेंट है। सारा, जया, शाहरुख और अफजल यह सभी लोग हम एक टीम बनाते हैं और मुझे इस टीम पर बहुत भरोसा है। और अच्छी बात यह है कि मेरी टीम हमेशा मुझे बताती है कि मुझे क्या करना है और मैं वैसा बिल्कुल भी नहीं करती हूं। 
 
आप काम को लेकर कई बार बिजी हो जाती होंगी। आपके मम्मी पापा कहीं नाराज तो नहीं हो जाते। 
बिल्कुल नहीं मेरे मम्मी पापा के हालत मुझसे ज्यादा खराब है। वह बहुत ही ज्यादा काम में घुसे पड़े रहते हैं। उनको किसी बात की फुर्सत नहीं होती है। मुझे 10 साल हो गए हैं मुंबई में आए हुए। लेकिन मेरे पापा ने आज तक मेरे घर में एक बार भी नहीं आए। मेरा भाई एक बार एक शाम को आया था। मेरी मां मुंबई में मेरे घर में दो बार आई थी। अलग-अलग दिनों में और वह भी इसलिए आई थी क्योंकि वह मुंबई में थी। अलग से मिलने नहीं आई थी। 
 
मुझे इसलिए हम लोगों को यह बड़ा मजेदार लगता है कि हम लोग कभी एक दूसरे से मिलना है ऐसा नहीं सोचते हैं। क्योंकि हम सभी जानते हैं जिस दिन जरूरत होगी हम पूरी दुनिया का काम छोड़ कर आपस में फिर मिल बैठकर उस गुत्थी को सुलझा लेंगे। अब मैं लंदन में स्क्रिप्ट राइटिंग का कोर्स कर रही हूं तो अपने पार्टनर के साथ ज्यादा रहना मिलता है और वह लंदन में है। और अच्छी बात है कि कई सालों से हम लोग अलग-अलग काम कर रहे थे तो साथ में रहने का मौका नहीं मिल रहा था और हम इसी बहाने साथ में आए हैं। 
 
अब मेरी मां लंदन में मुझसे मिलने के लिए सिर्फ 12 दिन के लिए आई थी। आलम यह है जब भी मुझे मिलना होता है, मेरे घरवालों से तो मुझे भी जाना पड़ता है। मैं 2 महीने में एक बार तो मिल ही लेती हूं और मेरे हिसाब से ठीक है। कम से कम इतना तो मिल रही हूं, वरना मेरे घर वालों को तो काम से फुर्सत नहीं मिलती है। 
 
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